बिहार में जहरीली शराब से हाल के दिनों में 70 से ज्यादा मौत के बाद शराबबंदी को लेकर सियासत गर्म है. कई पार्टियों ने प्रदेश में अप्रैल 2016 से लागू शराब पर प्रतिबंध का सख्ती से पालन कराने या इस कानून की समीक्षा करने की मांग की है. आरजेडी के उपाध्यक्ष शिवानंद तिवारी ने शराबबंदी पर जारी राजनीति को लेकर बीजेपी पर निशाना साधा है.
शिवानंद तिवारी ने कहा कि शराबबंदी को लेकर भाजपा साफ़-साफ़ नहीं बोल रही है. एक तरफ़ तो उनका कहना है कि हम शराबबंदी के पक्ष में हैं, लेकिन नीतीश सरकार उसको असरकारी ढंग से लागू नहीं कर पा रही है. इसलिए ज़हरीली शराब से लोगों की मौत हो रही है. लेकिन वह असरकारी ढंग क्या है, किस तरीक़े से बंदी को असरकारी बनाया जा सकता है, इस पर वह कुछ नहीं बोल रही है.
उन्होंने कहा कि बिहार में ऐसे लोग भी हैं जो शराबबंदी को ग़लत मानते हैं. जो ऐसा मानते हैं वे गंदे लोग हैं, यह भी नहीं कहा जा सकता है. यह भी उतना ही सच है कि नशाखोरी की सबसे ज़्यादा शिकार महिलाएं ही होती हैं. इस सवाल पर अगर उनके बीच वोट करवाया जाए तो उनका भारी बहुमत शराबबंदी का समर्थन करेगा.
पूर्व सांसद ने कहा कि सवाल यह है कि असरकारी बंदी कैसे हो, ताकि ज़हरीली शराब से होने वाली घटनाओं पर नियंत्रण पाया जा सके, इस विषय में भाजपा को साफ़ साफ़ बताना चाहिए. ज़हरीली शराब से मौत की घटना उन राज्यों में भी लगभग नियमित होती हैं, जहां शराबबंदी नहीं है. गुजरात जैसे राज्य में जहां शराबबंदी है, वहां भी ऐसी घटनाएं होती रहती हैं. बल्कि 2009 में, जब भाजपा के अवतारी नेता नरेंद्र मोदी वहां के मुख्यमंत्री थे, तब अहमदाबाद में 150 लोग ज़हरीली शराब पी कर मर गए थे. उसके बाद मोदी सरकार ने क़ानून में संशोधन कर ज़हरीली शराब का कारोबार करने वालों के लिए फांसी की सजा का प्रावधान किया था. लेकिन इसके बावजूद अभी पिछले जुलाई में ज़हरीली शराब पी कर वहां दर्जनों लोग मौत के शिकार हो गए.
शिवानंद तिवारी ने कहा कि जहां शराबबंदी नहीं है, भाजपा शासित वैसे राज्यों में भी ऐसी मौतें होती रहती हैं. बल्कि इस सूची में भाजपा शासित मध्य प्रदेश सबसे ऊपर है. इसलिए बिहार भाजपा के नेताओं को साफ़-साफ़ बोलना चाहिए. वे बिहार में शराबबंदी जारी रखने के पक्ष में हैं या नहीं. असरकारी या ग़ैर असरकारी का कोई अर्थ नहीं है. जब नरेंद्र मोदी जी के शासन में बड़ी संख्या में मौत हुई और आज भी उस राज्य में हो रही है. इसलिए भाजपा ढोंग छोड़े और साफ़-साफ़ कहे कि बिहार में शराबबंदी को समाप्त किया जाए.
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