नीतीश कुमार ने शाम को इस्तीफा दिया और रात में बीजेपी के समर्थन से सरकार बनाने की तैयारी कर ली.
- शाम से देर रात तक बिहार में चली राजनीतिक उठापटक
- तेजस्वी के खिलाफ लगे आरोपों को लेकर महागठबंधन बिखरा
- नीतीश के फैसले पर आरजेडी प्रमुख लालू प्रसाद बौखलाए
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नई दिल्ली:
नीतीश कुमार ने बुधवार की शाम को बिहार के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देकर सियासी बवंडर पैदा कर दिया. उनके इस्तीफे से अचंभित आरजेडी प्रमुख लालू यादव भड़के लेकिन इससे पहले ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्वीट करके नीतीश कुमार को बधाई दे दी. रात गहराते ही इस नाटकीय घटनाक्रम का पटाक्षेप बीजेपी के नीतीश कुमार को सरकार बनाने के लिए समर्थन देने के ऐलान से हुआ.
नीतीश कुमार ने ने सहयोगी आरजेडी के नेता और उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव पर लगे भ्रष्टाचार के आरोपों पर मतभेद के चलते अपने पद से इस्तीफा दे दिया जिससे 2014 के लोकसभा चुनावों के बाद बना महागठबंधन टूट गया. तेजस्वी के खिलाफ लगे आरोपों को लेकर सत्तारूढ़ महागठबंधन के घटक दल जेडीयू और आरजेडी के बीच काफी समय से गतिरोध चल रहा था.
यह भी पढ़ें - बीजेपी ने किया नीतीश कुमार को समर्थन देने का ऐलान, शपथ ग्रहण कल
नीतीश कुमार ने राज्यपाल केशरीनाथ त्रिपाठी को इस्तीफा सौंपने के बाद राजभवन के बाहर संवाददाताओं से कहा कि बिहार में जो माहौल था उसमें महागठबंधन की सरकार चलाना मुश्किल हो गया था.
यह भी पढ़ें - नीतीश के इस्तीफे के बाद लालू ने सरकार गठन के नए फॉर्मूले का प्रस्ताव रखा
नीतीश के इस्तीफा देने के कुछ ही समय बाद पीएम नरेंद्र मोदी ने ट्वीट करके भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई में शामिल होने के लिए नीतीश की प्रशंसा की. उन्होंने कहा कि पूरा देश उनकी ईमानदारी का समर्थन करता है. निश्चित रूप से प्रधानमंत्री का यह ट्वीट अपने पूर्व सहयोगी से फिर से मेल-मिलाप का संकेत माना गया. जेडीयू ने 2014 के लोकसभा चुनावों में मोदी को भगवा दल की प्रचार समिति का प्रमुख चुने जाने के बाद बीजेपी से अपना 17 साल पुराना नाता तोड़ लिया था.
यह भी पढ़ें - जब प्रेस कॉन्फ्रेंस में छलका नीतीश कुमार का दर्द
इस पर नीतीश कुमार से जब पूछा गया कि बीजेपी के समर्थन से सरकार बनाने की क्या संभावना है तो उन्होंने कहा, बिहार के हित में जो भी होगा वह किया जाएगा. भविष्य का इंतजार कीजिए, जो हुआ सो हुआ. अब देखिए आगे क्या होता है. नीतीश कुमार ने बताया कि राज्यपाल ने उनका इस्तीफा स्वीकार कर लिया है और वैकल्पिक व्यवस्था होने तक उन्हें मुख्यमंत्री पद पर बने रहने के लिए कहा है.
यह भी पढ़ें - नीतीश बीजेपी से मिले हुए हैं, आरएसएस से सेटिंग है : लालू प्रसाद
आरजेडी को शायद यह गुमान नहीं था कि नीतीश कुमार इस्तीफा दे देंगे. नीतीश के फैसले पर आरजेडी प्रमुख लालू प्रसाद यादव भड़क पड़े. उन्होंने अपनी प्रतिक्रिया में नीतीश पर बीजेपी और आरएसएस से मिले होने का आरोप लगाया. उन्होंने कहा कि यह मामला पहले से ही सेट किया हुआ था. इसके साथ ही उन्होंने नीतीश कुमार पर हत्या और आर्म्स एक्ट का एक केस पेंडिग होने की बात भी कही. हालांकि इस सबके बावजूद लालू ने उम्मीद न छोड़ते हुए कहा कि आरजेडी, जेडीयू और कांग्रेस विधायक एक बैठक करके मिलकर अपना नेता (मुख्यमंत्री ) चुनें. न नीतीश न तेजस्वी, बल्कि कोई और मुख्यमंत्री बने'.
