विज्ञापन

बिहार चुनाव में देवरानी-जेठानी की लड़ाई में फंस गई कांग्रेस, बीजेपी के दोनों हाथों में लड्डू

देवरानी आभा सिंह की शिकायत है कि वह कांग्रेस की छह साल तक जिलाध्यक्ष रहीं. वह महिला कांग्रेस की अध्यक्ष रहीं. वह कांग्रेस की निष्ठावान कार्यकर्ता रही हैं. टिकट की दावेदारी में उनका नाम सीबीसी की मीटिंग तक था, लेकिन उन्हें टिकट नहीं दिया गया.

बिहार चुनाव में देवरानी-जेठानी की लड़ाई में फंस गई कांग्रेस, बीजेपी के दोनों हाथों में लड्डू
  • 2025 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने नीतू कुमारी को टिकट दिया जबकि आभा सिंह ने बीजेपी का दामन थाम लिया है.
  • ये विवाद 2010 से चला आ रहा है जब ससुर आदित्य सिंह के कारण नीतू को टिकट मिला और आभा को नहीं मिला था.
  • हिसुआ विधानसभा क्षेत्र में नीतू कुमारी और बीजेपी के अनिल सिंह के बीच राजनीतिक मुकाबला लगातार जारी है.
क्या हमारी AI समरी आपके लिए उपयोगी रही?
हमें बताएं।

अकसर घरों में और टीवी सीरियल में जेठानी और देवरानी के बीच के विवाद को देखा और सुना जाता रहा है. सियासत में ऐसे उदाहरण बहुत कम देखने को मिलते हैं, लेकिन बिहार के नवादा जिले के हिसुआ की सियासत में जेठानी और देवरानी का विवाद अकसर देखने को मिलता है. पांच साल पहले 2020 के विधानसभा चुनाव के पहले जेठानी और देवरानी एक साथ आ गईं थी, लेकिन 2025 के चुनाव में एक बार फिर देवरानी और जेठानी के बीच दूरी हो गई है.

हिसुआ विधानसभा की कहानी

यह कहानी है बिहार के पूर्व राज्यमंत्री आदित्य सिंह की बड़ी पुत्रवधू नीतू कुमारी और मंझली पुत्रवधू आभा सिंह की. हिसुआ विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस की टिकट के लिए दोनों प्रयास कर रही थीं, लेकिन पार्टी ने हिसुआ की निवर्तमान विधायक नीतू कुमारी को टिकट दे दिया. इससे देवरानी आभा सिंह नाराज हो गईं हैं. आभा सिंह कांग्रेस की पूर्व जिलाध्यक्ष रही हैं, लेकिन टिकट नहीं मिलने से नाराज आभा सिंह ने ना सिर्फ कांग्रेस से त्यागपत्र दे दिया, बल्कि बीजेपी का दामन थामन भी थाम लिया. यही नहीं, देवरानी आभा सिंह ने हिसुआ में कांग्रेस प्रत्याशी अपनी जेठानी नीतू कुमारी के खिलाफ चुनाव प्रचार में भी उतर गईं हैं.

देवरानी की शिकायत

Latest and Breaking News on NDTV

देवरानी आभा सिंह की शिकायत है कि वह कांग्रेस की छह साल तक जिलाध्यक्ष रहीं. वह महिला कांग्रेस की अध्यक्ष रहीं. वह कांग्रेस की निष्ठावान कार्यकर्ता रही हैं. टिकट की दावेदारी में उनका नाम सीबीसी की मीटिंग तक था, लेकिन उन्हें टिकट नहीं दिया गया. एक ऐसे आदमी को टिकट दिया गया, जिसे कांग्रेस से निष्ठा नहीं. आभा ने कहा कि वह (जेठानी) विधानसभा में खुलेआम कह रही थीं कि अगर बीजेपी टिकट देगी तब भाजपा में चली जाऊंगी. मेरा मानना है कि ऐसे प्रत्याशी को वोट देने का मतलब बीजेपी को वोट करना है. इसलिए सीधे बीजेपी में जाने का निर्णय लिया. बीजेपी उम्मीदवार अनिल सिंह दिग्गज नेता हैं. तीन बार एमएलए बने हैं. आभा ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को मजबूत करना है.

कब से और क्यों विवाद

Latest and Breaking News on NDTV

जेठानी और देवरानी का सियासी विवाद डेढ़ दशक पुराना है. दरअसल, 2010 के विधानसभा चुनाव में भी आभा सिंह टिकट की दावेदार थीं, लेकिन तब ससुर आदित्य सिंह की पहल के कारण टिकट जेठानी नीतू कुमारी को मिल गया था. तब से जेठानी और देवरानी का सियासी विवाद शुरू हुआ. 2020 में भी कांग्रेस का टिकट लेने में जेठानी नीतू कामयाब हो गईं थीं. तब भी दोनों में दूरियां हुईं थी, लेकिन तब दिवंगत ससुर आदित्य सिंह की तस्वीर के सामने एक हुईं थीं. नीतू और आभा ने कहा था कि दिवंगत ससुर के सम्मान और कांग्रेस पार्टी की लाज बचाने के लिए दोनों एक साथ हुईं हैं, लेकिन अब फिर अलग हो गईं. बहरहाल, आभा कहती हैं कि एक चहारदीवारी में रहना परिवार नहीं है. हर सुख-दुख में साथ देनेवाला भी परिवार है. बीजेपी के उम्मीदवार अनिल सिंह उनके परिवार जैसे हैं.

कब से हैं राजनीति में

नीतु और आभा की पृष्ठभूमि सियासी रही है. उनके ससुर आदित्य सिंह हिसुआ विधानसभा क्षेत्र से 1980 में प्रतिनिधित्व कर चुके हैं. 2000 में पशुपालन राज्यमंत्री भी थे. अक्टूबर 2005 में आदित्य सिंह पराजित हो गए. उसके बाद अनिल सिंह बीजेपी विधायक बने. नीतू 2010 में कांग्रेस और 2015 में सपा से अनिल सिंह के खिलाफ लड़ी थीं, लेकिन हार गईं. 2020 के चुनाव में नीतू कांग्रेस से लड़ी थी और अनिल सिंह को पराजित की थीं. अब फिर से कांग्रेस से नीतू और बीजेपी से अनिल आमने-सामने हैं.
 

NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं

फॉलो करे:
Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com