
- बिहार में भूराबाल शब्द फिर से चर्चा में है. इसका प्रयोग कभी अगड़ी जातियों को निशाना बनाने के लिए किया गया था.
- पूर्व सांसद आनंद मोहन ने कहा कि उनके 45 मिनट के भाषण से केवल 45 सेकंड का वीडियो वायरल किया गया है.
- आनंद मोहन ने राजद पर आरोप लगाते हुए कहा कि इस घिसे-पिटे नारे ने बिहार को नुकसान ही पहुंचाया है.
बिहार की राजनीति में इन दिनों 'भूराबाल' (bhura baal saaf karo) की चर्चा तेज हो गई है. कुछ दिन पहले पूर्व सांसद आनंद मोहन ने बयान दिया था कि बिहार के सिंहासन पर कौन बैठेगा, ये भूरा बाल वाला तय करेगा. इससे पहले आरजेडी के नेताओं ने भी इस टर्म का इस्तेमाल किया था, जो कि 90 के दशक में लालू प्रसाद यादव इस्तेमाल करते रहे थे. 'भूराबाल' नारे के जरिये अगड़ी जातियों (भूमिहार, राजपूत, ब्राह्मण और लाला/कायस्थ) को टारगेट किया गया था. इस मुद्दे पर एनडीटीवी ने पूर्व सांसद आनंद मोहन से बातचीत की. आनंद मोहन ने इस पर बेबाकी से राय रखी.
'45 मिनट के भाषण में 45 सेकेंड वायरल'
आनंद मोहन ने उनका वीडियो क्लिप वायरल होने को लेकर कहा, 'मेरे 45 मिनट के भाषण का सिर्फ 45 सेकंड निकाला गया.' उन्होंने कहा, ' प्रतिपक्ष की सबसे बड़ी पार्टी की कार्य समिति की बैठक होती है, उसमें भूराबाल की परिभाषा समझाई जाती है. उसके बाद कहा जाता है 90 का दशक याद है ना! वोटर अधिकार यात्रा के दौरान अत्री की सभा में खुले आम यह नारा दिया गया. इसकी प्रतिक्रिया तो होनी थी.'
लालू यादव ने संज्ञान में लेकर कार्रवाई क्यों नहीं की?
उन्होंने राजद को घेरते हुए कहा, 'बेवजह आप गालियां दे रहे हैं. इस बात को बर्दाश्त नहीं कर सकते.' उन्होंने कहा, 'ठीक है कि लालू यादव ने ऐसा कोई बयान नहीं दिया था. रिकॉर्ड में नहीं है पर उनके सामने में उनके दल के लोग परिभाषित कर रहे हैं. कार्य समिति की मीटिंग में इस बात को परिभाषित कर रहे हैं.'
उन्होंने लालू प्रसाद को भी घेरते हुए कहा, 'उन्होंने संज्ञान में लेकर कार्रवाई क्यों नहीं की. इसको हवा कौन दे रहा है. किसने शुरू की, फिर से यह बात.' उन्होंने कहा, 'मुखिया राज्य का कोई और और, नौकरी कोई और बांट रहा है.'
'घिसे-पिटे नारे ने बिहार का नुकसान ही किया'
आनंद मोहन ने कहा, 'वे लोग चाहते हैं कि इसको फिर से फॉरवर्ड और बैकवर्ड का कलर दिया जाए. ये घिसा-पिटा नारा है, जिसनेबिहार का नुकसान किया. इस नारे ने उसे पार्टी का नुकसान किया आज तक जो कमर टूटी, वह सीधी नहीं हुई.'
वे बोले- 'ये लोग फिर से चाहते हैं गोलबंदी करना. मैंने जो कहा, उस बात पर मैं आज भी कायम हूं. कभी जब सवर्णों की राजनीति होती थी तो पिछड़े किंगमेकर थे. आज जब पिछड़ों और दलितों की राजनीति हो रही है तब 10% मायने रखता है. ये 10% जिधर झुकेगा तो निश्चित तौर पर सत्ता उसकी होगी.'
नीतीश कुमार के बेटे निशांत के राजनीति में आने पर उन्होंने कहा, 'नीतीश जी और निशांत पर निर्भर करता है कि वह राजनीति में आएंगे कि नहीं. आनंद मोहन ने कहा, 'मैं विधानसभा का चुनाव नहीं लड़ने जा रहा हूं लड़वाने जा रहा हूं. 2029 में फिर से लोकसभा का चुनाव लड़ूंगा.
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