पीएम मोदी के साथ खड़े नंदकिशोर यादव (फोटो क्रेडिट- http://nandkishoreyadav.com/)
नई दिल्ली:
यूं तो बिहार की पटना साहिब सीट को बीजेपी का गढ़ माना जाता है और यहां से नंदकिशोर यादव पीछे पांच बार जीत दर्ज कर चुके हैं। पिछले चुनाव में अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी को 65 हजार से अधिक वोटों से हराने वाले नंदकिशोर से टक्कर लेने के लिए आरजेडी ने इस बार संतोष मेहता को टिकट दिया है।
पटना साहिब क्षेत्र की राजनीति पर करीबी नजर रखने वाले जानकर इन दोनों को गुरु-चेले की जोड़ी करार देते हैं। पिछले विधानसभा चुनाव में बीजेपी से टिकट नहीं मिलने से नाराज़ होकर मेहता पार्टी से अलग हो गए थे। बीते चुनाव में किसी पार्टी से टिकट का जुगाड़ नहीं कर पाए मेहता का सपना इस बार आरजेडी ने पूरा कर दिया और कभी नंदकिशोर यादव को अपना राजनीतिक गुरु बताने वाले मेहता अब उन्हें कड़ी टक्कर देने की तैयारी में हैं।
बिहार में जेडीयू-बीजेपी की गठबंधन सरकार में स्वास्थ्य और सड़क परिवहन एवं पर्यटन मंत्रालय संभाल चुके 62 वर्षीय नंदकिशोर बीएससी तक पढ़े हुए हैं। इसके वह जयप्रकाश नारायण के नेतृत्व में शुरू संपूर्ण क्रांति से जुड़ गए।
राज्य के पिछले पांच विधानसभा चुनावों में हर जीत के साथ वोट प्रतिशत बढ़ाते रहे नंदकिशोर पर पार्टी ने एक बार फिर से भरोसा जताया है। गुरु-चेले की लड़ाई के बीच यह देखना दिलचस्प होगा कि बीजेपी के नंदकिशोर यादव जीत का छक्क जड़ते हैं या पहली बार चुनाव लड़ रहे आरजेडी प्रत्याशी संतोष मेहता बाजी मारते हैं।
इस प्राचीन शहर में लोगों की व्यवस्था को लेकर कई शिकायतें भी हैं। यहां की संकरी सड़कों पर लगातार बढ़ते वाहनों के दबाव से शहर में ट्रैफिक जाम लगना रोज की ही बात है। वहीं पीने के पानी की समस्या से लोग परेशान हैं। ऐसे में हर बार चुनावी वादों पर विश्वास कर वोट देते आए पटना साहिब के मतदाताओं को रिझाने के लिए नंदकिशोर को थोड़ी मशक्कत करनी पड़ सकती है, लेकिन जानकार मानते हैं उनकी जीत लगभग तय मानी जा रही है।
पटना साहिब क्षेत्र की राजनीति पर करीबी नजर रखने वाले जानकर इन दोनों को गुरु-चेले की जोड़ी करार देते हैं। पिछले विधानसभा चुनाव में बीजेपी से टिकट नहीं मिलने से नाराज़ होकर मेहता पार्टी से अलग हो गए थे। बीते चुनाव में किसी पार्टी से टिकट का जुगाड़ नहीं कर पाए मेहता का सपना इस बार आरजेडी ने पूरा कर दिया और कभी नंदकिशोर यादव को अपना राजनीतिक गुरु बताने वाले मेहता अब उन्हें कड़ी टक्कर देने की तैयारी में हैं।
बिहार में जेडीयू-बीजेपी की गठबंधन सरकार में स्वास्थ्य और सड़क परिवहन एवं पर्यटन मंत्रालय संभाल चुके 62 वर्षीय नंदकिशोर बीएससी तक पढ़े हुए हैं। इसके वह जयप्रकाश नारायण के नेतृत्व में शुरू संपूर्ण क्रांति से जुड़ गए।
राज्य के पिछले पांच विधानसभा चुनावों में हर जीत के साथ वोट प्रतिशत बढ़ाते रहे नंदकिशोर पर पार्टी ने एक बार फिर से भरोसा जताया है। गुरु-चेले की लड़ाई के बीच यह देखना दिलचस्प होगा कि बीजेपी के नंदकिशोर यादव जीत का छक्क जड़ते हैं या पहली बार चुनाव लड़ रहे आरजेडी प्रत्याशी संतोष मेहता बाजी मारते हैं।
इस प्राचीन शहर में लोगों की व्यवस्था को लेकर कई शिकायतें भी हैं। यहां की संकरी सड़कों पर लगातार बढ़ते वाहनों के दबाव से शहर में ट्रैफिक जाम लगना रोज की ही बात है। वहीं पीने के पानी की समस्या से लोग परेशान हैं। ऐसे में हर बार चुनावी वादों पर विश्वास कर वोट देते आए पटना साहिब के मतदाताओं को रिझाने के लिए नंदकिशोर को थोड़ी मशक्कत करनी पड़ सकती है, लेकिन जानकार मानते हैं उनकी जीत लगभग तय मानी जा रही है।
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