यह भी पढ़ें - प्रचंड बहुमत से नीतीश कुमार के इस्तीफे तक, ऐसा रहा महागठबंधन की सरकार का सफर..
लालू ने कहा कि हमने यह जरूर कहा कि बिहार जेडीयू के प्रवक्ता सीबीआई या पुलिस नहीं है, जो हमसे लगातार सफाई देने को कह रहे थे. हमने कहा था कि जो कहना होगा वो जनता के सामने कहेंगे ही, जांच एजेंसी के सामने भी कहेंगे.'
VIDEO : नीतीश ने सुनाया दुखड़ा
इस घटनाक्रम के साथ ही बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह सक्रिय हो गए और उन्होंने बिहार के बीजेपी के वरिष्ठ नेता सुशील मोदी को संदेश भेज दिया. आनन-फनन में बिहार के बीजेपी के विधायकों की बैठक बुलाई गई और नीतीश कुमार को समर्थन देने का ऐलान कर दिया गया. देर रात नीतीश और सुशील मोदी ने राज्यपाल केशरीनथ त्रिपाठी से मुलाकात की. नीतीश कुमार गुरुवार को मुख्यमंत्री की शपथ लेंगे और एक बार फिर उसी बीजेपी के साथ सत्ता संभालेंगे जिससे उनका 2014 से पहले 17 साल तक नाता था.
नीतीश कुमार ने ने सहयोगी आरजेडी के नेता और उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव पर लगे भ्रष्टाचार के आरोपों पर मतभेद के चलते अपने पद से इस्तीफा दे दिया जिससे 2014 के लोकसभा चुनावों के बाद बना महागठबंधन टूट गया. तेजस्वी के खिलाफ लगे आरोपों को लेकर सत्तारूढ़ महागठबंधन के घटक दल जेडीयू और आरजेडी के बीच काफी समय से गतिरोध चल रहा था.
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नीतीश कुमार ने राज्यपाल केशरीनाथ त्रिपाठी को इस्तीफा सौंपने के बाद राजभवन के बाहर संवाददाताओं से कहा कि बिहार में जो माहौल था उसमें महागठबंधन की सरकार चलाना मुश्किल हो गया था.
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नीतीश के इस्तीफा देने के कुछ ही समय बाद पीएम नरेंद्र मोदी ने ट्वीट करके भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई में शामिल होने के लिए नीतीश की प्रशंसा की. उन्होंने कहा कि पूरा देश उनकी ईमानदारी का समर्थन करता है. निश्चित रूप से प्रधानमंत्री का यह ट्वीट अपने पूर्व सहयोगी से फिर से मेल-मिलाप का संकेत माना गया. जेडीयू ने 2014 के लोकसभा चुनावों में मोदी को भगवा दल की प्रचार समिति का प्रमुख चुने जाने के बाद बीजेपी से अपना 17 साल पुराना नाता तोड़ लिया था.
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इस पर नीतीश कुमार से जब पूछा गया कि बीजेपी के समर्थन से सरकार बनाने की क्या संभावना है तो उन्होंने कहा, बिहार के हित में जो भी होगा वह किया जाएगा. भविष्य का इंतजार कीजिए, जो हुआ सो हुआ. अब देखिए आगे क्या होता है. नीतीश कुमार ने बताया कि राज्यपाल ने उनका इस्तीफा स्वीकार कर लिया है और वैकल्पिक व्यवस्था होने तक उन्हें मुख्यमंत्री पद पर बने रहने के लिए कहा है.
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लालू ने कहा कि हमने यह जरूर कहा कि बिहार जेडीयू के प्रवक्ता सीबीआई या पुलिस नहीं है, जो हमसे लगातार सफाई देने को कह रहे थे. हमने कहा था कि जो कहना होगा वो जनता के सामने कहेंगे ही, जांच एजेंसी के सामने भी कहेंगे.'
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इस घटनाक्रम के साथ ही बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह सक्रिय हो गए और उन्होंने बिहार के बीजेपी के वरिष्ठ नेता सुशील मोदी को संदेश भेज दिया. आनन-फनन में बिहार के बीजेपी के विधायकों की बैठक बुलाई गई और नीतीश कुमार को समर्थन देने का ऐलान कर दिया गया. देर रात नीतीश और सुशील मोदी ने राज्यपाल केशरीनथ त्रिपाठी से मुलाकात की. नीतीश कुमार गुरुवार को मुख्यमंत्री की शपथ लेंगे और एक बार फिर उसी बीजेपी के साथ सत्ता संभालेंगे जिससे उनका 2014 से पहले 17 साल तक नाता था.
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