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अमित शाह की रैली का बिहार के लेलिनग्राद में क्या असर पड़ेगा, क्या भाजपा अपनी साख बचा पाएगी?

बिहार विधानसभा का चुनाव अपने शबाब पर पहुंच गया है. मतदान के महज कुछ ही दिन शेष बचे है. इसके पहले जिला के हर कोने में नेताओं का दौरा मतदाताओं को रिझाने के लिए पहुंच रहे है.

अमित शाह की रैली का बिहार के लेलिनग्राद में क्या असर पड़ेगा, क्या भाजपा अपनी साख बचा पाएगी?
  • बिहार विधानसभा चुनाव के अंतिम चरण में सभी गठबंधन के नेता मतदाताओं को रिझाने में पूरी ताकत झोंक रहे हैं
  • एनडीए के शीर्ष नेता अमित शाह, जेपी नड्डा और नीतीश कुमार कई महत्वपूर्ण क्षेत्रों का दौरा कर चुनाव प्रचार कर रहे
  • बेगूसराय में भाजपा के कद्दावर नेता और एनडीए घटक दल के नेता सक्रिय रूप से चुनावी मैदान में हैं
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बिहार विधानसभा का चुनाव अपने शबाब पर पहुंच गया है. मतदान के महज कुछ ही दिन शेष बचे है. इसके पहले जिला के हर कोने में नेताओं का दौरा मतदाताओं को रिझाने के लिए पहुंच रहे है. इसका परिणाम क्या होगा ये तो वक्त बताएगा पर जिस तरह हर गठबंधन के नेता चुनाव प्रचार के दौरान मतदाताओं को अपनी बातो से रिझाने में लगे है वो ये बताने के लिए काफी है कि कोई भी दल कोई कोर कसर नहीं छोड़ना चाहते है.

खास तौर पर बात अगर एनडीए कि करें तो अमित शाह, जेपी नड्डा और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जैसे नेता ताबड़तोड़ क्षेत्र का दौरा कर रहे है. बेगूसराय के तेघरा और बछवाड़ा और बेगूसराय विधानसभा सीट पर भाजपा के तीन कद्दावर नेता अपना भाग्य आजमा रहे है. जबकि चेरियाबरियारपुर, साहेबपुर कमाल, मटिहानी और बखरी सीट पर एनडीए घटक दल के नेता मैदान में है.

बुधवार को केंद्रीय गृहमंत्री अमित साह के भगवानपुर में हुई जनसभा ने चुनावी फिजा में चार चांद लगा दिया है. उम्मीद की जा रही है कि अमित शाह के आगमन से परिस्थिति बदली है और जनता का मूड़ भी. अमित शाह के आगमन से इन क्षेत्रों में भाग्य आजमा रहे नेताओं के चेहरे की मुस्कान बढ़ी है और वो जीत को लेकर आश्वास्त दिखने लगे है.

अपने संबोधन में अमित शाह ने बेगूसराय के बिकास के लिए किए गए छोटे बड़े कामो को गिनाया और लोगो को आश्वासत किया कि आने वाले दिनों में बिहार और तेजी से विकसित होगा,अगर जनता ने उन्हें मौका दिया तो. साथ ही उन्होंने लालू यादव के बीस साल के जंगल राज के कारनामों को भी गिन-गिन कर जनता को बीते दिनों कि याद ताज़ा करा दी.

अब देखना है कि अमित शाह और उनके जैसे अन्य बड़े नेता इसे कितना वोट बैंक में कितना तब्दील कर पाते है. हालांकि ये कहना गलत नहीं होगा कि अमित शाह के आगमन से जनता का रुझान एनडीए के प्रति बढ़ा है.

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