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बिहार चुनाव: अपने गढ़ में बीजेपी बनाएगी 'अर्द्धशतक'.. मिथिलांचल जीतना क्यों जरूरी समझिए

बीजेपी का मिथिलांचल में रिकॉर्ड काफी जोरदार है. बिहार चुनाव में बीजेपी इस बार भी अपने इस गढ़ को बचाने के लिए पूरी कोशिश में जुटी हुई है. हालांकि, महागठबंधन भी इस बार बीजेपी को घेरने की पूरी रणनीति तैयार कर मैदान में है.

बिहार चुनाव: अपने गढ़ में बीजेपी बनाएगी 'अर्द्धशतक'.. मिथिलांचल जीतना क्यों जरूरी समझिए
मिथिलांचल है बीजेपी का गढ़
पटना:

मिथिला की राजनीति में पांव जमाना बीजेपी के लिए आसान नहीं रहे. कांग्रेस का गढ़ समझे जाने वाले मिथिला में बीजेपी ने 1980 से ही प्रयास आरंभ कर दिए थे. कांग्रेस का परंपरागत वोट ब्राह्मणों के कांग्रेस से खिसकने के बाद बीजेपी मजबूती की ओर अग्रसर हुई.बीजेपी का आधार वोट ब्राह्मण के बनने के बाद कांग्रेस का चुनावी सफर में सफाई हो गई. लेकिन इस बार का विधानसभा चुनाव बीजेपी के लिए आसान नहीं माना जा रहा है. दरभंगा-मधुबनी जिले के चार विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस महागठबंधन के साथ चुनाव लड़ रही है. कांग्रेस बेनीपुर, जाले, बेनीपट्टी और फुलपरास विधानसभा क्षेत्र से लड़ रही है. इन चार क्षेत्रों में तीन सीटों पर कांग्रेस ने ब्राह्मण उम्मीदवार को और एक सीट से अति पिछड़ा धानुक जाति को उम्मीदवार बनाया है. बीजेपी इस क्षेत्र में अपने प्रभुत्व को बरकरार रखने के लिए पूरी शक्ति झोक दी है.

कांग्रेस को बेदखल कर बीजेपी ने लहराया परचम 

इस क्षेत्र से कांग्रेस को बेदखल करने में बीजेपी को एक लंबा सफर तय करना पड़ा. 1985  के विधानसभा चुनाव से बीजेपी ने पांव जमाने के लिए जो अभियान शुरू किया उसमें उसे महज दस वर्षों के बाद ही 1995 में दरभंगा शहर से अपने विधायक बनाने में सफल रही. लेकिन अन्य सभी क्षेत्रों में बीजेपी की पैठ नहीं बन पाई. 2020 के चुनाव में बीजेपी और एनडीए अधिकांश सीटों पर कब्जा करने में सफल रही. गत विधानसभा चुनाव में दरभंगा के बाकी दस सीटों में से 9 सीटों पर एनडीए कब्जा करने में सफल हुई थी. वही एकमात्र सीट दरभंगा ग्रामीण से आरजेडी के ललित कुमार यादव महागठबंधन के जीते हुए प्रत्याशी थे. दरभंगा ग्रामीण से अब तक कभी भी भारतीय जनता पार्टी का विधायक नहीं हुआ है.

मिथिलांचल में 37 बार खिला है कमल 

मिथिलांचल में अब तक बीजेपी नेताओं को विधानसभा के चुनाव में 37 बार कमल खिलाने का मौका मिला है. दरभंगा में 18, समस्तीपुर में चार और मधुबनी में अब तक बीजेपी से 15 विधायक बने हैं. हालांकि, इस बार इसमें 13 और जोड़ने की आजमाइश चल रही है. अगर ऐसा होता है तो मिथिला की राजनीति इतिहास में बीजेपी विधायकों की संख्या 50 हो जाएगी. इसी को देखते हुए दरभंगा के नगर से संजय सरावगी को छठी बार, जाले से जीवेश कुमार को तीसरे बार, केवटी से मुरारी मोहन झा, हायाघाट से रामचंद्र प्रसाद को दूसरी बार और गौड़ा-बौराम से सुजीत कुमार सहित अलीनगर से मैथिली ठाकुर को पहली बार टिकट देकर मैदान में उतारा गया है.  बता दें कि सुजीत की पत्नी स्वर्णा सिंह वीआइपी से निर्वाचित होने के बाद बीजेपी में शामिल हो गई थी. जबकि, उनके साथ आए अलीनगर से वीआईपी विधायक मिश्री लाल यादव ने चुनावी समय में बीजेपी का दामन छोड़ दिया. उधर, कमल खिलने में सबसे कम ग्रोथ वाले समस्तीपुर से इस बार भी पार्टी ने अपने दोनों वर्तमान विधायक पर ही भरोसा किया है. मोहद्दीनगर से राजेश कुमार सिंह और रोसड़ा से वीरेंद्र कुमार चुनावी मैदान में हैं. उधर, मधुबनी के बेनीपट्टी, विस्फी, खजौली, झंझारपुर और राजनगर से क्रमश: वर्तमान विधायक विनोद नारायण झा, हरिभूषण ठाकुर बचौल, अरुण शंकर प्रसाद, नीतीश मिश्रा और डॉ. सुजीत पासवान को कमल खिलाने की जवाबदेही दी गई है.

