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BJP की स्टार प्रचारक लिस्ट से शाहनवाज़ गायब, बिहार चुनाव में रणनीतिक बदलाव या राजनीतिक संकेत?

कभी बिहार में बीजेपी का प्रमुख मुस्लिम चेहरा माने जाने वाले शाहनवाज़ को न तो स्टार प्रचारक बनाया गया है और न ही उन्हें किसी सीट से उम्मीदवार के तौर पर उतारा गया.

BJP की स्टार प्रचारक लिस्ट से शाहनवाज़ गायब, बिहार चुनाव में रणनीतिक बदलाव या राजनीतिक संकेत?
बीजेपी के स्टार प्रचारकों की लिस्ट में शाहनवाज का नाम नहीं
  • BJP ने बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के लिए 40 स्टार प्रचारकों की सूची जारी की जिसमें कई बड़े नाम हैं
  • सैयद शाहनवाज हुसैन को न तो स्टार प्रचारक बनाया गया है और न ही किसी सीट से उम्मीदवार बनाया गया है
  • शाहनवाज की अनुपस्थिति से बीजेपी की समावेशी राजनीति पर सवाल उठ रहे हैं
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पटना:

बिहार विधानसभा चुनाव 2025 की तैयारियों के बीच भारतीय जनता पार्टी ( बीजेपी) ने अपने 40 स्टार प्रचारकों की सूची जारी कर दी है. इस सूची में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, गृह मंत्री अमित शाह, सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी, शिवराज सिंह चौहान और केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान जैसे कई बड़े नाम शामिल हैं. पार्टी ने इस बिहार में प्रचार की जिम्मेदारी बीजेपी शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों को भी सौंपी है. बिहार के भी कई बड़े नेताओं को इस लिस्ट में जगह दी गई है. लेकिन इस लिस्ट से सैयद शाहनवाज हुसैन का नाम गायब है.

कभी बिहार में बीजेपी का प्रमुख मुस्लिम चेहरा माने जाने वाले शाहनवाज़ को न तो स्टार प्रचारक बनाया गया है और न ही उन्हें किसी सीट से उम्मीदवार के तौर पर उतारा गया. यही वजह है कि यह फैसला राजनीतिक गलियारों में चर्चा का विषय बन गया है. पिछले कुछ हफ्तों से कयास लगाए जा रहे थे कि बीजेपी किशनगंज सीट से शाहनवाज़ हुसैन को मैदान में उतार सकती है. किशनगंज बिहार की उन कुछ सीटों में से एक है जहां मुस्लिम मतदाता निर्णायक भूमिका निभाते हैं. लेकिन, पार्टी ने वहां से एक नए चेहरे को उम्मीदवार बना दिया, जिससे यह साफ हो गया कि शाहनवाज़ इस बार न तो चुनाव मैदान में हैं और न ही प्रचार की पहली पंक्ति में.

राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि शाहनवाज़ हुसैन जैसे अनुभवी नेता की अनुपस्थिति बीजेपी के लिए संदेशात्मक रूप से महत्वपूर्ण है. कई विशेषज्ञों का मानना है कि किशनगंज से शाहनवाज़ की उम्मीदवारी से बीजेपी को समावेशी राजनीति का संदेश देने में मदद मिल सकती थी, खासकर तब जब बिहार में मुस्लिम मतदाता लगभग 17 प्रतिशत हैं. लेकिन पार्टी ने शायद रणनीतिक बदलाव के तहत यह निर्णय लिया है, संभवतः अपने कोर वोट बैंक को साधने के लिए.

वहीं, एनडीए के अन्य घटक दलों की बात करें तो मुस्लिम प्रतिनिधित्व का मामला वहां भी सीमित नजर आ रहा है. जदयू ने इस बार के विधानसभा चुनाव में सिर्फ 4 मुस्लिम उम्मीदवारों को मैदान में उतारा है, जबकि 2020 के चुनाव में यह संख्या 10 थी. बीजेपी ने किसी भी मुस्लिम उम्मीदवार को टिकट नहीं दिया है, जबकि हम और एलजेपी रामविलास जैसी सहयोगी पार्टियों की सूची में भी मुस्लिम नाम गायब हैं.

सियासी विश्लेषक मानते हैं कि इस बार एनडीए की रणनीति पूरी तरह से कोर वोटर एकजुटता पर केंद्रित है, जिसमें मुस्लिम प्रतिनिधित्व को प्रतीकात्मक स्तर पर भी सीमित रखा गया है. दूसरी ओर, विपक्षी महागठबंधन इस मुद्दे को भुनाने की कोशिश में है. कांग्रेस और राजद दोनों पहले ही बीजेपी पर मुस्लिमों की उपेक्षा का आरोप लगा चुके हैं और शाहनवाज़ हुसैन को स्टार प्रचारक सूची से बाहर रखना उनके लिए एक नया राजनीतिक हथियार साबित हो सकता है.

अब देखना यह होगा कि बीजेपी का यह रणनीतिक बदलाव उसे चुनावी लाभ दिलाता है या विपक्ष इसे राजनीतिक विमर्श का मुद्दा बनाकर बीजेपी पर दबाव बढ़ाने में सफल होता है. एक बात तो तय है शाहनवाज़ हुसैन की गैर-मौजूदगी ने बिहार की सियासी चर्चा को एक नया मोड़ जरूर दे दिया है. 

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