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तब टिकट नहीं दिया, अब सीट देने को भी तैयार... बिहार में राहुल के लिए ये 'IP' क्यों हो गए जरूरी!

Bihar Election: विधानसभा चुनाव की तारीख के ऐलान के साथ ही एनडीए और महागठबंधन में सीट बंटवारे को लेकर चर्चा अंतिम चरण में है. हालांकि अभी तक कोई अंतिम सहमति नहीं बन पाई है.

तब टिकट नहीं दिया, अब सीट देने को भी तैयार... बिहार में राहुल के लिए ये 'IP' क्यों हो गए जरूरी!
Bihar Election
  • महागठबंधन में सीट वितरण अभी फाइनल नहीं हुआ है और इसमें नए दल की एंट्री पर भी चर्चा चल रही है
  • IP गुप्ता की पार्टी के महागठबंधन में शामिल होने की संभावना है उन्हें कांग्रेस कोटे से सीटें मिल सकती है
  • आईपी गुप्ता ने कई जातीय समूहों को जोड़कर बड़ी रैली की, जिसमें पान, चौपाल, तांती, ततवा जाति के लोग शामिल थे
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पटना:

महागठबंधन में सीट शेयरिंग अब तक फाइनल नहीं हुई है. पहले से शामिल दलों के बीच खींचतान खत्म नहीं हो रही है और चर्चा यह है कि महागठबंधन में एक नए दल की एंट्री हो सकती है. आईपी गुप्ता की पार्टी इंडिया इन्क्लूसिव पार्टी भी महागठबंधन में शामिल हो सकती है. उन्हें कांग्रेस के कोटे से सीटें दी जा सकती हैं. वे पहले भी कांग्रेस में रहे हैं, समस्तीपुर से लोकसभा चुनाव लड़ना चाहते थे लेकिन तब पार्टी ने उन्हें टिकट नहीं दिया था. इसके बाद उन्होंने अपनी पार्टी बना ली. वे चर्चा में तब आए जब गांधी मैदान में उन्होंने 13 अप्रैल को बड़ी रैली की थी, इस रैली से दो दिन पहले प्रशांत किशोर ने भी इसी गांधी मैदान में रैली की थी. प्रशांत किशोर की रैली में गांधी मैदान खाली था और आईपी गुप्ता ने इसे भर दिया था.

कई कम आबादी वाली जातियों को एकजुट करने में लगे हैं आईपी गुप्ता

आईपी गुप्ता अखिल भारतीय पान महासंघ नाम का संगठन चलाते रहे हैं. इस संगठन के जरिए उन्होंने पान, चौपाल, तांती, ततवा जाति समूह के लोगों को जोड़ा. यही भीड़ उनकी रैली में दिखी. उनका दावा है कि बिहार में सौ से अधिक सीटों पर यह जातीय समूह प्रभाव डालता है. मधुबनी, सहरसा, मुंगेर, भागलपुर के इलाके में उनकी संख्या काफी ज्यादा है. वे महागठबंधन में 6 से 8 सीटें चाहते हैं. लेकिन इतनी सीटें मिलना मुश्किल है. उनकी पार्टी को अभी तक सिंबल नहीं मिला है, इसलिए महागठबंधन की तरफ से उन्हे कांग्रेस के सिंबल पर चुनाव लड़ने का प्रस्ताव दिया गया. लेकिन उन्होंने इससे इनकार किया है. वे सिंबल के इंतजार में हैं. 

आईपी गुप्ता ने बताया कि अगले एक दो दिन में सिंबल मिल जाएगा, फिर पार्टी अपने ही सिंबल पर चुनाव लड़ेगी. पार्टी के लिए जमालपुर, सहरसा, खजौली, हरलाखी, रूनी सैदपुर, नाथनगर, बेलदौर जैसी सीटें प्राथमिकता में है. सीटों को लेकर उनकी बातचीत कांग्रेस प्रभारी कृष्णा अलवारु से हो रही है.

क्यों महत्वपूर्ण है यह वोट बैंक?

जातीय सर्वेक्षण के आंकड़ों के मुताबिक पान जाति की आबादी करीब 22 लाख है. यह पारंपरिक रूप से एनडीए का वोटर रहा है. लेकिन अब आरक्षण के सवाल पर जातीय गोलबंदी हो रही है. 2015 में ताँती ततवा जाति को अनुसूचित जाति की श्रेणी में शामिल किया था. 2024 में सुप्रीम कोर्ट ने इस जाति को एससी श्रेणी से हटा दिया. इसके बाद लोग फिर से तांती ततवा को एससी में शामिल करने की मांग करने लगे. BPSC की तैयारी करने वाले युवा सड़कों पर उतर गए. आईपी गुप्ता इस आंदोलन में शामिल हुए. 

अब वे लगातार इस सवाल को उठाते हैं, वे कहते हैं, “हमें कोई आरक्षण दे दे तो हमें और कुछ नहीं चाहिए. हमारा राजनीतिक प्रतिनिधित्व होता तो हमारे समाज को इस उपेक्षा का शिकार नहीं होना पड़ता”. हमारी बदहाली दूर करने का अब एक ही रास्ता है कि हम राजनीतिक रूप से अपनी लड़ाई लड़ें. वे कहते हैं कि सर्वे में उनकी जाति की संख्या कम दर्शाई गई है.

महागठबंधन का क्या मानना है?

हालांकि महागठबंधन के कई नेता मानते हैं कि रैली की सफलता से उत्साहित होकर आईपी गुप्ता अपने आप को ज्यादा शक्तिशाली समझने लगे हैं, जबकि वे उतने बड़े फैक्टर नहीं हैं. इसलिए नेताओ का एक धड़ा उन्हें ज्यादा सीटें देने के पक्ष में नहीं है.

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