
- बिहार चुनाव में इंडिया गठबंधन के अंदर सीट बंटवारे पर सहमति बनने के बावजूद फ्रेंडली फाइट की स्थिति है
- कांग्रेस, आरजेडी, सीपीआई और IIP सहित कई सहयोगी दल एक-दूसरे के खिलाफ मुकाबला कर रहे हैं
- आलम ये है कि 5 सीटों पर कांग्रेस बनाम आरजेडी है तो 4 पर कांग्रेस और सीपीआई आमने-सामने हैं
बिहार चुनाव में इंडिया गठबंधन के अंदर सीट बंटवारे पर सहमति नहीं बनने के कारण करीब एक दर्जन सीटों पर फ्रेंडली फाइट की स्थिति बन गई है. कई सीटें ऐसी हैं, जहां महागठबंधन के सहयोगी दल ही एकदूसरे के आमने सामने हैं. पिछला इतिहास गवाह है कि ऐसी फ्रेंडली सीटों पर आपसी लड़ाई का फायदा एनडीए को मिलता रहा है.
बिहार का चुनाव इस बार काफी दिलचस्प हो रहा है. जैसे-जैसे राजनीतिक दल अपने प्रत्याशियों का ऐलान कर रहे हैं, वैसे-वैसे सियासी लड़ाई रोमांचक होती जा रही है. एनडीए से मुकाबला करने के नाम पर एकजुट हुए इंडिया गठबंधन में कई सीटों को लेकर आपसी खींचतान साफ दिख रही है.
महागठबंधन की बड़ी पार्टी होने के नाते कांग्रेस ने बिहार चुनाव में बड़ा दिल दिखाया है. उसने अपनी दो जीती हुई सीटों की कुर्बानी दे दी है. पार्टी ने अपनी दो जीती हुई सीटें गठबंधन सहयोगियों के लिए छोड़ दी हैं. इनमें महाराजगंज को आरजेडी के लिए और जमालपुर को आईआईपी के लिए छोड़ा है.
कहां-कहां पर फ्रेंडली फाइट?
कांग्रेस ने अब तक 61 सीटों का ऐलान किया है, जिसमें से 10 सीटों पर उसके सहयोगी दल के उम्मीदवार भी मुक़ाबले में हैं.
- कांग्रेस Vs RJD (5 सीटें) : वैशाली, लालगंज, कहलगांव, सुल्तानगंज, नरकटियागंज)
- कांग्रेस Vs CPI (4 सीटें): बछवाड़ा, राजापाकड़, बिहारशरीफ, करहगर
- कांग्रेस Vs IIP (1 सीट): बेलदौर
चुनावों में फ्रेंडली फाइट का इतिहास नया नहीं है, लेकिन इतिहास बताता है कि फ्रेंडली फाइट वाली ज्यादातर सीटों पर पिछली बार एनडीए उम्मीदवार की जीत हुई थी. दो सीटों पर कांग्रेस को मामूली अंतर से जीत हासिल हुई थी. दूसरे शब्दों में कहें तो फ्रेंडली फाइट का सबसे ज़्यादा नुक़सान कांग्रेस को ही उठाना पड़ सकता है.
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