
- बिहार में बाहुबली नेताओं की सक्रियता फिर से देखने को मिल रही है, जो राजनीति और अपराध के मिश्रण को दर्शाता है.
- नवादा के राजबल्लभ यादव पॉक्सो मामले से बरी होकर साढ़े नौ साल बाद लौट आए हैं और सक्रिय हैं.
- जेल ब्रेक कांड के आरोपी अशोक महतो 17 साल बाद रिहा होकर राजनीतिक गतिविधियों में तेज़ी से शामिल हो गए हैं.
Bihar Assembly Elections 2025: बिहार में चुनाव हो और बाहुबलियों की चर्चा ना हो... ऐसा संभव नहीं है. बिहार में पॉलिटिक्स और क्राइम का ऐसा कॉकटेल है कि हर इलाके में कोई ना कोई बाहुबली नेता चुनाव के समय चर्चा में आ ही जाता है. राज्य के चर्चित बाहुबली नेताओं में अनंत सिंह, सूरजभान सिंह, मुन्ना शुक्ला, राजन तिवारी, आनंद मोहन जैसे पुराने दिग्गजों का नाम तो है ही, इसके अलावा और भी कई ऐसे नेता हैं, जो सालों तक अपने इलाके में आंतक क पर्याय रहे, फिर सालों जेल की जिंदगी जी लेकिन अब फिर चुनावी ताल ठोकने को तैयार नजर आ रहे हैं. बिहार विधानसभा चुनाव 2025 पर NDTV की स्पेशल रिपोर्ट की आज की फेहरिस्त में चर्चा नवादा जिले के दो बाहुबलियों की. जो इस बार चुनाव से पहले फिर से पूरी तरह से सक्रिय नजर आ रहे हैं.
नवादा के ये दो बाहुबली हैं- राजबल्लभ यादव (Rajballabh Yadav) और अशोक महतो (Ashok Mahato). पॉक्सो मामले में बरी होने के बाद करीब साढ़े 9 साल बाद राजबल्लभ यादव फिर से राजनीति में सक्रिय हो गए हैं. वहीं, 2001 के चर्चित जेल ब्रेक कांड के आरोपी रहे अशोक महतो भी 17 साल बाद राजनीति की मुख्यधारा में लौट आए हैं.
राजबल्लभ यादव: साढ़े नौ साल बाद वापसी
राजबल्लभ यादव नवादा के पूर्व राजद विधायक और बिहार सरकार में राज्यमंत्री रह चुके हैं. 2016 में पॉक्सो मामले में सजायाफ्ता होने के बाद वे जेल चले गए थे और पार्टी ने उन्हें निष्कासित कर दिया था. अगस्त 2025 में पटना हाइकोर्ट से बरी होने के बाद वे जेल से बाहर आ गए और अब स्थानीय राजनीति में सक्रिय हैं.
अशोक महतो: जेल से राजनीति तक का सफर
2001 के नवादा जेल ब्रेक कांड के आरोपी अशोक महतो को 2006 में गिरफ्तार किया गया था. वे करीब 17 साल जेल में रहे और दिसंबर 2023 में भागलपुर केंद्रीय कारा से रिहा हुए. रिहाई के बाद वे सियासी गतिविधियों में तेज़ी से जुट गए हैं. सजायाफ्ता होने के कारण खुद चुनाव नहीं लड़ सकते, इसलिए 62 साल की उम्र में उन्होंने 46 वर्षीय अनिता कुमारी से शादी की.

2024 के लोकसभा चुनाव में अनिता कुमारी ने राजद प्रत्याशी के रूप में मुंगेर से ललन सिंह के खिलाफ चुनाव लड़ा था, हालांकि वे हार गईं. अब अशोक महतो अपनी पत्नी को अपने गृह क्षेत्र वारिसलीगंज विधानसभा से उतारने की तैयारी में हैं.
नवादा: राजबल्लभ बनाम कौशल का सियासी मुकाबला
राजबल्लभ यादव की सक्रिय राजनीति में वापसी से नवादा में मुकाबला दिलचस्प हो गया है. यहां एक ओर कौशल यादव हैं, तो दूसरी ओर राजबल्लभ यादव. दोनों के बीच राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता पुरानी है.
2019 में राजबल्लभ की सजा के बाद हुए उपचुनाव में जदयू से कौशल यादव विधायक बने थे. हालांकि 2020 में वे हार गए और राजबल्लभ की पत्नी विभा देवी राजद से जीत गईं. अब समीकरण बदल चुके हैं—कौशल यादव राजद में चले गए हैं और राजबल्लभ राजद विरोधी खेमे में सक्रिय हो गए हैं.

राजबल्लभ तीन बार तो उनकी पत्नी एक बार रह चुकी विधायक
नवादा सीट पर अब तक राजबल्लभ यादव तीन बार और उनकी पत्नी विभा देवी एक बार विधायक रह चुकी हैं. दूसरी ओर कौशल यादव एक बार और उनकी पत्नी पूर्णिमा यादव तीन बार विधायक निर्वाचित हो चुकी हैं. कौशल यादव बालू घोटाले के प्रमुख आरोपी भी रह चुके हैं और लंबे समय से राजबल्लभ के खिलाफ मज़बूत चुनौती माने जाते रहे हैं.
वारिसलीगंज: अशोक महतो बनाम अखिलेश सिंह की जंग
दो दशक पहले वारिसलीगंज इलाके में अशोक महतो और अखिलेश सिंह का नाम बाहुबली का पर्याय था. नवादा, नालंदा और शेखपुरा जिले में हुए सामूहिक नरसंहारों के कई मामलों में दोनों का नाम सामने आता रहा. हालांकि अब अधिकांश मामलों में दोनों बरी हो चुके हैं.
अब दोनों की सियासी जंग नई शक्ल ले रही है. अखिलेश सिंह की पत्नी अरुणा देवी वारिसलीगंज की मौजूदा विधायक हैं और चार बार चुनाव जीत चुकी हैं. दूसरी ओर, अशोक महतो अपनी पत्नी अनिता कुमारी को सियासी मैदान में उतार रहे हैं.
अरुणा देवी का मुकाबला पहले अशोक महतो के सहयोगी रहे प्रदीप महतो से होता रहा है, जो दो बार विधायक रह चुके हैं. लेकिन अब मैदान में खुद अशोक महतो की प्रत्यक्ष सक्रियता ने मुकाबले को और दिलचस्प बना दिया है.
कुल मिलाकर, नवादा और वारिसलीगंज दोनों जगह राजनीति में बाहुबली नेताओं और उनके परिवारों की वापसी साफ दिख रही है. ऐसे में देखना दिलचस्प होगा कि बाहुबलियों की ये लड़ाई क्या रुख अख्तियार करता है.
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