Bihar: बिहार (Bihar) के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार अपनी पार्टी जनता दल यूनाइटेड (JDU) के नेताओं के हाल के बयानों, ख़ासकर 'पीएम मैटीरियल' संबंधी बयान से ख़फ़ा हैं.हालांकि नीतीश कुमार (Nitish Kumar) ने अपनी नाराज़गी किसी नेता विशेष के सामने नहीं दिखाई हैं लेकिन पार्टी में सब मानते हैं कि रविवार और उसके पहले से इस विषय पर बयानबाज़ी से सीएम की राजनीतिक फज़ीहत कराई गई है. बुधवार को इस पूरे बयान के पीछे और उसको हवा देने वाले उपेन्द्र कुशवाहा ने यह कहकर इस मुद्दे से पीछा छुड़ाया कि जो भी कहना था, वो राष्ट्रीय परिषद की बैठक में कह दिया गया. कुशवाहा के बदले बदले सुर से सबको लग गया कि उन्हें नीतीश की नाराज़गी का अंदाज़ा हो गया हैं इसलिए वे अब इस मामले को तूल नहीं देना चाहते. खुद नीतीश ने पहले रविवार को यह कहकर कि न उनकी इच्छा है, न अपेक्षा, मामले का पटाक्षेप करने का पूरा प्रयास किया. फिर मंगलवार को उन्होंने साफ़ किया कि इस सम्बंध में न तो कोई प्रस्ताव पारित हुआ हैं न कोई चर्चा हुई. इस सवाल पर सीएम ने मीडिया के सामने जिस तरह से हाथ जोड़ लिए उससे साफ़ था कि उन्हें पूरी बहस, भाजपा और अन्य दलों की प्रतिक्रिया और अपने पार्टी के नेताओं से इस मुद्दे पर शिकायत है.
नीतीश के 'पीएम मैटीरियल' होने संबंधी JDU के प्रस्ताव पर बयानबाजी तेज, जानें किस पार्टी ने क्या कहा..
जेडीयू के वरिष्ठ नेताओं का कहना हैं कि इस मुद्दे पर पटना से दिल्ली तक, नीतीश की पिछले तीन दिन के दौरान जो फ़ज़ीहत हुई उसके लिए न केवल उपेन्द्र कुशवाहा बल्कि पार्टी के वरिष्ठ नेता केसी त्यागी और राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह भी ज़िम्मेवार हैं क्योंकि किसी ने उसी राष्ट्रीय परिषद की बैठक में जो तीन महत्वपूर्ण प्रस्ताव पारित हुए जिसमें रोहिणी कमीशन की रिपोर्ट को सार्वजनिक करने की मांग की गई जिससे बिहार कि तर्ज़ पर अत्यंत पिछड़े वर्ग की जातियों के लिए सामाजिक और आर्थिक प्रयास किये जा सके. इसके अलावा जनसंख्या नियंत्रण करने के लिए पारित प्रस्ताव में कठोर नियंत्रण अथवा किसी नकारात्मक नतीजों वाले प्रयास के बजाय जागरूकता अभियान और बालिका शिक्षा के विस्तार के माध्यम से जनसंख्या वृद्धि को कम करने का समर्थन किया गया है. इसी तरह जलवायु परिवर्तन के मुद्दे पर भी केंद्र सरकार से बिहार के जन जीवन हरियाली मॉडल को अपनाने की सलाह दी गई. साथ ही राजनीतिक प्रस्ताव में उत्तर प्रदेश के आगामी विधान सभा चुनावों में भाजपा से समुचित हिस्सेदारी मतलब सीटों की मांग करने के लिए राष्ट्रीय अध्यक्ष को अधिकृत किया गया.
नीतीश समर्थकों का कहना हैं कि ये सारे प्रस्ताव, जिनका आने वाले समय में राष्ट्रीय राजनीति में कोई न कोई असर होगा, की चर्चा भी नहीं हुई और यह संदेश अख़बारों के हेडलाइन से गया कि नीतीश कुमार ने प्रधान मंत्री पद के लिए अपनी दावेदारी इस राष्ट्रीय परिषद में पेश की है. भारतीय जनता पार्टी (BJP) के नेता भी मानते हैं कि जातिगत जनगणना की मांग के बाद नीतीश का रोहिणी कमीशन की रिपोर्ट सार्वजनिक करने की मांग से पता चलता है कि वे मुद्दे पर दिनोंदिन अपना स्टैंड और मज़बूत कर रहे हैं और कहीं न कहीं बीजेपी को घेरने की कोशिश जारी हैं
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