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This Article is From Sep 30, 2015

यह है वीआईपी राघोपुर का हाल : 15 साल से लालू का गढ़ लेकिन एक पुल तक नहीं

यह है वीआईपी राघोपुर का हाल : 15 साल से लालू का गढ़ लेकिन एक पुल तक नहीं
राघोपुर में नाव पर रखा जा रहा वाहन।
नई दिल्ली: जेठुली घाट पर नाव पर सामान के अलावा साइकिल, मोटर साइकिल यहां तक की कार भी बड़े आराम से आ जाती है। अगर राघोपुर जाना हो तो सिर्फ नाव का ही सहारा है। वहां तक कोई सड़क नहीं जाती। एक व्यक्ति ने बताया कि "कोई चारा नहीं है ऐसे ही जाना पड़ता है, जिसके कारण हमें कई दिक्कतों का सामना करना पड़ता है।"

वीडियो : आइए जानते हैं VIP सीट राघोपुर का हाल

लालू और राबड़ी को मिली जीत

राघोपुर वह विधान सभा क्षेत्र है, जिसका लालू यादव और राबड़ी देवी ने बतौर मुख्यमंत्री 10 साल तक प्रतिनिधित्व किया। इस बार भी यह वीआईपी चुनाव क्षेत्र है। इसके बावजूद पटना से तीस किलोमीटर दूर यह आज भी एक टापू की तरह है। जब गंगा में पानी कम हो जाता है तो दो महीने के लिए यह क्षेत्र पीपा पुल से जुड़ जाता है। नाव में सवार एक शख्स ने कहा "पीपा पुल सिर्फ दो महीने के लिए होता है। वैसे पीपा पुल भी लालूजी ने दिया। पक्का पुल तो केंद्र सरकार को देना है। अभी तक नहीं दिया। पहले मनमोहन और अब मोदी दोनों झूठे वादे करते हैं।"

पढ़ाई के लिए पटना के भरोसे
जेठुली घाट में हमारी मुलाकात पप्पू भर्ती से हुई। पप्पू भर्ती राघोपुर में रहते हैं लेकिन पढ़ने के लिए पटना जाते हैं। पप्पू ने कहा "राघोपुर में रहता हूं लेकिन वहां कोई अच्छा स्कूल या कॉलेज नहीं है, इसलिए ज्यादातर नौजवान पटना पढ़ने आते हैं।" उनके मुताबिक राघोपुर का हर नागरिक पुल चाहता है।

नाव में ओवरलोडिंग
भरी हुई नाव में किनारे बैठी हुई  किरण भी मिलीं। किरण राघोपुर में सरकारी स्कूल में टीचर हैं। उनके मुताबिक रोज नाव से इस पार से उस ओर जाना इतना आसान नहीं है। बरसात में मुश्किल बढ़ जाती है। वैसे भी हर नाव में ओवरलोडिंग एक बहुत  बड़ी समस्या है।

दरअसल कमाई के चक्कर में नाव वाले एक फेरे में करीब 200 तक सवारी बैठा लेते हैं। हर शख्स से दस रुपये किराया लिया जाता है। पैसे वाले जरूरत पड़ने पर पूरी नाव ही किराये पर ले लेते हैं। कई बार अपनी कार भी वे इस नाव में ले जाते हैं।  लेकिन आम लोगों को नाव के पूरी तरह भरने तक इंतज़ार करना होता है।

एक मायूस राघोपुर के निवासी का कहना था दरअसल जरूरत का हर सामान दूध सब्जी, सब कुछ इन्हीं नाव के जरिए राघोपुर तक जाता है। नाव ही सहारा है और कोई नहीं। किसी सरकार से कोई उम्मीद नहीं। अभी तक किसी ने कुछ नहीं दिया। आगे भी दूसरी सरकार क्या कर लेगी, हमने कितनी बार अर्ज़ी दी लेकिन कौन सुन रहा है।"

राघोपुर में घूमते हुए मौजूदा विधायक सतीश कुमार यादव भी मिल गए। सतीश वैसे तो जद यू से जीतकर विधानसभा पहुंचे थे लेकिन इस बार बीजेपी से चुनावी मैदान में उतरे हैं। वैसे सतीश कुमार यादव ने ही पिछले चुनाव में राबड़ी देवी को राघोपुर से हराया था, पर इस बार जब सियासत बदली तो नए समीकरण में जद यू ने उन्हें टिकट नहीं दिया।

मौजूदा विधायक का विश्वास- पांच साल में बन जाएगा पुल
सतीश कुमार यादव ने हमसे अपनी सफाई देते हुए कहा "लालू और राबड़ी ने बतौर मुख्यमंत्री राघोपुर का प्रतिनिधित्व 1995 से 2005 तक किया। तब भी जब मैं पुल की बात करता था तो वे मुझे डांट देते थे। लेकिन नीतीश सरकार ने एक महीने पहले इस पुल का शिलान्यास कर दिया है।"  जब हमने उनसे पूछा की वे अगर अच्छा काम कर रहे थे तो नीतीश ने उनका टिकट क्यों काट दिया, तो उनका कहना था क्योंकि लालू अपने बेटों  के लिए सेफ सीट चाहते थे। वैसे बता दें कि विधायक साहब का कहना है कि अगले पांच साल में पुल तैयार हो जाएगा।

उधर घाट से कुछ दूर राजनीति का स्टेज तैयार हो रहा था। आरजेडी के मुखिया लालू यादव ने यहीं से खुले आम जाति के आधार पर वोट मांगा था। लालू ने विवादित  बयान  दिया था "यदुवंशियो सावधान ....सब एक जुट होकर वोट देना ......बंटना नहीं तो ....ये अगड़े और पिछड़ों की लड़ाई है.....आरएसएस में सब कई ब्राह्मण हैं।"  

जो पुल बनवाएगा, वही जीत पाएगा
उधर राघोपुर की जनता का कहना है जो कोई पुल बनवाएगा वही यहां से जीत पाएगा। राघोपुर से वापस लौटते हुए बस यही खयाल मन में आया कि बेशक राजनैतिक पार्टियां जाति के आधार पर वोट मांग रही हों, लेकिन जनता उसे ही वोट देगी जो इलाके का विकास करेगा। उम्मीद करनी चाहिए कि राघोपुर को भी जल्द अच्छे दिन देखने को मिलेंगे।

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