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बिहार चुनाव 2025: अलीनगर और बेनीपट्टी कहां से चुनाव लड़ेंगी मैथिली ठाकुर, क्‍या है दोनों सीटों का गणित 

लोक गायन के क्षेत्र में सेलिब्रिटी बनीं मैथिली ठाकुर के बिहार के चुनावी मैदान में उतरने की खबरों से माहौल बिल्कुल बदलता नजर आ रहा है.

बिहार चुनाव 2025: अलीनगर और बेनीपट्टी कहां से चुनाव लड़ेंगी मैथिली ठाकुर, क्‍या है दोनों सीटों का गणित 
  • मिथिलांचल में विधानसभा चुनाव में एनडीए को चुनौती मिल रही है. कई सेलिब्रिटी उम्मीदवार बनाए जाने की चर्चा है_
  • इस बार प्रशांत किशोर की जन स्वराज पार्टी के चुनाव में आ जाने से राजनीतिक फिजा बदलती नजर आ रही है.
  • देश की जानी मानी लोक गायिका मैथिली ठाकुर को भी बीजेपी चुनावी मैदान में भेजने की तैयारी कर रही है.
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पटना:

एनडीए का गढ़ समझे जाने वाले मिथिलांचल में आसन्न विधानसभा चुनाव में एनडीए का राह आसान नहीं दिख रही है. इस वजह से एनडीए के इस चुनाव में कई सेलिब्रिटीज को मैदान में उतारने की चर्चा जोड़ों पर है. पिछले दो दशकों से यहां एनडीए और महागठबंधन के बीच सीधा मुकाबला रहा है. 80 के दशक तक इस क्षेत्र पर कांग्रेस का दबदबा था लेकिन उसके बाद मुस्लिम मतदाताओं के कांग्रेस से खिसकने के बाद कांग्रेस का परंपरागत वोट भी भाजपा से जुड़ता चला गया. 

वोटर्स को मिला तीसरा विकल्‍प 

राष्‍ट्रीय जनता दल सुप्रीमो लालू प्रसाद के पक्ष एवं विरोध के सवाल पर मतदाता अब तक दो खेमों में बंटे हुए नजर आये हैं. लेकिन इस बार प्रशांत किशोर की जन स्वराज पार्टी के चुनाव में आ जाने से राजनीतिक फिजा बदलती नजर आ रही है. प्रशांत किशोर की पहचान भ्रष्टाचार के सवाल पर एनडीए के कई नेताओं को घेरने के बाद ग्रामीण क्षेत्र के मतदाताओं तक कायम हो चुकी है. यही वजह है कि इस बार मतदाताओं को तीसरा विकल्प मिलने से चुनाव में कोई नया गुल खिल जाए तो कोई आश्चर्य नहीं होगा. 

अलीनगर विधानसभा में ब्राह्मण यादव और मुसलमान के अलावा कुर्मी मतदाताओं की संख्या भी अच्छी खासी है. साल 2020 से पहले अलीनगर विधानसभा राष्ट्रीय जनता दल के अब्दुल बारी सिद्दीकी का गढ़ माना जाता था. अलीनगर में उनका पैतृक गांव भी है. लेकिन 2020 के चुनाव में सिद्दीकी ने अपना चुनाव क्षेत्र बदलकर दरभंगा जिला के केवटी विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ा था और वहां भी उन्हें पराजय का मुंह देखना पड़ा था. 

क्या हुआ था 2020 में 

2020 के अलीनगर विधानसभा के चुनाव में राजद ने एक ब्राह्मण प्रत्याशी विनोद कुमार मिश्रा को उम्मीदवार बनाया जो मात्र 3100 वोट से चुनाव हार गए. उनकी हार के पीछे का मुख्य कारण मुस्लिम यादव समीकरण में बिखराव को माना जाता है. 2020 के चुनाव में ही यादवों का कुछ वोट एनडीए प्रत्याशी मिश्रीलाल यादव के यादव होने के कारण उन्हें मिल गया था. इस विधानसभा के चुनाव में लोजपा रामविलास के प्रत्याशी राजकुमार झा पाला बदलकर अब जदयू में शामिल हो गए हैं. वहीं, दूसरी ओर राजद नेता अब्दुल बारी सिद्दीकी के सबसे करीबी माने जाने वाले संजय सिंह उर्फ पप्पू सिंह जो पिछले चुनाव में विद्रोही उम्मीदवार के तौर पर खड़े हुए थे और तीसरे स्थान पर रहे थे, ने भी अब भाजपा का दामन थाम लिया है. 

