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कटिहार के गोगाबिल झील को मिली अंतर्राष्ट्रीय पहचान, हर साल लाखों प्रवासी पक्षियों पाते हैं आश्रय

Gogabil Lake Katihar: कटिहार का गोगबिल झील गंगा और महानन्दा के आंचल में करीब 86.63 हेक्टेयर क्षेत्र में फैली है. अब एक सामुदायिक आरक्षित क्षेत्र के रूप में भी मान्यता प्राप्त कर चुकी है. इस झील के संरक्षण, प्रबंधन और विकास का कार्य स्थानीय समुदाय और कई स्थानीय संस्थाओं के द्वारा किया जा रहा है.

कटिहार के गोगाबिल झील को मिली अंतर्राष्ट्रीय पहचान, हर साल लाखों प्रवासी पक्षियों पाते हैं आश्रय
कटिहार का गोगोबिल झील.
  • बिहार में गोगाबिल झील को रामसर स्थल का दर्जा मिलने से राज्य में कुल छह रामसर स्थल हो गए हैं.
  • गोगाबिल झील कटिहार के मनिहारी अनुमंडल में गंगा और महानन्दा के बीच 86.63 हेक्टेयर क्षेत्र में फैली है.
  • यह झील सर्दियों में हजारों देसी और विदेशी प्रवासी पक्षियों का आश्रय स्थल बनकर जैव विविधता का केंद्र बनती है.
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कटिहार:

Gogabil Lake Katihar: भारत को वेटलैंड के क्षेत्र में एक बड़ी उपलब्धि हासिल हुई है. बिहार में अब कुल 6 रामसर स्थल हो गए हैं, जिससे बिहार अब देश के तीसरे नंबर पर पहुंच गया है. पिछले 11 वर्षों में देशभर में 67 नए रामसर स्थल जोड़े गए हैं, जिससे अब तक 13 लाख 60 हजार 805 हेक्टेयर क्षेत्र रामसर संरक्षण के दायरे में आ चुका है. इससे भारत अब एशिया में पहले और विश्व स्तर पर तीसरे स्थान पर पहुंच गया है. जो पर्यावरण संरक्षण और स्थानीय समुदायों की भागीदारी का प्रमाण है. 

कटिहार के मनिहारी में स्थित है गोगाबिल झील

बिहार में वेटलैंड संरक्षण के क्षेत्र में एक और बड़ी उपलब्धि हासिल की है. कटिहार जिले के मनिहारी अनुमंडल स्थित प्रसिद्ध गोगाबिल झील को अब रामसर साइट का दर्जा मिल गया है. यह बिहार का छठा रामसर स्थल और देश का 94वां अंतर्राष्ट्रीय महत्व का वेटलैंड बन गया है. इस घोषणा के बाद सीमांचल समेत कटिहार में खुशी और गर्व का माहौल है. 

गोगाबिल झील के ऊपर पक्षियों का कलरव.

गोगाबिल झील के ऊपर पक्षियों का कलरव.

गंगा-महानंदा के आंचल में करीब 86.63 हेक्टेयर में फैला है झील

उल्लेखनीय हो कि कटिहार का गोगबिल झील गंगा और महानन्दा के आंचल में करीब 86.63 हेक्टेयर क्षेत्र में फैली है. अब एक सामुदायिक आरक्षित क्षेत्र के रूप में भी मान्यता प्राप्त कर चुकी है. इस झील के संरक्षण, प्रबंधन और विकास का कार्य स्थानीय समुदाय और कई स्थानीय संस्थाओं के द्वारा किया जा रहा है.

यह झील सर्दियों में देसी और विदेशी हजारों प्रवासी पक्षियों का आश्रय स्थल बन जाता है. यहां मिलने वाली समृद्ध जैव विविधता इसे पर्यावरणीय दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण बनाता है. 

गोगाबिल झील को मिली ऐतिहासिक उपलब्धि

गोगबिल झील के उत्थान पर कार्य कर रही जनलक्ष्य संस्था के सदस्य डॉ. राज अमन सिंह ने बताया कि बिहार को पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में एक और ऐतिहासिक उपलब्धि अब मिली है. यह विश्व का सबसे पुराना पर्यावरणीय समझौतों में से एक रामसर कन्वेंशन हैं जिसके तहत गोगबिल झील को लिया गया है. कटिहार के लिए यह गौरव का पल है. इससे गोगाबिल झील में पक्षियों का कलरव एक बार फिर से देखने और सुनने को मिलेगा.

कटिहार के डीएम.

कटिहार के डीएम मनेश कुमार मीणा.

डीएम बोले- रामसर स्थल चुना जाना ऐतिहासिक फैसला

वहीं गोगाबिल झील को अंतरराष्ट्रीय पहचान मिलने पर कटिहार के जिलाधिकारी मनेश कुमार मीणा ने कहा कि भारत के रामसर रैंकिंग पर इसे 94वां स्थान प्राप्त हुआ है. जबकि बिहार का यह छठा रामसर स्थल के रूप में चिन्हित किया गया है. भारत सरकार द्वारा नवम्बर 2025 में गोगाबिल झील को रामसर स्थल के रूप में घोषित करना एक ऐतिहासिक फैसला है.

इको टूरिज्म, मत्स्य पालन को मिलेगा बढ़ावा

गोगाबिल झील गंगा और महानंदा नदियों के बीच बनने वाली एक ऑक्सबो झील है. बिहार की पहली सामुदायिक आरक्षित झील के रूप में इसे पहचान मिला है. झील के आसपास के ग्रामीण अब इको टूरिज्म, मत्स्य पालन और पर्यावरणीय गतिविधियों से सतत आजीविका प्राप्त कर सकेंगे. गोगाबिल झील अब ना केवल प्राकृतिक सुंदरता का केंद्र बनेगा बल्कि बिहार में पर्यावरणीय पर्यटन को नई दिशा भी देगा.

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