लालू प्रसाद यादव और नीतीश कुमार की फाइल तस्वीर
- बीजेपी राजनीतिक बदले से मेरे खिलाफ कार्रवाई कर ही है- लालू
- 'आरोपों का सामना करूंगा, न कि बीजेपी से नरमी का आग्रह करूंगा'
- 'बिहार में महागठबंधन का भविष्य काफी उज्ज्वल है'
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पटना:
बिहार में महागठबंधन सरकार में शामिल राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) के प्रमुख लालू प्रसाद यादव ने उन खबरों को सिरे से खारिज कर दिया है, जिसमें कहा गया था कि उन्होंने नीतीश कुमार सरकार को अस्थिर करने का ऑफर देकर केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली के साथ किसी 'समझौते' की कोशिश की है. गौरतलब है कि केंद्रीय एजेंसियां लालू परिवार के खिलाफ भ्रष्टाचार के मामलों की जांच कर रही है.
लालू यादव ने एनडीटीवी से कहा कि मैंने जेटली या गडकरी से कोई चर्चा नहीं की. मैं मोदी या अमित शाह को फोन कर सकता था. उन्होंने जोर देकर कहा कि मैं खत्म होना पसंद करूंगा, लेकिन कभी मोदी या बीजेपी की विचारधारा के साथ कोई समझौता नहीं कर सकता हूं.
उन्होंने कहा कि वह भ्रष्टाचार के आरोपों का सामना करेंगे, न कि बीजेपी से अपने लिए नरमी का आग्रह करेंगे. लालू यादव ने आरोप लगाया कि भगवा पार्टी और पीएम मोदी के खिलाफ उनके मुखर विरोध के कारण बीजेपी मनगढ़ंत आरोप लगा रही है और केंद्रीय जांच एजेंसियों का इस्तेमाल कर राजनीतिक बदला ले रही है.
लालू यादव का यह बयान उनके सहयोगी दल जेडीयू के प्रमुख और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के साथ सुलह-समझौते के एक दिन बाद आया है. उल्लेखनीय है कि नीतीश ने विपक्षी दलों के रुख से अलग हटते हुए बीजेपी के राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार रामनाथ कोविंद को समर्थन दिए जाने की घोषणा की. इसके बाद करीब हफ्ते भर तक आरजेडी और जेडीयू के रिश्तों में खटास की स्थिति बनी रही.
लालू यादव ने कोविंद को समर्थन देने के नीतीश के फैसले को ऐतिहासिक भूल करार दिया. हालांकि बाद में उन्होंने ही आगे बढ़कर सुलह का रास्ता भी तैयार किया. बुधवार को लालू ने साफ किया कि नीतीश कुमार ही बॉस हैं और महागठबंधन का भविष्य काफी उज्ज्वल है. उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति चुनावों को लेकर अपने गठबंधन के सहयोगी दल से मतभेदों को सुलझा लिया गया है. उन्होंने कहा कि इसके लिए सरकार (बिहार की महागठबंधन सरकार) को कुर्बान नहीं किया जाएगा. लालू ने कहा, 'मैं कोई कालीदास नहीं हूं, कि जिस पेड़ पर बैठा हूं, उसी को काटूं.'
नीतीश द्वारा कोविंद को समर्थन की घोषणा को कई लोगों ने इस बात का संकेत माना कि वह लालू यादव से अलग हटकर किसी नए गठबंधन की तलाश में हैं और वह बीजेपी के साथ भी जा सकते हैं. हालांकि नीतीश सरकार में मंत्री पद संभाल रहे लालू के दोनों बेटों और उनके परिवार के कुछ अन्य सदस्यों के खिलाफ चल रही जांच को देखते हुए गठबंधन के घटक दल काफी हद तक निश्चिंत थे कि लालू सत्ता के साझीदार बने रहेंगे.
लालू यादव ने एनडीटीवी से कहा कि मैंने जेटली या गडकरी से कोई चर्चा नहीं की. मैं मोदी या अमित शाह को फोन कर सकता था. उन्होंने जोर देकर कहा कि मैं खत्म होना पसंद करूंगा, लेकिन कभी मोदी या बीजेपी की विचारधारा के साथ कोई समझौता नहीं कर सकता हूं.
उन्होंने कहा कि वह भ्रष्टाचार के आरोपों का सामना करेंगे, न कि बीजेपी से अपने लिए नरमी का आग्रह करेंगे. लालू यादव ने आरोप लगाया कि भगवा पार्टी और पीएम मोदी के खिलाफ उनके मुखर विरोध के कारण बीजेपी मनगढ़ंत आरोप लगा रही है और केंद्रीय जांच एजेंसियों का इस्तेमाल कर राजनीतिक बदला ले रही है.
लालू यादव का यह बयान उनके सहयोगी दल जेडीयू के प्रमुख और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के साथ सुलह-समझौते के एक दिन बाद आया है. उल्लेखनीय है कि नीतीश ने विपक्षी दलों के रुख से अलग हटते हुए बीजेपी के राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार रामनाथ कोविंद को समर्थन दिए जाने की घोषणा की. इसके बाद करीब हफ्ते भर तक आरजेडी और जेडीयू के रिश्तों में खटास की स्थिति बनी रही.
लालू यादव ने कोविंद को समर्थन देने के नीतीश के फैसले को ऐतिहासिक भूल करार दिया. हालांकि बाद में उन्होंने ही आगे बढ़कर सुलह का रास्ता भी तैयार किया. बुधवार को लालू ने साफ किया कि नीतीश कुमार ही बॉस हैं और महागठबंधन का भविष्य काफी उज्ज्वल है. उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति चुनावों को लेकर अपने गठबंधन के सहयोगी दल से मतभेदों को सुलझा लिया गया है. उन्होंने कहा कि इसके लिए सरकार (बिहार की महागठबंधन सरकार) को कुर्बान नहीं किया जाएगा. लालू ने कहा, 'मैं कोई कालीदास नहीं हूं, कि जिस पेड़ पर बैठा हूं, उसी को काटूं.'
नीतीश द्वारा कोविंद को समर्थन की घोषणा को कई लोगों ने इस बात का संकेत माना कि वह लालू यादव से अलग हटकर किसी नए गठबंधन की तलाश में हैं और वह बीजेपी के साथ भी जा सकते हैं. हालांकि नीतीश सरकार में मंत्री पद संभाल रहे लालू के दोनों बेटों और उनके परिवार के कुछ अन्य सदस्यों के खिलाफ चल रही जांच को देखते हुए गठबंधन के घटक दल काफी हद तक निश्चिंत थे कि लालू सत्ता के साझीदार बने रहेंगे.
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