मैथिली के आने से बदला माहौल 

जदयू के राजकुमार झा और भाजपा के संजय कुमार सिंह उर्फ पप्पू सिंह पिछले 5 वर्ष से इस क्षेत्र में जमकर काम कर रहे हैं. पिछले दिनों एनडीए के अलीनगर विधानसभा कार्यकर्ता सम्मेलन में संजय कुमार सिंह उर्फ पप्पू सिंह और राजकुमार झा बीच मंच पर ही भिड़ गए. अब इस बीच में लोक गायन के क्षेत्र में सेलिब्रिटी बनीं मैथिली ठाकुर के चुनावी मैदान में उतरने की खबरों से माहौल बिल्कुल बदलता नजर आ रहा है. अगर मैथिली ठाकुर या कोई और बाहरी व्यक्ति उम्मीदवार बनने में सफल हो गया तो इस क्षेत्र में उन्हें भीतरघात का भी सामना करना पड़ सकता है.  ऐसा राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है. 

बेन्नीपट्टी है मैथिली का गांव 

बिहार में विधानसभा चुनाव का बिगुल बज गया हैं. विधानसभा चुनाव का बिगुल बजते ही चुनावी सरगर्मी तेज हो गई है. सभी दल अब चुनाव में अपने दल की जीत सुनिश्चित करने के लिए तरह तरह के राजनीति समीकरण बनाने में लगे हुए है. इस बार का बिहार विधानसभा चुनाव एनडीए के लिए 'करो या मरो' वाली स्थिति में है. वहीं दूसरी तरफ महागठबंधन एनडीए सरकार को एंटीइनकबेंसी का फायदा उठाने के लिए जी तोड़ मेहनत करने में लगी है.

सभी राजनीति दल हर विधानसभा सीट पर प्रत्याशी को उतारने से पहले गहन सोच विचार कर रही है जिससे विधानसभा सीट जीती जा सके. ऐसे में देश की जानी मानी लोक गायिका मैथिली ठाकुर को भी बीजेपी चुनावी मैदान में भेजने की तैयारी कर रही है. हालांकि मैथिली ठाकुर ने कहा है कि अगर उन्हें चुनाव लड़ने का मौका मिला तो वो अपने गांव यानी बेनीपट्टी विधानसभा सीट से चुनाव लड़ेगी. 

बेनीपट्टी का सीट समीकरण 

पूर्व में वामपंथियों  का गढ़ कहे जाने वाले बेनीपट्टी विधानसभा क्षेत्र में ब्राह्मणों की आबादी सबसे ज्‍यादा है. इसकी वजह से जातीय गणित का फायदा भी ब्राह्मण समुदाय के प्रत्याशियों को मिलता आ रहा है. दल चाहे वामपंथी हो कांग्रेस हो या भाजपा. इस क्षेत्र में सभी दल अधिकतर ब्राह्मण प्रत्याशियों पर ही अपना दांव लगाते आ रहे है. जीत का परचम भी ब्राह्मण प्रत्याशियों के द्वारा ही लहराया जाता है.  इस विधानसभा सीट से अभी बीजेपी के विधायक विनोद नारायण झा प्रतिनिधित्व कर रहे हैं. 2015 में कांग्रेस इस जीत पर चुनाव जीती थी.  

मैथिली ठाकुर के लिए आसान होगी राह?

वर्तमान में चल रहे चुनावी सरगर्मी के बीच मैथिली ठाकुर को अगर बीजेपी बेनीपट्टी विधानसभा सीट से चुनावी मैदान में उतारती है तो मैथिली के लिए ये राहें इतनी भी आसान नहीं होंगी. 32000 से ज्यादा मतों से चुनाव जीतने वाले विनोद नारायण झा का चुनावी टिकट काट कर मैथिली को टिकट देने पर पार्टी के स्थानीय नेता बगावत कर सकते है. इसका सीधा खामियाजा सीधा मैथिली को उठाना पर सकता है. पूर्व से बीजेपी से अपनी दावेदारी देने की कोशिश के लगातार विधानसभा क्षेत्र में काम करने वाले नेता बी झा मृणाल भी बागी हो सकते हैं. 

बिगड़ेगा समीकरण? 

वामपंथियों और कांग्रेस का गढ़ कहले जाने वाले बेनीपट्टी विधानसभा सीट पर अगर बीजेपी मैथिली ठाकुर को चुनावी मैदान में उतरती है तो उसका सीधा फायदा कांग्रेस के उम्मीदवार को होगा. पिछले कई विधानसभा चुनावों में महागठबंधन के तरफ से बेनीपट्टी विधानसभा सीट कांग्रेस के खाते में जाती है. इस बार चल रहे चुनावी समीकरण के बीच कांग्रेस ने बेनीपट्टी विधानसभा सीट पर अपना उम्मीदवार को बदलने का फैसला करने में जुटी हुई है अगर बेनीपट्टी विधानसभा सीट पर कांग्रेस अपना उम्मीदवार बदल देती है इसके बाद मैथिली ठाकुर के लिए बेनीपट्टी विधानसभा सीट जितना आसान नहीं होगा

 (प्रमोद गुप्ता, प्रशांत झा)  

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