बिहार के उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव राष्ट्रीय राजधानी की नौकरशाही पर नियंत्रण को लेकर केंद्र सरकार के अध्यादेश को 23 जून को होने वाली गैर भाजपा दलों की बैठक के एजेंडे में शीर्ष पर रखने की दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की मांग को लेकर बुधवार को पूछे गए सवालों का सीधा जवाब देने से बचते नजर आए. तेजस्वी यादव ने कहा कि विपक्षी नेताओं की यह पहली बैठक नहीं है और न ही यह आखिरी होगी. अलग-अलग राय रखने वाले नेता एक साथ मिलने पर सहमत हुए हैं और वे सभी उन मुद्दों को उठाएंगे जिन्हें वे गंभीर मानते हैं. इसमें कोई समस्या नहीं है.
आम आदमी पार्टी (आप) के प्रमुख केजरीवाल के बयान पर तेजस्वी यादव देर शाम पत्रकारों के सवालों का जवाब दे रहे थे. केजरीवाल ने इस बात पर जोर दिया कि बैठक में चर्चा की जाने वाली पहली बात केंद्र के अध्यादेश से संबंधित विधेयक को राज्यसभा में पारित नहीं होने देने पर केंद्रित होनी चाहिए. तेजस्वी यादव ने भाजपा के ‘आएगा तो मोदी ही' के नारे पर तंज कसते हुए कहा कि ऐसा लगता है कि वे (भाजपा) भूल गए हैं कि कुछ भी स्थायी नहीं होता है. कोई अमर नहीं होता है.
हमने राज्य (बिहार) पर शासन किया लेकिन फिर एक समय आया जब हमें विपक्ष में बैठना पड़ा. आने वाले लोकसभा चुनाव किसी एक नेता के लिए नहीं होने जा रहे हैं. यह लोगों के सामने आने वाले मुद्दों को लेकर होंगे जिन्हें भुला दिया प्रतीत होता है. विपक्ष की बैठक का उद्देश्य एक ऐसा कार्यक्रम तैयार करना होगा, जिससे लोगों के मुद्दे राजनीति के केंद्र में आ सके.
शुक्रवार को यहां होने वाली बैठक में सीएम केजरीवाल के अलावा कांग्रेस नेता राहुल गांधी, तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ममता बनर्जी, द्रमुक अध्यक्ष एमके स्टालिन, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के प्रमुख शरद पवार, पीडीपी अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती और झारखंड मुक्ति मोर्चा के नेता हेमंत सोरेन जैसे समेत अन्य नेताओं के भाग लेने की उम्मीद है.
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