दरभंगा से पहले बीजेपी विधायक

1985 में कमल निशान से पहली बार मिथिला के तीनों जिले में 19 प्रत्याशियों ने नामांकन कराया था. इसमें मात्र एक को 1995 में जाकर दरभंगा से शिवनाथ वर्मा को सफलता मिली. इसके साथ ही शिवनाथ वर्मा के नाम का यह रिकार्ड बन गया है. उनके साथ दरभंगा से सात, समस्तीपुर और मधुबनी से छह-छह जगहों पर पार्टी ने अपने प्रत्याशी उतारे थे. इसमें दरभंगा से शिवनाथ वर्मा को 14.73, जाले से रामलखन यादव को 7.54, केवटी से दुर्गा दास राठौर को 9.13, हायाघाट से महादेव प्रसाद जायसवाल को 2.79 और बहेड़ा से पवन कुमार ठाकुर को 2.55 प्रतिशत मत प्राप्त हुआ था. जबकि, समस्तीपुर के सिंघिया से गणेशी पासवान को 1.20, कल्याणपुर से रामलगखन सहनी को 5.61, सरायरंजन से यशोदानंद सिंह को 25.45 और विभूतिपुर से वसंत शर्मा 11.61प्रतिशत मत प्राप्त हुआ था. जबकि, दलसिंहसराय से कृष्णनंदन को मात्र 160 और हसनपुर से जयगौपाल शर्मा को 649 मत मिले थे. मधुबनी के मधेपुर से अशोक कुमार को 2.02, मधुबनी से हारून रशीद को 8.79 प्रतिशत, बाबूबरही से बालेश्वर सिंह भारती को 10.24 और पंडौल से दिवाकर प्रसाद यादव 0.14 प्रतिशत सहित बेनीपट्टी से व्रजकांत झा मात्र 900 मत मिले थे. इसमें सिर्फ शिवनाथ वर्मा पर ही पार्टी ने भविष्य के लिए भरोसा जताया. जो 1995 में विधायक बनने में कामयाब हो गए.

1985 में चुनाव लड़ने वाले रामदेव को चार बार मिली सफलता 

1985 में चुनाव लड़ने वाले 16 प्रत्याशियों में एक मधुबनी के रामदेव महतो को चार बार विधायक बनने मौका मिला है. उस दौर में दरभंगा के जाले से कृष्ण मोहन सिंह को 14.18, दरभंगा से जगदीश साह को 18.06, केवटी से दुर्गा दास राठौर को 11.48, हायाघाट से रंगनाथ ठाकुर को 1.55, दरभंगा ग्रामीण से महादेव चौधरी को 2.82 बहेड़ी के विशंभर चौधरी को 5.14 और मनीगाछी से गंगा प्रसाद झा को 1.78 प्रतिशत मत मिला था. समस्तीपुर से भाग्यनारायण राय को मात्र 1995 मत, कल्याणपुर से जवाहर प्रसाद सिंह को 5.36, सरायरंजन से यशोदानंदन सिंह को 21.35 प्रतिशत मत मिले थे. वहीं मधुबनी के हरलाखी से रोहित कुमार यादव को 1.06, खजौली से रामफल पासवान को 2.88, मधुबनी से रामदेव महतो को 11.70, फुलपरास से चंद्रशेखर झा को 1.69, बेनीपट्टी से अयोध्यानाथ झा को 3.75, विस्पी से रामफल यादव को 5.77, बाबूबरही से बालेश्वर सिंह भारती को 4.98 और पंडोल से कृष्णा नंदन सिंह को 4. 89 मत प्राप्त हुआ था.


इनको मिला मौका, बढ़ा मत प्रतिशत 

दरभंगा से 1995 में शिवनाथ वर्मा, जाले से 2000 और 2010 में विजय कुमार मिश्रा और 2015-20 में जीवेश कुमार्, केवटी से 2005 से लगातार तीन बार अशोक कुमार यादव और 2020 में मुरारी मोहन झा, 2010 में हायाघाट से अमरनाथ गामी, 2020 में रामचंद्र प्रसाद, 2010 कुशेश्वरस्थान से शशिभूषण हजारी, बेनीपुर से गोपालजी ठाकुर, 2005 से लगातार संजय सरावगी विधायक बने. जबकि, समस्तीपुर से रोसड़ा से 2010 मंजू हजारी, 2020 में वीरेंद्र कुमार और मोहद्दीनगर से 2010 में राणागंगेश्वर सिंह सहित 2020 में राकेश सिंह ने कमल खिलाने का काम किया. 

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