
कांटों में ही गुलाब मुस्कुराता हैं.... बिहार बोर्ड कक्षा 10वीं और 12वीं के टॉपर्स ने अपनी गरीबी को पढ़ाई में बाधा नहीं बनने दिया. उनकी हालातों ने उन्हें सफलता के रास्ते से नहीं रोका. इन छात्र-छात्राओं ने अपने हौसलों को बुलंद रखा और मंजिलें आसान बना दीं. इन टॉपर्स की कहानी हमें यह सिखाती है कि अगर हमारे पास जज्बा और समर्पण है, तो हम किसी भी चुनौती को पार कर सकते हैं. गरीबी और सुविधाओं के अभाव को इन्होंने अपनी पढ़ाई में बाधा नहीं बनने दिया और आज उनकी मेहनत का फल उन्हें मिला है. एग्जाम के सवालों के साथ-साथ आर्थिक चुनौतियों को भी मात देते हुए सफलता हासिल की है.
साक्षी की कहानी प्रेरणादायक
बिहार विद्यालय परीक्षा समिति (BSEB) ने शनिवार को 10वीं की परीक्षा का परिणाम घोषित कर दिया, जिसमें समस्तीपुर की बेटी साक्षी ने टॉप किया है. साक्षी को 500 में से 489 अंक मिले, जो एक अद्भुत उपलब्धि है. साक्षी की कहानी वास्तव में प्रेरणादायक है. वह एक सामान्य परिवार से आती है, जहां उसके पिता एक बढ़ई हैं और मजदूरी करके परिवार का भरण-पोषण करते हैं. साक्षी समस्तीपुर के विभूतिपुर प्रखंड अंतर्गत जोगिया गांव की रहने वाली हैं और जेपीएनस उच्च विद्यालय नरहन की छात्रा हैं. साक्षी की इस उपलब्धि पर क्षेत्र में खुशी की लहर है, और यह एक सच्ची मिसाल है कि मेहनत और समर्पण से कुछ भी हासिल किया जा सकता है.

सचिन की कड़ी मेहनत और लगन का ये परिणाम
जमुई के सचिन कुमार ने बिहार बोर्ड की मैट्रिक परीक्षा में पूरे बिहार में दूसरा स्थान हासिल किया है, जिससे पूरे जमुई जिले का नाम रोशन हुआ है. सचिन ने 488 अंक प्राप्त किए हैं, जो उनकी कड़ी मेहनत और लगन का परिणाम है. सचिन सिमरिया गांव के एक साधारण परिवार से ताल्लुक रखते हैं. उनके पिता भूदेव राम एक मजदूर हैं और रांची के एक रेस्टोरेंट में काम करते हैं. सचिन के परिवार ने उनकी पढ़ाई में कोई कमी नहीं रखी और आज सचिन ने अपने परिवार और जिले का नाम रोशन किया है.

खुशी की मेहनत लाई रंग!
बिहार बोर्ड मैट्रिक परीक्षा में रोहतास की बेटी खुशी कुमारी ने इतिहास रच दिया है. किसान परिवार की बेटी खुशी ने प्रदेश में तीसरा स्थान प्राप्त किया है. खुशी कुमारी ने 487 अंक प्राप्त कर बिहार में तीसरा स्थान हासिल किया है. खुशी की इस सफलता से उसके परिवार और शिक्षकों में खुशी की लहर है. खुशी के माता-पिता संजय प्रसाद और सीता देवी बेटी की इस उपलब्धि से बेहद खुश हैं. खुशी के पिता पेशे से किसान हैं और खुशी की सफलता यह साबित करती है कि मेहनत और लगन से कोई भी लक्ष्य हासिल किया जा सकता है.

संघर्षों ने अंशु कुमारी को बनाया टॉपर
बिहार विद्यालय परीक्षा समिति की मैट्रिक परीक्षा में पश्चिमी चंपारण की बेटी अंशु कुमारी ने स्टेट टॉपर का खिताब हासिल किया है. अंशु ने अपनी पढ़ाई के लिए स्कूल के साथ-साथ यूट्यूब का भी सहारा लिया. अंशु के पिता भूपेन्द्र शाह एक गरीब किसान हैं, जो अपने परिवार का भरण-पोषण करने के लिए खेती के साथ-साथ दूसरे के खेतों में मजदूरी भी करते हैं. इसके बावजूद, उन्होंने अपनी बेटी की पढ़ाई पर कभी समझौता नहीं किया. अंशु ने अपने संघर्षों के साथ पढ़ाई की और यह सफलता हासिल की. उनकी यह उपलब्धि एक प्रेरणादायक उदाहरण है कि कड़ी मेहनत और समर्पण से कोई भी लक्ष्य हासिल किया जा सकता है.

रंजन की उपलब्धि से परिवार-समाज गौरवान्वित
बिहार बोर्ड कक्षा 10 के टॉपर रंजन वर्मा की कहानी प्रेरणादायक है. उन्हें 489 नंबर मिले हैं. रंजन वर्मा ऑनलाइन पढ़ाई करते थे और बिहार के भोजपुर जिले के अगिआंव बाजार के निवासी हैं,. उनकी मां शीला देवी एक गृहिणी हैं और उनके पिता का निधन ब्रेन हेमरेज से हो गया था. रंजन की इस उपलब्धि ने उनके परिवार और समाज को गौरवान्वित किया है.

मुश्किल डगर पर चलकर रोशनी को मिली कामयाबी
यह कहानी बिहार की उस बिटिया की है, जिसने 12वीं में कॉमर्स से टॉप किया है. रोशनी को 95 प्रतिशत अंक प्राप्त हुए हैं. किस मुश्किल डगर पर चलकर उसने कामयाबी हासिल की है. रोशनी की चमकती आंखें बयां करती हैं. आधा दर्जन माइक और कैमरों के बीच ऑटो ड्राइवर पिता बेटी का मुंह मीठा करवा रहे हैं और इस पूरे दृश्य के पीछे वो कच्ची दीवार है, जिससे ईंटें झांक रही हैं.
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