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बिहार की हॉट सीट कहलगांव... NDA और महागठबंधन दोनों बागियों से परेशान, क्या कहता है समीकरण

कहलगांव बिहार में उन गिनी चुनी सीटों में से एक है, जहां चौतरफा लड़ाई है. यहां महागठबंधन से राजद और कांग्रेस के प्रत्याशी मैदान में हैं. तो दूसरी ओर एनडीए में जदयू प्रत्याशी के खिलाफ बीजेपी विधायक ताल ठोंक रहे हैं.

बिहार की हॉट सीट कहलगांव... NDA और महागठबंधन दोनों बागियों से परेशान, क्या कहता है समीकरण
कहलगांव में एनडीए प्रत्याशी के लिए चुनाव प्रचार करते केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान.
  • भागलपुर की कहलगांव विधानसभा सीट पर एनडीए और महागठबंधन दोनों को बागियों से चुनौती मिल रही है.
  • कांग्रेस के पूर्व नेता सदानंद सिंह के पुत्र शुभानंद मुकेश इस बार जेडीयू के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं.
  • भाजपा के बागी और वर्तमान विधायक पवन यादव इस बार निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में जोरदार मुकाबला कर रहे हैं.
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कहलगांव (भागलपुर):

Kahalgaon Assembly Seat: बिहार विधानसभा चुनाव के दूसरे चरण में भागलपुर में भी चुनाव होना है. भागलपुर की एक विधानसभा सीट है- कहलगांव. इस सीट की चर्चा इस चुनाव में खूब हो रही है. कारण यहां NDA और महागठबंधन दोनों बागियों से परेशान है. दरअसल कहलगांव बिहार में उन गिनी चुनी सीटों में से एक है, जहां चौतरफा लड़ाई है. कहलगांव वो सीट है, जहां से कांग्रेस से अपने समय के बड़े नेता सदानंद सिंह के पुत्र शुभानंद मुकेश JDU के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं. यहां महागठबंधन में भी फूट है तो JDU बागी से परेशान है.

NTPC के लिए चर्चित है कहलगांव

भागलपुर का कहलगांव NTPC थर्मल पावर के लिए जाना जाता है. कहलगांव के NTPC की 2340 मेगावाट बिजली उत्पादन की क्षमता है. एनटीपीसी की वजह से यहां ट्रकों की लगातार आवाजाही के कारण सड़क और जाम की समस्या गंभीर है. यह विक्रमशिला के निकट स्थित है, जो पाल वंश के दौरान नालंदा के साथ-साथ दुनिया भर में बौद्ध शिक्षा का एक प्रसिद्ध केंद्र था.

यहां से NDA की तरफ से शुभानंद मुकेश चुनाव मैदान में हैं, जो बिहार विधानसभा के पूर्व अध्यक्ष और कांग्रेस नेता सदानंद सिंह के बेटे हैं.

9 बार विधायक रहे सदानंद सिंह के बेटे है JDU प्रत्याशी

सदानंद सिंह कहलगांव से 9 बार विधायक रहे. जिसमें 8 बार कांग्रेस से और एक बार निर्दलीय. अब उनकी विरासत को बढ़ाने उनके बेटे मैदान में उतरे हैं. शुभानंद पिछली बार कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़े थे. मगर इस बार जेडीयू के टिकट पर लड़ रहे हैं.

कहा जा रहा है कि बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने उन्हें चुनाव लड़ने के लिए तैयार किया है. यही वजह है कि एनडीए ने पूरी ताकत लगा रखी है. यहां डिप्टी सीएम सम्राट चौधरी, चिराग पासवान सहित कई बड़े नेताओं की जनसभाएं हो चुकी है.

जदयू प्रत्याशी के पक्ष में खगड़िया सांसद का रोड शो.

जदयू प्रत्याशी के पक्ष में खगड़िया सांसद का रोड शो.

शुभानंद के खिलाफ बीजेपी के पवन यादव मैदान में उतरे

शुभानंद मुकेश पेशे से इंजीनियर हैं उनकी पत्नी भी डॉक्टर हैं. उनके खिलाफ कहलगांव सीट पर तीन और प्रमुख उम्मीदवार मैदान में हैं, जिनमें से यहां के विधायक पवन यादव भी हैं. जो बीजेपी से 2020 में रिकार्ड मतों से जीते थे. मगर इस बार टिकट ना मिलने पर बागी हो गए हैं, और पूरे दमखम के साथ डटे हुए हैं.

कहलगांव सीट पर बीजेपी के बागी नेता पवन यादव का कहना है कि "मेरे पिछले 5 साल के काम को देखकर जनता वोट देगी."

कहलगांव में महागठबंधन में भी राजद और कांग्रेस की रार

कहलगांव में महागठबंधन की भी अपनी कहानी है. यहां से कांग्रेस और RJD के बीच गठबंधन नहीं हो पाया. जिसकी वजह से दोनों पार्टी के उम्मीदवार मैदान में हैं. कांग्रेस से प्रवीण कुशवाहा चुनाव मैदान हैं तो RJD से रजनीश यादव. राजनीश यादव के पिता संजय यादव झारखंड में RJD कोटे से मंत्री हैं. रजनीश यादव अपने आप को महागठबंधन का असली उम्मीदवार मानते हैं.

रजनीश यादव ने कहा, “गठबंधन यदि टूटता तो इतना जन सैलाब नहीं आता,उनकी रैली में तो भीड़ ही नहीं है.”

कांग्रेस से प्रवीण कुशवाहा मैदान में

वहीं कांग्रेस के उम्मीदवार प्रवीण कुशवाहा भी मैदान में डटे हुए हैं और राहुल गांधी के भरोसे अपनी नैया पार लगाना चाहते हैं. आरजेडी के तमाम कोशिशों के बावजूद कांग्रेस ने कहलगांव सीट नहीं छोड़ी और इसके लिए अंत अंत तक दोनों दलों में बातचीत होती रही मगर कोई पीछे हटने को तैयार नहीं हुआ.

कहलगांव के कांग्रेस उम्मीदवार प्रवीण कुशवाहा का कहना है कि एक व्यक्ति की महत्वाकांक्षा इतनी हावी हो गई कि मुख्यमंत्री बनने वाला नेता भी विवश हो गया“.

आम आदमी के रोजगार सबसे बड़ा मुद्दा

जहां तक आम जनता की बात है खासकर युवाओं की तो बेरोजगारी सबसे बड़ा मुद्दा है. भागलपुर जिले में कहलगांव अकेला ऐसा विधानसभा नहीं है जहां महागठबंधन एक दूसरे के खिलाफ लड़ रहा है, यही स्थिति सुलतानगंज में भी है जहां महागठबंधन आमने-सामने है. अब देखना है कि कलहगांव की इस चौतरफा लड़ाई में जनता किसे अपना नेता चुनती है.

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