- बिहार विधानसभा चुनाव के पहले चरण के मतदान से 48 घंटे पहले धारा 126 लागू हो गई है
- इसके तहत सार्वजनिक सभाएं, रैलियां, कार्यक्रमों के जरिए चुनाव प्रचार पर पूरी तरह प्रतिबंध रहेगा
- जन प्रतिनिधित्व कानूनून की धारा 126 के उल्लंघन पर दो साल तक जेल या जुर्माना या दोनों हो सकते हैं
बिहार विधानसभा 2025 में पहले चरण का मतदान 6 नवंबर को होना है. इससे पहले मंगलवार शाम को प्रचार अभियान थम गया. चुनाव आयोग ने धारा 126 लागू कर दी है. इसी के साथ पहले चरण के लिए 48 घंटे की 'मौन अवधि' शुरू हो गई है. इस धारा के नियमों का उल्लंघन करने पर 2 साल की जेल या जुर्माना हो सकता है. ये धारा क्या है, इसमें क्या पाबंदियां रहती हैं, आइए बताते हैं.
बिहार विधानसभा चुनाव में 6 नवंबर को पहले चरण की 121 सीटों के लिए वोट पड़ेंगे. इससे 48 घंटे पहले, मंगलवार की शाम 6 बजे चुनाव आयोग ने जन प्रतिनिधित्व कानून 1951 की धारा 126 लागू कर दी है. यह धारा वोटिंग खत्म होने तक लागू रहेगी. इस दौरान इन 121 विधानसभा क्षेत्रों में कई तरह के प्रतिबंध रहेंगे.
क्या है धारा 126?
जन प्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 126 चुनाव आयोग की तरफ से लागू की जाने वाली एक कानूनी व्यवस्था है. इसके लागू होने के साथ ही मतदान वाले क्षेत्रों में रैलियों पर रोक लग जाती है. चुनाव प्रचार पर कई अन्य तरह के प्रतिबंध भी शुरू हो जाते हैं. इसका मकसद मतदान से पहले मतदाताओं को निष्पक्ष माहौल प्रदान करना है ताकि वह किसी बाहरी दबाव या प्रचार के झांसे में आए बिना अपने वोट को लेकर फैसला कर सकें.
किन गतिविधियों पर रहेगा बैन?
- साइलेंस पीरियड में प्रत्याशी कोई भी सार्वजनिक सभा, रैली, जुलूस या नुक्कड़ सभा आयोजित नहीं कर पाएंगे.
- अगर कोई नियमों के खिलाफ जाकर ऐसी चुनावी रैली या सभा करता है तो उसमें शामिल होना भी कानूनन जुर्म होगा.
- लाउडस्पीकर जैसे तेज आवाज वाले उपकरणों के जरिए चुनाव प्रचार करने पर भी प्रतिबंध रहेगा.
- संबंधित चुनाव क्षेत्र में संगीत, नाटक या अन्य मनोरंजक कार्यक्रम के जरिए भी चुनाव प्रचार नहीं हो सकेगा.
- टीवी, रेडियो, अखबार या ऐसे अन्य साधनों पर चुनाव संबंधी कंटेंट डालने पर भी रोक रहेगी.
- कार्यक्रमों में किसी भी पार्टी या उम्मीदवार के पक्ष या विपक्ष में अपील करने या राय देने पर प्रतिबंध रहेगा.
- 6 नवंबर को सुबह 7:00 बजे से 11 नवंबर शाम 6:30 बजे तक प्रिंट या इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के जरिए एग्जिट पोल और नतीजों पर बैन रहेगा.
उल्लंघन पर कितनी सजा?
अगर कोई व्यक्ति या संगठन जन प्रतिनिधित्व 1951 की धारा 126 का उल्लंघन करता है तो उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जा सकती है. ऐसे व्यक्ति को दोषी पाए जाने पर दो साल तक की जेल या जुर्माना या फिर दोनों हो सकते हैं. चुनाव आयोग का मानना है कि यह व्यवस्था निष्पक्ष और स्वतंत्र चुनाव सुनिश्चित कराने के लिहाज से अहम है.
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