शिवहर लोकसभा क्षेत्र के तीन विधानसभा में इस बार राणा नाम की गूंज सुनाई दें रहा है, इस बार के विधानसभा चुनाव में बेलसंड, ढाका और मधुबन विधानसभा से तीन राणा जी चुनावी मैदान में उतरे हैं. देखना दिलचस्प होगा की तीनो राणा जी में जनता किसको ताज पहनाती है. ढाका विधानसभा से एआइएमआइएम के उम्मीदवार के रूप मे शिवहर के पूर्व सांसद स्वर्गीय सीताराम सिंह के पुत्र राणा रंजीत सिंह चुनाव मैदान मे हैं. राजपूत होते हुए ओवेसी और अल्पसंख्यक समाज अच्छी पकड़ है. जिस वजह से मुस्लिम बहुल क्षेत्र ढाका से उम्मीदवार है और लोगों का समर्थन भी प्राप्त हो रहा है. बता दें की राणा रणजीत पिछला लोकसभा का चुनाव ओवैसी की पार्टी से लड़ चुके हैं. वहीं, उनके बड़े भाई राणा रणधीर सिंह मधुबन से नि वर्तमान विधायक हैं जिनको इस बार भी बीजेपी ने उम्मीदवार बनाया है.
पूर्व में बिहार सरकार के मंत्री भी रह चुके हैं और क्षेत्र में पिता के विकल्प के रूप में देखे जाते हैं.जबकि बेलसंड विधानसभा से राणा रणधीर सिंह चौहान जदयू से बागी होकर बसपा के टिकट से चुनाव लड़ रहे हैं और लगातार क्षेत्र का भ्रमण कर रहे हैं. पूर्व में उनकी पत्नी तीन बार बेलसंड से विधानसभा का प्रतिनिधित्व कर चुकी है. ऐसे में तीनो विधानसभा मे राणा नाम की गूंज क्षेत्र में सुनाई दे रही है. राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि तीनो राणा के पास पार्टी के अलावा अपना मजबूत वोट बैंक भी है. जो अपने दम पर चुनाव का माहौल बदल सकते है. देखना है कि जनता किस किस राणा को विधायक बनाती है.
शिवहर के पूर्व सांसद स्वर्गीय सीताराम सिंह के तीन पुत्र हैं राणा रणधीर सिंह, राणा रणवीर सिंह और राणा रणजीत सिंह. जिनमें राणा रणधीर सिंह लगातार मधुबन से विधायक और बिहार सरकार में भाजपा कोटे से मंत्री भी रह चुके हैं. वहीं राणा रणजीत सिंह पिछले लोकसभा चुनाव में शिवहर से ओवैसी की पार्टी से चुनाव लड़े थे. जबकि एक अन्य भाई राणा रणवीर सिंह शिक्षाविद है.
पंडित रघुनाथ झा के संरक्षण में शुरू किया था राणा रणधीर सिंह चौहान ने राजनीति
बेलसंड से बहुजन समाज पार्टी के उम्मीदवार राणा रणधीर सिंह चौहान पूर्व केंद्रीय मंत्री स्वर्गीय रघुनाथ झा के संरक्षण में राजनीतिक शुरू किया था. पहली बार वह 2000 में विल्सन से निर्दलीय चुनाव लड़े थे जिसके बाद उन्होंने अपनी पत्नी सुनीता सिंह को चुनावी मैदान में उतारा था. जो तीन बार वहां से विधायक रही थी,इस बार टिकट नहीं मिलने के कारण वह खुद बसपा से उम्मीदवार हैं.
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