बिहार में खगड़िया जिले के अलौली प्रखंड के एक प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में चिकित्सकीय लापरवाही का एक चौंकाने वाला मामला प्रकाश में आया है जिसमें 23 महिलाओं की बिना एनेस्थीसिया के नसबंदी कराने के लिए सर्जरी कराने पर मजबूर होना पड़ा. खगड़िया के जिलाधिकारी ने मामले की जांच के आदेश दिए हैं और संबंधित जिले के सिविल सर्जन को जल्द से जल्द जांच पूरी करने को कहा है.
खगड़िया के सिविल सर्जन अमरकांत झा ने ‘पीटीआई-भाषा' को बताया कि यह गंभीर चिकित्सा लापरवाही का मामला है. बिना एनेस्थीसिया के महिलाओं को इस सर्जिकल प्रक्रिया से गुजरने के लिए कैसे मजबूर किया जा सकता है. उन्होंने कहा कि नसबंदी के लिए मानक अभ्यास के तहत एनेस्थीसिया का उपयोग होता है. जांच की जा रही है और दोषी पाए जाने वाले प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के डॉक्टरों सहित संबंधित चिकित्सा कर्मियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी.
अलौली प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में हाल ही में बिना एनेस्थीसिया के 23 महिलाओं की नसबंदी किए जाने का मामला प्रकाश में आया. इसी केंद्र पर करीब 30 महिलाओं की नसबंदी की जाना थी. सर्जरी से पहले 30 में से 23 को कथित तौर पर एनेस्थीसिया नहीं दिया गया था.
झा ने कहा कि उनमें से सात महिलाएं डर की वजह से मौके से भाग गईं और स्थानीय निवासियों को सूचित किया. उन्होंने कहा कि जांच पूरी होने दीजिए और किसी को बख्शा नहीं जाएगा. उन्होंने कहा कि हम पीड़ितों से मिल रहे हैं.
पीड़ितों में से एक प्रतिमा ने बृहस्पतिवार को पत्रकारों से बातचीत में कहा, ‘‘मैं उस भयानक घटना को याद नहीं करना चाहती. मैं दर्द से चीख रही थी लेकिन चार लोगों ने मेरे हाथ और पैर कसकर पकड़ लिए थे. शुरुआत में जब मैंने डॉक्टर से अपने असहनीय दर्द के बारे में पूछा तो उन्होंने कहा कि ऐसा होता है.''
एक अन्य पीड़िता ने नाम न छापने की शर्त पर कहा कि वह पूरी सर्जरी के दौरान होश में थी. एक निजी संगठन द्वारा चलाए जा रहे सरकार प्रायोजित अभियान के हिस्से के रूप में इन महिलाओं ने फैलोपियन ट्यूब की सर्जिकल नसबंदी कराई थी.
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