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बिहार: 87 करोड़ की लागत से बन रहे अस्पताल की इमारत में आई दरार, मटेरियल की क्वालिटी पर सवाल

भले ही इंजीनियर टेक्निकल शब्द और वजह बताकर लोगों को चुप करा रहे हों लेकिन पिछले रिकॉर्ड को देखा जाए तो सरकारी भवन हो या पुल-पुलिया, बनने के कुछ ही दिनों बाद ये ध्वस्त हो रहे हैं. बिल्डिगों का हाल भी खराब है.

बिहार: 87 करोड़ की लागत से बन रहे अस्पताल की इमारत में आई दरार, मटेरियल की क्वालिटी पर सवाल
जहानाबाद अस्पताल की निर्माणाधीन इमारत में दरार.
जहानाबाद:

बिहार में अक्सर ऐसे मामले सामने आए हैं, जब घटिया निर्माण की वजह से कई पुल और पुलिया ध्वस्त हो गए. इसके बाद भी  निर्माण कंपनियां सबक सीखने का नाम नहीं ले रही हैं. घटिया निर्माण से जुड़ा नया मामला जहानाबाद से सामने आया है. जहानाबाद के सदर अस्पताल (Jahanabad Sadar Hospital) की निर्माणाधीन बहुमंजिला इमारत में दरार आ गई है. करीब 87 करोड़ की लागत से बन रहे 150 बेड के इस अस्पताल भवन के निर्माण के दौरान ही छत में दरार आ गई है, जो हैरान कर देने वाला है. दरार आने के बाद एक बार फिर से मटेरियल की क्वालिटी पर सवाल उठ रहे हैं.

निर्माणाधीन इमारत की छत में दरार

दरअसल अस्पताल के फर्स्ट फ्लोर के ढलाई के कुछ ही दिन बाद छत में दरार आ गई, जिससे पानी का रिसाव होने लगा. अब इसकी मजबूती पर भी शक हो रहा है. स्थानीय लोगों का कहना है कि अस्पताल में जैसा निर्माण कार्य चल रहा है, उससे पता चलता है कि न तो यह टिकाऊ है और न ही सुरक्षित. ऐसे में इस अस्पताल में आने वाले मरीज भी संकट में घिर सकते हैं.  

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इमारत में कहीं घटिया मटेरियल तो नहीं लगा?

जब अस्पताल निर्माण कार्य में लगे इंजीनियर सुनील कुमार से घटिया निर्माण कार्य के बारे में पूछा गया तो उन्होंने टेक्निकल भाषा में समझाते हुए कहा की ढलाई के दौरान क्यूरिंग और सेंटिंग की वजह से छत में दरार दिख रही है. इसी वजह से उसमें से पानी का रिसाव हो रहा है. उनका कहना है कि छत की मजबूती के लिए वाटर क्यूरिंग की जरूरत होती है. वहीं जब साइड इंचार्ज विकाश कुमार पांडेय से बहुमंजिला इमारत में गुणवत्तापूर्ण मटेरियल के बारे में पूछा गया तो उन्होंने चौंकाने वाला बयान देते हुए कहा कि इसमें लगाई जा रही ईंट तीन नंबर की नहीं बल्कि दो नंबर की है, जिसे सोलिंग के लिए लाया गया है.

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डीएम कह रहीं क्वालिटी जांच की बात

वहीं डीएम अलंकृता पांडेय ने मामले का संज्ञान लेते हुए कहा कि शिकायत की जांच कराई जाएगी.अगर मटेरियल क्वालिटी रिलेटेड इश्यूज है तो उसकी संबंधित इंजीनियर से बात कर जांच कराई जाएगी. 

बिहार में अक्सर गिर जाते हैं पुल

भले ही इंजीनियर टेक्निकल शब्द और वजह बताकर लोगों को चुप करा रहे हों लेकिन पिछले रिकॉर्ड को देखा जाए तो सरकारी भवन हो या पुल-पुलिया, बनने के कुछ ही दिनों बाद ये ध्वस्त हो रहे हैं. बिल्डिगों का हाल ऐसा हो जाता है कि बनते-बनते ही उनमें दरार आने लगती है या फिर सीमेंट झड़ने लगती है. देखना होगा कि जहानाबाद में करोड़ों की लागत से बन रहे सदर अस्पताल का क्या होगा.
 

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