- तेजस्वी यादव गुरुवार को दिल्ली में आयोजित संसद मार्च में शामिल होंगे
- मोदी ने कहा- मुद्दे को उछालना कुछ लोगों के लिए हमदर्दी पाने का शॉर्टकट
- सुशील मोदी ने कहा- बिहार में विश्वविद्यालय को ही इकाई मानकर रिज़र्वेशन
विश्वविद्यालय में शिक्षकों की नियुक्ति के मामले में बीजेपी अब बचाव की मुद्रा में है. उसने अब कहा है कि सरकार चैन से नहीं बैठेगी.
विश्वविद्यालयों में शिक्षकों की नियुक्ति में अब विभाग को इकाई मानकर आरक्षण देते हुए नियुक्ति करने के सर्वोच्च न्यायालय के फैसले के बाद जहां एक और राजद आक्रामक है वहीं बीजेपी अब इस मुद्दे पर बचाव की मुद्रा में है. इस मुद्दे पर बुधवार को जहां विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखा वहीं उप मुख्यमंत्री सुशील मोदी ने कहा कि अनुकूल फैसला नहीं आने पर सरकार चैन से नहीं बैठेगी.
तेजस्वी यादव बृहस्पतिवार को दिल्ली में इस मुद्दे पर संसद मार्च में शामिल हो रहे हैं. तेजस्वी का नाम लिए बिना सुशील मोदी ने अपने ट्वीट में कहा कि कोर्ट से ज़ुड़े मुद्दे को दिल्ली या पटना की सड़क पर उछालना कुछ लोगों के लिए वंचित वर्गों की हमदर्दी पाने का शॉर्टकट हो सकता है लेकिन यह समस्या का समाधान नहीं है. मोदी ने कहा कि न्यायपालिका पर भरोसा करने की कसमें खाने वालों को हंगामा करने के बजाय सरकार की मंशा पर भरोसा करना चाहिए.
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सुशील मोदी ने दावा किया कि सर्वोच्च न्यायालय के फैसले के बावजूद बिहार के विश्वविद्यालयों में जो तीन हजार शिक्षकों की नियुक्ति की प्रक्रिया चल रही है उसमें राज्य सरकार विश्वविद्यालय को ही इकाई मानकर रिज़र्वेशन लागू कर रही है. इसके कारण दलितों-पिछड़ों को इसका लाभ पहले की तरह मिलेगा. लेकिन मोदी ने सवाल पूछा कि राजद अध्यक्ष लालू यादव ने इस मुद्दे पर सवाल पूछा था, उन्होंने बिहार सरकार को बधाई क्यों नहीं दी?
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निश्चित रूप से राजद इस मुद्दे पर जिस तरह आक्रामक है उसके बाद भाजपा ने भी इस मुद्दे पर तथ्य जनता के सामने रखने की कोशिश शुरू की है. सुशील मोदी ने तेजस्वी के बयान और पत्र के जवाब में कहा कि राजग सरकार ने इलाहबाद हाई कोर्ट के फैसले के विरुद्ध सर्वोच्च न्यायालय में विशेष अनुमति याचिका दायर कर मजबूती के साथ वंचित वर्गों की दलील अदालत के सामने पेश तो की लेकिन इसके बावजूद फैसला अनुकूल नहीं आया तो सरकार चैन से नहीं बैठेगी. इससे साफ हैं कि फिलहाल मोदी इस बात को लेकर अश्वस्त नहीं हैं कि केंद्र सरकार का इस मुद्दे पर अगला रुख क्या होगा.
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