- बिहार में महिला मतदाता पुरुषों से अधिक हैं, ऐसे में राजनीतिक पार्टियां उन्हें साधने में लगे हैं.
- 2020 के बिहार विधानसभा चुनाव में 119 सीटों पर महिलाओं ने पुरुषों से ज्यादा मतदान किया
- CM नीतीश की लोकप्रियता में महिलाओं का बड़ा योगदान है, जो उन्हें शराबबंदी जैसे कदमों से जोड़ती है
NDA ने जीविका दीदी योजना के तहत बिहार की डेढ़ करोड़ महिलाओं को दस हजार रुपए दिए. तो तेजस्वी ने इसके जवाब में पहले चरण की वोटिंग के महज दो दिन पहले ऐलान कर दिया कि अगर उनकी सरकार बनी तो माता-बहिन मान योजना के तहत मिलने वाला एक साल का पूरा पैसा एक साथ 14 जनवरी को मकर संक्रांति के दिन ही दे दिए जाएंगे. साफ है कि बिहार चुनाव 2025 में हर गठबंधन, हर पार्टी महिला वोट को लुभाना चाहता है. महिला वोटों के लिए ऐसी मारामारी क्यों है, ये समझना चाहिए.

महिला वोटों को लेकर नेताओं की बेकरारी का सबब समझने के लिए सबसे पहले देखिए कि महिलाएं बिहार में अब पुरुषों से ज्यादा बूथ पर आती हैं. 2005 के चुनाव में जहां बिहार की महिलाएं पुरुषों से कम वोट करती थीं, लेकिन 2020 आते-आते उनका मतदान पुरुषों से ज्यादा हो गया. ऐसा सिर्फ एक बार नहीं हुआ है. 2010 में 51 फीसदी पुरुषों ने वोट किया तो 54 फीसदी महिलाओं ने वोट किया. 2015 में 53 फीसदी पुरुषों ने वोट किया तो 60 फीसदी महिलाओं ने. 2020 के चुनाव में पुरुषों से पांच फीसदी ज्यादा महिलाओं ने मतदान किया. 54 फीसदी पुरुषों ने मतदान किया तो 59 फीसदी महिलाओं ने वोट किया.
बिहार विधानसभा चुनाव 2020
कुल 243 सीटों में से 119 सीटों पर पुरुषों से ज़्यादा महिलाओं ने मतदान किया. इन 119 सीटों में से एनडीए को 72 सीटें (60.5%) मिलीं, जबकि महागठबंधन (एमजीबी) को 42 सीटें (35.3%) मिलीं. इसे और विस्तृत रूप से देखें तो, उन 72 सीटों में से BJP ने 38 और जेडी(यू) ने 29 सीटें जीतीं, जिसका अर्थ है कि BJP ने लगभग 50% सीटें जीतीं, जहां महिला मतदाताओं की संख्या पुरुषों से अधिक थी, जबकि जेडी(यू) ने लगभग 40% सीटें हासिल कीं.
बिहार विधानसभा चुनाव 2015
243 सीटों में से 71 सीटों पर महिला मतदान ज्यादा हुआ, इनमें से 61 सीटें अकेले जेडीयू ने जीत लीं.
बिहार विधानसभा चुनाव 2010
243 सीटों में से 119 सीटों पर महिला मतदान ज्यादा हुआ, इनमें से 79 सीटें अकेले जेडीयू ने जीत लीं.
नीतीश की मुरीद महिलाएं
चुनाव एक्सपर्ट और सीवोटर के फाउंडर एडिटर यशवंत देशमुख कहते हैं कि दरअसल नीतीश से बिहार की महिलाओं का नाता पीढ़ी दर पीढ़ी का है. आज से बीस साल पहले जिस स्कूल जाने वाली लड़की को नीतीश कुमार ने साइकिल, कपड़े और स्कॉलरशिप दी थी वो अब घर संभाल रही है और उसे नीतीश घर चलाने के लिए 10-10 हजार रुपया दे रहे हैं.
माना जाता है कि शराबबंदी के कारण महिलाएं नीतीश की मुरीद हो गईं.
जाहिर है नीतीश के इस तिलिस्म को तोड़े बिना तेजस्वी चुनाव नहीं जीत सकते और इसलिए एकमुश्त 30 हजार देने का वादा कर रहे हैं. शराबबंदी पर तेजस्वी ने कहा है कि उनकी सरकार बनी तो ताड़ी को बैन से बाहर कर देंगे. इस वादे को महिलाएं कैसे लेती हैं, ये अभी देखना होगा. उधर प्रशांत किशोर ने तो साफ कहा है कि वो शराबबंदी हटाएंगे. इसका खामियाजा उन्हें उठाना पड़ सकता है.
यत्र, तत्र, सर्वत्र महिला निर्णायक
ऐसा नहीं है कि महिला वोट चुनाव नतीजे सिर्फ बिहार में तय कर रहा है. मध्य प्रदेश, झारखंड, महाराष्ट्र...इन सभी राज्यों में विधानसभा चुनाव से पहले महिलाओं के लिए बड़ी योजना का ऐलान हुआ और सत्तारूढ़ पार्टी को इसका फायदा मिला.
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