प्रतीकात्मक फोटो
भोपाल:
मध्यप्रदेश के पेंच टाइगर रिजर्व (पीटीआर) में सात बाघों की मौत के साथ ही प्रदेश में पिछले एक वर्ष में शिकार और अन्य वजहों से 16 बाघों की मौत हो चुकी है। गैर-सरकारी संगठन इसके लिए जहां सरकार को दोषी ठहराते हैं वहीं दूसरी ओर वन विभाग के अधिकारी इनमें से अधिकतर मौतों को सामान्य बता रहे हैं।
बाघों के संरक्षण के लिये काम करने वाले गैर सरकारी संगठन ‘प्रयत्न’ के संचालक अजय दुबे ने कहा, सबसे अधिक बाघों की संख्या के कारण कभी ‘टाइगर स्टेट’ का दर्जा रखने वाला मध्यप्रदेश, इस आलीशान वन्यजीव के सरंक्षण में प्रदेश सरकार के असफल रहने के कारण, बाघों की संख्या के मामले में अब देश में तीसरे स्थान पर आ गया है। उन्होंने कहा, मध्यप्रदेश में आठ साल बाद भी अब तक ’स्पेशल टाइगर प्रोटेक्शन फोर्स’ का गठन नहीं हो सका है। उन्होंने कहा कि बाघ के शिकार के अपराध में दोषसिद्धी की दर मध्यप्रदेश में 10 प्रतिशत से भी कम है तथा प्रदेश में बाघ के शिकार के मामलों में गुप्तचर सूचनाओं की संख्या शून्य है। उन्होंने कहा कि उन्हें याद नहीं कि हाल के वर्षों में बाघ के शिकार के मामले में प्रदेश में कोई निरोधक गिरफ्तारियां की गई हों।
हालांकि, वन विभाग के अतिरिक्त प्रमुख वन संरक्षक (वन्यजीव) शहबाज अहमद ने कहा, प्रदेश सरकार और वन विभाग बाघों के संरक्षण की दिशा में बेहतर से बेहतर प्रयास कर रहा है। उन्होंने प्रदेश में बाघों की मौतों को नगण्य बताते हुए कहा कि इनमें से अधिकतर बाघों की मौत सामान्य कारणों से हुई है।
अहमद ने कहा कि करंट और जहर से बाघ के शिकार के कुछ मामले सामने आये हैं, जिन पर सख्ती से कार्रवाई की जा रही है। कुछ मामलों में ग्रामीणों ने शाकाहारी जानवरों के शिकार के लिये करंट वाला तार बिछाया था लेकिन उसमें बाघ फंस गये। प्रदेश में स्पेशल टाइगर प्रोटेक्शन फोर्स के गठन के सवाल पर उन्होंने कहा कि यह मामला प्रदेश सरकार के समक्ष विचाराधीन है।
नेशनल टाइगर कन्जर्वेशन अथॉरिटी (एनटीसीए) की अधिकारिक वेबसाइट के मुताबिक मध्यप्रदेश में गत एक वर्ष में 16 बाघों की मौत हो चुकी है। इनमें से सात बाघों की मौत प्रदेश के पेंच टाइगर रिजर्व :पीटीआर: में हुई है। एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि पीटीआर के सतोषा इलाके में पिछले माह एक बाघिन और उसके दो शावकों को जहर देकर मार दिया गया था। इस मामले में तीन लोगों को गिरफ्तार किया गया है।
पीटीआर अधिकारियों ने गत वर्ष सितम्बर माह में चार शिकारियों को गिरफ्तार कर उनके पास से मारे गये बाघ के शरीर के अंग बरामद किये थे। पीटीआर के संचालक शुभरंजन सेन ने बताया कि पकड़े गए इन शिकारियों पर मुकदमा चलाया जा रहा है।
एनटीसीए की वेबसाइट के अनुसार, पीटीआर के अलावा प्रदेश के कान्हा टाइगर रिजर्व, बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व, पन्ना टाइगर रिजर्व, रातापानी वन्यप्राणी अभयारण्य, संजय-धूबरी टाइगर रिजर्व, छिदंवाड़ा जिले के जंगल, उमरिया-शहडोल जिले के राजमार्ग और देवास जिले में बाघ की मौत होने की सूचना है। अधिकतर मामलों में एनटीसीए को बाघों की मौत की कारणों की प्रतीक्षा है।
