विज्ञापन

बिहार सरकार ने नीलगाय और जंगली सूअर को मारने की अनुमति दी

राज्य के पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री प्रेम कुमार और कृषि मंत्री मंगल पांडे की अध्यक्षता में हुई संयुक्त बैठक के दौरान राज्य में ‘घोड़परास’ नाम से मशहूर नीलगायों और जंगली सूअरों को मारने की अनुमति देने का निर्णय लिया गया.

बिहार सरकार ने नीलगाय और जंगली सूअर को मारने की अनुमति दी
पटना:

नीलगाय और जंगलू सुअर के कारण फसलों को होने वाले नुकसान के मद्देनजर बिहार सरकार ने पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन विभाग के 13 पेशेवर शूटर की मदद से इन पशुओं को मारने की अनुमति देने का फैसला किया है.
पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन विभाग द्वारा बुधवार को जारी एक बयान में कहा गया है कि इन पशुओं को मारने से लेकर दफनाने तक की पूरी प्रक्रिया में गांव के मुखिया की भूमिका महत्वपूर्ण है.

राज्य के पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री प्रेम कुमार और कृषि मंत्री मंगल पांडे की अध्यक्षता में हुई संयुक्त बैठक के दौरान राज्य में ‘घोड़परास' नाम से मशहूर नीलगायों और जंगली सूअरों को मारने की अनुमति देने का निर्णय लिया गया. बैठक में दोनों विभागों के वरिष्ठ अधिकारी शामिल हुए. बिहार के करीब 30 जिले इन दोनों इन जानवरों के आतंक से प्रभावित हैं.

एक अनुमान के मुताबिक, इन जिलों में घोड़परास की कुल संख्या करीब तीन लाख है, जबकि जंगली सूअरों की तादाद तकरीबन 67,000 है.

प्रेम कुमार ने बुधवार को ‘पीटीआई-भाषा' से कहा, “वन्य जीव (संरक्षण) अधिनियम के मौजूदा प्रावधानों के अनुसार, संरक्षित क्षेत्र के बाहर पेशेवर शूटर की मदद से इन दोनों प्रजातियों की पहचान करने और उन्हें मारने की अनुमति देने के लिए मुखिया को नोडल प्राधिकारी नियुक्त किया गया है. संबंधित मुखिया पर्यावरण एवं वन विभाग तथा कृषि विभाग के अधिकारियों के साथ समन्वय कर अपने क्षेत्र के किसानों से प्राप्त शिकायतों के आधार पर पेशेवर शूटर द्वारा नीलगाय तथा जंगली सूअर को मारने की अनुमति दे सकते हैं.”

उन्होंने कहा कि ये दोनों जानवर झुंड में घूमते हैं तथा एक दिन में कई एकड़ फसलों को नष्ट कर देते हैं. मंत्री ने कहा कि राज्य के कुछ जिलों में किसान अपनी तैयार फसलों को नीलगाय तथा जंगली सूअर से बचाने के लिए पूरी रात रखवाली करते हैं. उन्होंने कहा कि इनसे न केवल फसलों को नुकसान होता है, बल्कि नीलगाय सड़क हादसों की वजह भी बनती हैं. मंत्री कहा कि मानव-पशु संघर्ष के कारण कई लोगों की जान भी चली गई है.

मंत्री ने कहा कि सरकार उन किसानों को मुआवजा (50,000 रुपये प्रति हेक्टेयर) भी देती है, जिनकी फसलों को इन दोनों जानवरों द्वारा नुकसान पहुंचाया जाता है.

ह्यूमेन सोसाइटी इंटरनेशनल/इंडिया के प्रबंध निदेशक आलोकपर्ण सेनगुप्ता ने सरकार के दृष्टिकोण की आलोचना की और तर्क दिया कि जानवरों को मारना एक स्थायी समाधान नहीं है और मानव-वन्यजीव संघर्ष की समस्या को हल करने के लिए अधिक प्रभावी उपायों की जरूरत है.
 

(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं

फॉलो करे:
डार्क मोड/लाइट मोड पर जाएं
Previous Article
तालाब से नहीं सड़क पर हो रही मछलियों की लूट, आखिर माजरा क्या है?
बिहार सरकार ने नीलगाय और जंगली सूअर को मारने की अनुमति दी
बिहार सरकार 2025 के विधानसभा चुनाव से पहले ग्रामीण सड़क नेटवर्क को मजबूत करेगा
Next Article
बिहार सरकार 2025 के विधानसभा चुनाव से पहले ग्रामीण सड़क नेटवर्क को मजबूत करेगा
Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com