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यादव टूटे, मुस्लिम रूठे... अचानक अर्श से फर्श पर पहुंचे तेजस्वी, जानें कैसे हुआ इतना बड़ा खेला?

बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में राजद का ऐसा हाल होगा, इसे शायद तेजस्वी यादव ने भी नहीं सोचा होगा. लेकिन यह राजनीति है, यहां कब क्या हो जाए, कहा नहीं जा सकता. राजद का इतना बुरा हाल क्यों हुआ, समझें अंदर की कहानी.

यादव टूटे, मुस्लिम रूठे... अचानक अर्श से फर्श पर पहुंचे तेजस्वी, जानें कैसे हुआ इतना बड़ा खेला?
राजद नेता तेजस्वी यादव.
  • बिहार चुनाव में तेजस्वी यादव की RJD को पिछली बार की तुलना में कमजोर प्रदर्शन का सामना करना पड़ता दिख रहा है.
  • यादव वोट बैंक में दरार और मुस्लिम समाज की नाराजगी ने महागठबंधन की स्थिति को कमजोर किया है.
  • मुस्लिम समाज के साथ उप मुख्यमंत्री पद न बांटने और टिकट वितरण में गलतियों से पार्टी की स्थिति प्रभावित हुई.
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पटना:

Bihar Election Result: बिहार विधानसभा चुनाव के रिजल्ट के दिन आज तेजस्वी अचानक से चंद घंटों में अर्श से फर्श पर आ गए. सन 2010 में लालू जी वाली RJD की हाल 2025 में तेजस्वी के RJD की हो गई. कई राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि तेजस्वी अपने ड्राइंग रूम में बैठ कर MY समीकरण कागज पर करते रहे और इधर ज़मीन पर यह मजबूत समीकरण हिल गया. यादव वोट में क्रैक के बिना NDA को इतना बड़ा समर्थन नहीं हो सकता है. तेजस्वी तिनका-तिनका जोड़ने के चक्कर में मुकेश सहनी को उनके राजनीतिक वजूद से कई गुणा ज्यादा वजन दे बैठे. मुकेश सहनी के स्वयं के वोट बैंक को NDA ने तोड़ दिया और इधर मुस्लिम समाज थोड़ा नाखुश नज़र आया. 18% आबादी के साथ मुस्लिम समाज की अपेक्षा थी कि इस समाज से भी एक उप मुख्यमंत्री की घोषणा होती. तेजस्वी यहीं चूक गए.

2022 में जब डिप्टी सीएम बने तेजस्वी, तब भी उनसे हुई थी गलती

लेकिन यह तेजस्वी की पहली गलती नहीं थी. अगस्त 2022 में जब ये दूसरी बार उप मुख्यमंत्री बने तो इनके दल को करीब 15 मंत्री पद मिले, जिसमे वो आधे मंत्रीपद स्वयं की जाति को बांट गए. मुस्लिम समाज मुँह ताकता रह गया. वहीं से नाखुशी का दौर शुरू हुआ, जिसके ऊपर इस बार टिकट बंटवारे में भी गलती हुई. कई मुस्लिम बहुल क्षेत्रों में तेजस्वी ने यादव उम्मीदवार दे दिए.

भाजपा को वोट देने के लिए मजबूर हुआ मुस्लिम

ऐसे फैक्टर मुस्लिम को भाजपा को वोट देने को मजबूर नहीं किए. लेकिन नीतीश के लिए सॉफ्ट कॉर्नर और मुस्लिम का अग्रेशण में वोट की कमी कर दी. विधानसभा चुनाव में कुछ सौ मतों के अंतर से हार जीत तय होता है. समर्थक नाखुश है और वो सोया रह गया या फिर अग्रेशण के साथ वोट नहीं किया तो जीत असंभव है . तेजस्वी यहीं पर अपरिपक्व दिखे.

यादव नहीं टूटता तो राघोपुर में नहीं फसंते तेजस्वी

यादव समाज नहीं टूटता तो राघोपुर में तेजस्वी की यह हालात नहीं होती . स्वयं के क्षेत्र में मुश्किल हो गई तो यह एक इंडिकेटर काफ़ी है बाक़ी के क्षेत्रों में हाल बताने को . कई जगहों से रिपोर्ट है की माई समीकरण की महिलाओं ने भी एनडीए को वोट दिया है.

नीतीश ने महिलाओं को एकजुट अपने पाले में किया

जब नीतीश सरकार महिलाओं के लिए हर बार अलग अलग घोषणाएं करती गई , तेजस्वी किसी का भी उचित काट नहीं दे पाये . पिछले दस साल में उन्हें दो बार उप मुख्यमंत्री पद मिला लेकिन बड़े बड़े विभाग स्वयं के पास रखने के बाद भी वो जनता के बीच अपना फैलाव नहीं किए . वो पुरुष माई समीकरण को पॉकेट का समझते रहे और महिला माई समीकरण में दरार आ गया .

तेजस्वी का नेता प्रतिपक्ष पद भी खतरे में

इस चुनाव का नतीजा यह हो सकता है कि मुस्लिम बड़ी तेज़ी से अब महागठबंधन से अलग अपनी राह खोजेंगे जिसमे ओवैसी बड़ी तेज़ी से बढ़ रहे हैं . ओवैसी को तेजस्वी जैसों को मैनेज करना भी मुश्किल है . इस हार के बाद तेजस्वी के लिए अपना विधायक दल भी ख़तरे में नज़र आ रहा होगा क्योंकि उसपर एनडीए की निगाहें होनी चाहिए . अगर राजद टूटता है तो फिर भाजपा भी इसी बहाने नीतीश मुक्त हो जाएगी. राजनीति है. कुछ भी हो सकता है.

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