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है)
बाघों के संरक्षण के लिये काम करने वाले गैर सरकारी संगठन ‘प्रयत्न’ के संचालक अजय दुबे ने कहा, सबसे अधिक बाघों की संख्या के कारण कभी ‘टाइगर स्टेट’ का दर्जा रखने वाला मध्यप्रदेश, इस आलीशान वन्यजीव के सरंक्षण में प्रदेश सरकार के असफल रहने के कारण, बाघों की संख्या के मामले में अब देश में तीसरे स्थान पर आ गया है। उन्होंने कहा, मध्यप्रदेश में आठ साल बाद भी अब तक ’स्पेशल टाइगर प्रोटेक्शन फोर्स’ का गठन नहीं हो सका है। उन्होंने कहा कि बाघ के शिकार के अपराध में दोषसिद्धी की दर मध्यप्रदेश में 10 प्रतिशत से भी कम है तथा प्रदेश में बाघ के शिकार के मामलों में गुप्तचर सूचनाओं की संख्या शून्य है। उन्होंने कहा कि उन्हें याद नहीं कि हाल के वर्षों में बाघ के शिकार के मामले में प्रदेश में कोई निरोधक गिरफ्तारियां की गई हों।
हालांकि, वन विभाग के अतिरिक्त प्रमुख वन संरक्षक (वन्यजीव) शहबाज अहमद ने कहा, प्रदेश सरकार और वन विभाग बाघों के संरक्षण की दिशा में बेहतर से बेहतर प्रयास कर रहा है। उन्होंने प्रदेश में बाघों की मौतों को नगण्य बताते हुए कहा कि इनमें से अधिकतर बाघों की मौत सामान्य कारणों से हुई है।
अहमद ने कहा कि करंट और जहर से बाघ के शिकार के कुछ मामले सामने आये हैं, जिन पर सख्ती से कार्रवाई की जा रही है। कुछ मामलों में ग्रामीणों ने शाकाहारी जानवरों के शिकार के लिये करंट वाला तार बिछाया था लेकिन उसमें बाघ फंस गये। प्रदेश में स्पेशल टाइगर प्रोटेक्शन फोर्स के गठन के सवाल पर उन्होंने कहा कि यह मामला प्रदेश सरकार के समक्ष विचाराधीन है।
नेशनल टाइगर कन्जर्वेशन अथॉरिटी (एनटीसीए) की अधिकारिक वेबसाइट के मुताबिक मध्यप्रदेश में गत एक वर्ष में 16 बाघों की मौत हो चुकी है। इनमें से सात बाघों की मौत प्रदेश के पेंच टाइगर रिजर्व :पीटीआर: में हुई है। एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि पीटीआर के सतोषा इलाके में पिछले माह एक बाघिन और उसके दो शावकों को जहर देकर मार दिया गया था। इस मामले में तीन लोगों को गिरफ्तार किया गया है।
पीटीआर अधिकारियों ने गत वर्ष सितम्बर माह में चार शिकारियों को गिरफ्तार कर उनके पास से मारे गये बाघ के शरीर के अंग बरामद किये थे। पीटीआर के संचालक शुभरंजन सेन ने बताया कि पकड़े गए इन शिकारियों पर मुकदमा चलाया जा रहा है।
एनटीसीए की वेबसाइट के अनुसार, पीटीआर के अलावा प्रदेश के कान्हा टाइगर रिजर्व, बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व, पन्ना टाइगर रिजर्व, रातापानी वन्यप्राणी अभयारण्य, संजय-धूबरी टाइगर रिजर्व, छिदंवाड़ा जिले के जंगल, उमरिया-शहडोल जिले के राजमार्ग और देवास जिले में बाघ की मौत होने की सूचना है। अधिकतर मामलों में एनटीसीए को बाघों की मौत की कारणों की प्रतीक्षा है।
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है)
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं