
Fulparas Vidhan Sabha Seat Profile: फुलपरास सिर्फ एक विधानसभा सीट नहीं, बल्कि जननायक कर्पूरी ठाकुर जैसे दिग्गज नेता की सियासी कर्मभूमि है. उनकी सामाजिक न्याय की लड़ाई आज भी इस क्षेत्र की राजनीति को दिशा देती है. चुनावों में मौका भुनाने के लिए कई दल उनके नाम का सहारा लेते रहे हैं. वर्तमान में इस सीट पर सत्तापक्ष और विपक्ष दोनों तरफ के दलों की नजर है. खासकर जनता दल (यूनाइटेड) और राष्ट्रीय जनता दल यहां अपनी ताकत झोंक रहे हैं. पिछले 15 साल से फुलपरास विधानसभा सीट पर जदयू का दबदबा है.
फुलपरास से बिहार की परिवहन मंत्री शीला मंडल मैदान में
फुलपरास विधानसभा सीट से जदयू ने इस बार भी शीला मंडल को चुनावी मैदान में उतारा हैं. शीला मंडल अभी बिहार में मंत्री भी हैं. ऐसे में इस सीट के नतीजों पर हर किसी की नजरें टिकी रहेगी. फुलपरास विधानसभा सीट पर अभी बिहार सरकार की परिवहन मंत्री शीला मंडल जदयू से विधायक है. वो महज 10966 वोट से कांग्रेस के उम्मीदवार कृपानाथ पाठक से चुनाव जीती हुई है.

नामांकन पर्चा दाखिल करतीं मंत्री शीला मंडल.
फुलपरास में आज तक बीजेपी या राजद जीत से दूर
भारतीय जनता पार्टी और बिहार की सत्ता में रह चुके लालू प्रसाद यादव की पार्टी राजद कभी इस सीट को नहीं जीत पाईं. 1951 के बाद से फुलपरास विधानसभा सीट पर 18 विधानसभा चुनाव हुए हैं, जिसमें 1977 का चर्चित उपचुनाव भी शामिल है. इसी उपचुनाव में कर्पूरी ठाकुर को जीत मिली थी.
1977 में कर्पूरी ठाकुर की सियासी कर्मभूमि बना फुलपरास
1977 के बिहार विधानसभा चुनाव में जनता पार्टी को पूर्ण बहुमत मिला था. उस समय कर्पूरी ठाकुर मुख्यमंत्री चुने गए, लेकिन वह न तो बिहार विधानसभा और न ही बिहार विधान परिषद के सदस्य थे. उसी साल कर्पूरी ठाकुर को समस्तीपुर की जनता ने लोकसभा चुनाव जिताकर संसद भेज दिया था.
सीएम के लिए खाली की गई थी फुलपरास सीट
हालांकि, मुख्यमंत्री चुने जाने के बाद उनके लिए विधायक बनना जरूरी था. इस स्थिति में फुलपरास सीट को कर्पूरी ठाकुर के लिए खाली किया गया. यहां से जीतकर आए देवेंद्र प्रसाद यादव ने कर्पूरी ठाकुर के लिए यह काम किया. इस तरह उपचुनाव जीतकर कर्पूरी ठाकुर विधानसभा पहुंचे और मुख्यमंत्री पद की जिम्मेदारियों को बरकरार रखा.
फुलपरास में कांग्रेस 5 तो जदयू को 4 बार मिली जीत
इस सीट से कांग्रेस पार्टी ने 5 बार और जनता दल (यूनाइटेड) ने 4 बार चुनाव जीते हैं. संयुक्त समाजवादी पार्टी और जनता पार्टी ने तीन-तीन बार, जबकि समाजवादी पार्टी ने दो बार जीत हासिल की. एक और दिलचस्प बात ये है कि अब तक हुए 18 चुनावों में से 13 में यादव उपनाम वाले नेता जीतकर आए हैं.
फुलपरास की करीब 6 लाख आबादी
मौजूदा वक्त में फुलपरास की जनसंख्या और मतदाताओं की बात करें तो वर्ष 2024 की अनुमानित जनसंख्या के अनुसार, फुलपरास विधानसभा क्षेत्र की कुल जनसंख्या 5 लाख 96 हजार के आसपास है, चुनाव आयोग के अनुसार, यहां कुल 3,18968 पंजीकृत मतदाता हैं, जिनमें 168826 पुरुष, 150125 महिलाएं और 17 थर्ड जेंडर मतदाता शामिल हैं.
फुलपरास के बीचों-बीच से होकर गुजरती है भुतही बलान नदी
भौगोलिक दृष्टि से फुलपरास एक समतल और अत्यंत उपजाऊ क्षेत्र है. इसके बीच से बिहार की सबसे उग्र नदियों में से एक भुतही-बलान बहती है. यहां की अर्थव्यवस्था मुख्य रूप से कृषि पर आधारित है. फुलपरास का शुमार उन क्षेत्रों में होता है, जहां शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं की स्थिति आज भी संतोषजनक नहीं है. सरकारी सेवाओं की पहुंच सीमित है, और युवाओं के लिए रोजगार के अवसरों की भारी कमी है.
झंझारपुर लोकसभा सीट में पड़ता है यह क्षेत्र
इस क्षेत्र का रणनीतिक महत्व यह है कि फुलपरास, जिला मुख्यालय मधुबनी से लगभग 40 किमी, लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र झंझारपुर से लगभग 30 किमी और उत्तर बिहार के शहरी केंद्र दरभंगा से करीब 65 किमी की दूरी पर स्थित है. राज्य की राजधानी पटना यहां से करीब 180 किमी दूर है.
फुलपरास विधानसभा में आने वाली पंचायतें
2008 में हुए परिसीमन के अनुसार, यह क्षेत्र घोघरडीहा, फुलपरास और मधेपुर सीडी ब्लॉकों के अंतर्गत आने वाले कई पंचायतों को शामिल करता है. घोघरडीहा के अंतर्गत पिरोजगढ़ पंचायत पड़ती है. फुलपरास ब्लॉक में महिंदवार, धरमडीहा, गोढ़ियारी, महथौर खुर्द, छात्र बरही, फुलपरास, रामनगर ग्राम पंचायतें आती हैं. इसके अलावा, मधेपुर ब्लॉक में सुंदर बिराजित, मटरास, तरडीहा, महिशाम, मधेपुर पूर्व, मधेपुर पश्चिम, नवादा, करहारा, दारा, दोलख, महपतिया, बसीपट्टी, गढ़गांव, भकराईन, बाथ, बकवा, भरगावां, बरशाम, भेजा और रोहुआ संग्राम ग्राम पंचायतें शामिल हैं.
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(मधुबनी से प्रशांत झा की रिपोर्ट)
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