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एक परिवार, 3 टिकट, जहानाबाद से गया तक पूर्व सांसद अरुण कुमार परिवार की लगी राजनीतिक लॉटरी

बिहार की सियासत में इस बार एक परिवार सबसे ज्यादा सुर्खियां बटोर रहा है. जहानाबाद के पूर्व सांसद डॉ अरुण कुमार के परिवार की किस्मत मानो लॉटरी लग गई है. एनडीए गठबंधन की दो पार्टियों जदयू और हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा ने उनके परिवार के तीन सदस्यों को विधानसभा चुनाव में टिकट देकर बड़ी राजनीतिक चर्चा छेड़ दी है. जहानाबाद से मुकेश की रिपोर्ट

एक परिवार, 3 टिकट, जहानाबाद से गया तक पूर्व सांसद अरुण कुमार परिवार की लगी राजनीतिक लॉटरी
  • जहानाबाद के पूर्व सांसद डॉ अरुण कुमार के परिवार के तीन सदस्यों को विधानसभा चुनाव में टिकट मिला है
  • जदयू ने ऋतुराज कुमार को घोसी विधानसभा सीट से और हम पार्टी ने अनिल कुमार व रोमित कुमार को टिकट दिया है
  • अरुण कुमार की जदयू में वापसी और उनके बेटे ऋतुराज का राजनीतिक डेब्यू इस चुनाव में प्रमुख घटनाएं हैं
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जहानाबाद:

बिहार की सियासत में इस बार एक परिवार सबसे ज्यादा सुर्खियां बटोर रहा है. जहानाबाद के पूर्व सांसद डॉ अरुण कुमार के परिवार की किस्मत मानो लॉटरी लग गई है. एनडीए गठबंधन की दो पार्टियों जदयू और हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा ने उनके परिवार के तीन सदस्यों को विधानसभा चुनाव में टिकट देकर बड़ी राजनीतिक चर्चा छेड़ दी है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पार्टी जदयू ने पूर्व सांसद अरुण कुमार के बेटे ऋतुराज कुमार को जहानाबाद के घोसी विधानसभा सीट से उम्मीदवार बनाया है. वहीं, हम पार्टी ने अरुण कुमार के भाई अनिल कुमार को गया जिले की टिकारी सीट से और भतीजे रोमित कुमार को अतरी सीट से मैदान में उतारा है. घोसी, टिकारी और अतरी तीनों सीटें जहानाबाद लोकसभा क्षेत्र का हिस्सा हैं, जहां से डॉ अरुण कुमार दो बार सांसद रह चुके हैं.

पहली बार जदयू से और दूसरी बार उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी राष्ट्रीय लोक समता पार्टी से. अरुण कुमार के भाई अनिल कुमार चार बार विधायक रह चुके हैं और फिलहाल हम पार्टी से टिकारी के मौजूदा विधायक हैं. अनिल कुमार ने 2005 में कोंच सीट से दो बार चुनाव जीता था. 2010 में परिसीमन के बाद जब टिकारी विधानसभा बनी, तब उन्होंने जदयू से जीत दर्ज की. 2015 में वे हम पार्टी के टिकट पर लड़े, लेकिन जदयू के अभय कुशवाहा से हार गए. 2020 में अनिल कुमार ने दोबारा हम से चुनाव लड़ा और जीत दर्ज की. 

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ऋतुराज की एंट्री और पूर्व सांसद अरुण कुमार की वापसी

यह चुनाव ऋतुराज कुमार का राजनीतिक डेब्यू है. उनके पिता डॉ अरुण कुमार लंबे समय से जदयू में वापसी की कोशिश में थे. सितंबर में उनकी वापसी लगभग तय मानी जा रही थी, लेकिन ऐन मौके पर राजनीतिक परिस्थितियों ने करवट बदल ली, कुछ प्रमुख नेता कार्यक्रम से दूर हो गए और वापसी टल गई. मगर राजनीति ने फिर पलटी मारी. मगध क्षेत्र के भूमिहार नेता सह पूर्व सांसद डॉ जगदीश शर्मा के बेटे राहुल शर्मा को तेजस्वी यादव ने राजद में शामिल कर जहानाबाद से उम्मीदवार बना दिया. इसके जवाब में जदयू ने पूर्व सांसद अरुण कुमार को मनाने के लिए उनके बेटे ऋतुराज को टिकट देकर घोसी से उतारा. अरुण कुमार की जदयू में वापसी के दौरान जो नेता शामिल कराने के दिन नदारद थे, वे अब टिकट की घोषणा के वक्त मंच पर दिखे. अशोक चौधरी भी इस मौके पर नजर आए, जिनके दामाद सायन कुणाल जहानाबाद में सक्रिय थे और घोसी से टिकट की उम्मीद लगाए बैठे थे.

अरुण कुमार तीन भाइयों में बड़े हैं, अनिल कुमार, अरविंद कुमार और अरुण कुमार. तीसरे भाई अरविंद कुमार के बेटे रोमित कुमार, जो जीतन राम मांझी के सांसद प्रतिनिधि और हम पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता हैं, उन्हें अतरी से टिकट दिया गया है। सूत्रों के अनुसार, अरुण और उनके भाइयों के रिश्ते बहुत मधुर नहीं हैं, हालांकि अनिल और रोमित के बीच तालमेल अच्छा माना जाता है. दोनों एक ही पार्टी हम से चुनाव मैदान में हैं.

मगध क्षेत्र की राजनीति में भूमिहार जाति का प्रभाव हमेशा से महत्वपूर्ण रहा है. इस बार राजपूतों के समानांतर भूमिहार नेताओं को मिले टिकटों की संख्या ने सियासी हलकों में नई चर्चा छेड़ दी है. जहानाबाद और गया की राजनीति अब न केवल राजद बनाम एनडीए की लड़ाई है, बल्कि यह जगदीश शर्मा बनाम अरुण कुमार के बीच भूमिहार नेतृत्व की भी टक्कर बन गई है.

बहरहाल जहानाबाद और गया की तीनों सीटों पर अरुण कुमार परिवार का वर्चस्व इस बार निर्णायक भूमिका निभा सकता है. तीन टिकट, एक परिवार, यह कहानी सिर्फ राजनीति नहीं, बल्कि मगध की जातीय-सामाजिक ताकत के बदलते संतुलन की झलक भी है.

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