मुंबई और गुजरात के कई शहरों में फंसे बिहार के प्रवासी लोग अपने गांव वापिस आना चाहते हैं. अब इसी मुद्दे पर बिहार में सत्तारूढ़ एनडीए और विपक्षी राजद के नेताओं में आरोप प्रत्यारोप का दौर शुरू हो गया है. उपमुख्य मंत्री सुशील मोदी ने गुरुवार को कहा कि दूसरे राज्यों में रुके बिहारियों से अपील हैं कि वे जहां है, सारी कठिनाइयों के बावजूद वहीं धैर्य के साथ रूके रहें. दूसरे राज्यों की स्थानीय सरकारों से समन्वय बना कर बिहार सरकार हर संभव मदद की यथासंभव कोशिश में जुटी हुई है. बिहार में रह रहे उनके परिवार वालों से भी अपील की है कि वे अपने परिजनों को मोबाइल से सम्पर्क कर लॉकडाउन के दौरान घर आने की जगह जहां हैं, वहीं सुरक्षित रहने के लिए मानसिक तौर पर प्रेरित करें. मोदी ने ये भी कहा कि दूसरे राज्यों में रुके बिहारी किसी के बहकावे व फेक न्यूज के झांसें में नहीं आएं. लॉकडाउन के दौरान किसी भी तरह से यातायात की व्यवस्था संभव नहीं है. लॉकडाउन खत्म होने के बाद केन्द्र व राज्य सरकार स्वतः रेल व बस सेवाएं शुरू करने के साथ उनकी आवाजाही की सुविधा सुनिश्चित करेगी.
इसके साथ ही सुशील मोदी ने विपक्षी दल राजद पर आरोप लगाया कि विपक्ष इस मुद्दे पर राजनीति कर रहा है. इसके बाद राष्ट्रीय जनता दल के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष शिवानंद तिवारी ने एक बयान में कहा कि सुशील कुमार मोदी जी ने विपक्ष पर ओछी राजनीति करने का आरोप लगाया है. उनका कहना है कि कोरोना को लेकर विपक्ष सांप्रदायिक राजनीति कर रहा है. यह इंसानियत के खिलाफ अपराध है. हम भी यही कह रहे हैं. हमारा आरोप है की सत्ताधारी दल कोरोना का इस्तेमाल सांप्रदायिक ध्रुवीकरण के मकसद से कर रहा है.
शिवानंद ने कहा, 'राजनीति में कुछ संदेश ऐसे होते हैं जिनको पार्टियां या नेता प्रत्यक्ष नहीं बल्कि प्रतीकों के सहारे जनता तक पहुंचाते हैं. सुशील मोदी के ही बयान को देख लीजिए. कोरोना को कौन फैला रहा है इसके लिए उन्होंने उदाहरण के रूप में सिवान और मुंगेर का जिक्र किया है. दोनों जगह मुसलमानों के साथ जुड़े हुए हैं. सुशील जी बहुत चतुराई से लोगों तक संदेश पहुंचा रहे हैं कि हमारे यहां संक्रमण मुसलमानों के माध्यम से पहुंचा या पहुंचाया जा है.'
शिवानंद ने आगे कहा, 'लेकिन सुशील जी यह नहीं बताते कि मुंगेर का संक्रमित व्यक्ति जब मर गया तब बताया गया कि वह कोरोना संक्रमित था. यह गंभीर लापरवाही पटना के एम्स जैसे अस्पताल में हुई. हमारी स्वास्थ्य व्यवस्था कैसी है इसकी चर्चा उन्होंने नहीं की है. बिहार के उपमुख्यमंत्री के नाते तो उन्हें लचर स्वास्थ्य व्यवस्था के लिए खेद व्यक्त करना चाहिए था. हमारी स्वास्थ्य व्यवस्था इतनी कमजोर है कि हम समय रहते रोग की पहचान और रोगी का उपचार नहीं कर पाते हैं. इसलिए हम सुशील जी से आग्रह करेंगे कि कम से कम आज की गंभीर परिस्थिति में राजनीति की मर्यादा को बनाए रखें.'
 
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