लेखक दया प्रकाश सिन्हा की ओर से सम्राट अशोक को लेकर की गई टिप्पणी के बाद से बिहार में सियासत तेज है. इस मसले पर बिहार में बीजेपी और जदयू नेताओं के बीच बयानों का दौर जारी है. जनता दल यूनाइटेड ने लेखक द्वारा की गई कुछ टिप्पणियों को आधार बनाते हुए उनसे तमाम पुरस्कार वापस लेने की मांग पीएम मोदी से की है.
जदयू नेता ललन सिंह ने ट्वीट किया है, 'सम्राट अशोक के लिए अपशब्दों का इस्तेमाल करने वाला व्यक्ति किसी सम्मान के लायक नहीं. इनके विरुद्ध मोदी सरकार सरकार से सख्त कार्रवाई की मांग करते हुए महामहिम राष्ट्रपति से आग्रह करता हूं कि इनका पद्मश्री व सभी अन्य पुरस्कार रदद् करें. इन्हें निष्कासित करें.'
सम्राट अशोक के लिए अपशब्दों का इस्तेमाल करने वाला व्यक्ति किसी सम्मान के लायक नहीं। इनके विरुद्ध @narendramodi सरकार से सख्त कार्रवाई की मांग करते हुए महामहिम @rashtrapatibhvn जी से आग्रह करता हूं कि इनका पद्मश्री व सभी अन्य पुरस्कार रदद् करें। @BJP4India इन्हें निष्कासित करे।2/2 https://t.co/h79iIuXD2h
— Rajiv Ranjan (Lalan) Singh (@LalanSingh_1) January 11, 2022
बता दें कि यह विवाद उस समय से शुरू हुआ है, जब जनता दल संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष उपेन्द्र कुशवाहा ने पिछले हफ्ते एक ट्वीट कर इस पूरे मामले को सार्वजनिक किया. वहीं पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह ने भी बिना कोई समय गंवाए इस मामले पर ट्वीट कर अपनी प्रतिक्रया दी.
86 वर्षीय लेखक दया प्रकाश सिन्हा 2010 से किसी राजनीतिक दल में नहीं हैं।
— Sushil Kumar Modi (@SushilModi) January 14, 2022
उनके एक इंटरव्यू को गलत ढंग से प्रचारित कर एनडीए को तोड़ने की कोशिश की गई।
हालांकि, इसके बाद दया प्रकाश सिन्हा ने कुछ अखबारों को इंटर्व्यू दे इस मुद्दे पर अपनी सफाई दी और बिहार भाजपा के नेताओं ने उनके खिलाफ प्राथमिकी भी दर्ज कराई. खुद बिहार बिहार भाजपा के वरिष्ठ नेता सुशील मोदी लगातार इस मुद्दे पर ट्वीट करते रहे. उन्होंने ट्वीट किया, '86 वर्षीय लेखक दया प्रकाश सिन्हा 2010 से किसी राजनीतिक दल में नहीं हैं. उनके एक इंटरव्यू को गलत ढंग से प्रचारित कर एनडीए को तोड़ने की कोशिश की गई है.वहीं भाजपा नेता सुशील मोदी ने इस मामले को लेकर एक और ट्वीट के जरिए बताया कि दया प्रकाश सिन्हा ने एक हिंदी दैनिक से ताजा इंटरव्यू में जब सम्राट अशोक के प्रति आदर भाव प्रकट करते हुए सारी स्थिति स्पष्ट कर दी है, तब एनडीए के दलों को इस विषय का यहीं पटाक्षेप कर परस्पर बयानबाजी बंद करनी चाहिए. सुशील मोदी की इस अपील के बाद जनता दल यूनाइटेड अब भी लेकर से साहित्य अकादमी पुरस्कार और पद्म श्री वापस लेने की मांग पर अड़ी हुआ है.
दया प्रकाश सिन्हा ने एक हिंदी दैनिक से ताजा इंटरव्यू में जब सम्राट अशोक के प्रति आदर भाव प्रकट करते हुए सारी स्थिति स्पष्ट कर दी, तब एनडीए के दलों को इस विषय का यहीं पटाक्षेप कर परस्पर बयानबाजी बंद करनी चाहिए।
— Sushil Kumar Modi (@SushilModi) January 14, 2022
शनिवार को इस क्रम में पार्टी के प्रवक्ता नीरज कुमार ने उनकी पुस्तक का हवाला देते हुए कहा है कि दया प्रकाश सिन्हा ने सम्राट अशोक का अपमान किया है. वहीं इस मामले पर उपेंद्र कुशवाहा ने भी ट्वीट किया, 'प्रियदर्शी सम्राट अशोक महान का अपमान अखंड भारतवर्ष का अपमान है. जब तक भारत सरकार दया प्रकाश सिन्हा से साहित्य अकादमी और पद्मश्री पुरस्कार वापसी के लिए कारगर कदम नहीं उठाती, हमारा विरोध जारी रहेगा.
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इस पूरे विवाद के माध्यम से जनता दल यूनाइटेड कड़े तेवर अपनाए हुए है. वहीं इस मामले को जोड़ते हुए कुशवाहा समाज में भाजपा के हाल के वर्षों में जो विस्तार का कार्यक्रम चला है या नीतीश के परंपरागत वोटरों के इस समूह में जो सेंधमारी का प्रयास किया गया है, उस पर जदयू की ओर से एक विराम लगाने का प्रयास किया जा रहा है. ये बात भाजपा के नेताओं को भी मालूम है. लेकिन उन्हें लगता है कि फिलहाल यूपी चुनाव के मद्देनजर इसे अधिक तूल ना दिया जाये.
प्रियदर्शी सम्राट अशोक महान का अपमान समूचे बृहत अखंड भारतवर्ष का अपमान है। जब तक भारत सरकार श्री दया प्रकाश सिन्हा से साहित्य अकादमी और पद्मश्री पुरस्कार वापसी के लिए कारगर कदम नहीं उठाती, हमारा विरोध जारी रहेगा।#सम्राट_अशोक_का_अपमान_नहीं_सहेगा_हिंदुस्तान pic.twitter.com/jZfV3wbxyr
— Upendra Kushwaha (@UpendraKushJDU) January 15, 2022
बता दें कि दया प्रकाश सिन्हा ने एक इंटरव्यू में कहा था कि जब वे सम्राट अशोक नाटक लिख रहे थे तब उन्होंने रिसर्च किया था. इस दौरान उन्हें आश्चर्य हुआ कि अशोक और मुगल बादशाह औरंगजेब के चरित्र में बहुत समानता है. इसके अलावा भी कई सारी चीजे ऐसी कही थीं, जिस पर जदयू नेताओं ने अपनी नाराजगी जताई है. इस मसले पर जदयू के नेता और प्रवक्ता हर दिन कुछ नये तथ्यों के साथ बीजेपी को घेरने की कोशिश करते हैं.
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