- सिमी के सदस्य 'बड़ी आतंकी वारदात की साज़िश रच रहे थे' : MP के गृहमंत्री
- भूपेंद्र सिंह ने कहा, अगर वे भाग जाते, तो राष्ट्रीय सुरक्षा खतरे में होती
- एनएचआरसी ने मध्य प्रदेश सरकार तथा राज्य पुलिस से स्पष्टीकरण मांगा है
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भोपाल:
मध्य प्रदेश के गृहमंत्री भूपेंद्र सिंह ने NDTV को बताया है कि प्रतिबंधित संगठन स्टूडेंट्स इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया (सिमी) के भोपाल सेंट्रल जेल से भागे और बाद में मार गिराए गए आठ सदस्य 'बड़ी आतंकवादी वारदात की साज़िश रच रहे थे', और जेल से भागने में एक 'बड़े नेटवर्क' ने उनकी मदद की थी.
वर्ष 2001 में आतंकवादी संगठन के तौर पर प्रतिबंधित किए गए सिमी के सदस्यों के बारे में बात करते हुए गृहमंत्री ने कहा, "अगर इस तरह के आतंकवादी भागने में कामयाब हो गए होते, तो यह राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए बहुत बड़ा खतरा होता... मध्य प्रदेश पुलिस ने बहुत कम समय में उन्हें खोजकर मार गिराया..."
कैदियों को मार गिराए जाने के वक्त के कुछ वीडियो सामने आए, जिनमें किसी शूटआउट के कोई संकेत नहीं मिलते, और पुलिस वाले काफी नज़दीक से कैदियों को मारते दिखाई दे रहे हैं (NDTV इन वीडियो की सच्चाई और प्रामाणिकता की पुष्टि नहीं कर सकता है). इसके बाद राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) ने मध्य प्रदेश की शिवराज सिंह चौहान सरकार तथा राज्य पुलिस से स्पष्टीकरण मांगा है. सरकार ने कहा है कि फुटेज की जांच की जा रही है, और यह जेल ब्रेक मामले की जांच का ही हिस्सा होगी.
पुलिस के मुताबिक, रविवार को दीवाली के कारण जेल में कथित रूप से गश्त कुछ कम हो रही थी, जिसका फायदा उठाकर कैदियों ने चादरों को आपस में बांधकर रस्सी तैयार की, और जेल की 30 फुट ऊंची चारदीवारी फांदकर भाग गए. भागने से पहले उन्होंने जेल के एक गार्ड की हत्या भी की. उस वक्त सरकार और पुलिस के मुताबिक, कैदियों के पास सिर्फ वे चम्मच थे, जो भोजन के साथ उन्हें दिए जाते थे.
कुछ ही घंटे बाद कैदियों का सुराग भोपाल से लगभग 10 किलोमीटर दक्षिण में बसे एक गांव से मिला, जहां जंगल भी है. भोपाल के इंस्पेक्टर जनरल योगेश चौधरी ने NDTV को बताया कि जब पुलिस का आमना-सामना कैदियों से हुआ, उन्होंने चार देसी कट्टों से पुलिस वालों पर गोलियां चलानी शुरू कर दीं. उन्होंने यह स्वीकार किया कि जो तीन पुलिस वाले घायल हुए हैं, वे तीखे हथियारों से ज़ख्मी हुए हैं, गोलियों से नहीं.
केंद्रीय गृह राज्यमंत्री किरेन रिजिजू ने कहा है कि 'सिर्फ एक वीडियो के आधार पर' पुलिस की कार्रवाई पर सवालिया निशान नहीं लगाया जाना चाहिए.
मध्य प्रदेश के गृहमंत्री ने बताया कि सिमी के सदस्य पक्के अपराधी थे, जिन्हें आतंकवाद से लेकर देशद्रोह तथा हत्याओं के आरोप में जेल में रखा गया था. उन्होंने NDTV से बातचीत में कहा, "उन पर आतंकवादी गतिविधियों में लिप्त होने के आरोप हैं... उन्होंने इस जेलब्रेक को अंजाम दिया... यह मध्य प्रदेश की सबसे सुरक्षित जेल है... यह साफ है कि इस साज़िश के पीछे कोई बड़ा नेटवर्क काम कर रहा है..."
राज्य की जेलमंत्री कुसुम मेहदाले ने स्वीकार किया कि यह जेलब्रेक 'किसी अंदरूनी मदद' से किया गया हो सकता है, और सुरक्षा व्यवस्था में कुछ खामियां रहीं, जिनमें सीसीटीवी का काम नहीं करना शामिल है.
वर्ष 2001 में आतंकवादी संगठन के तौर पर प्रतिबंधित किए गए सिमी के सदस्यों के बारे में बात करते हुए गृहमंत्री ने कहा, "अगर इस तरह के आतंकवादी भागने में कामयाब हो गए होते, तो यह राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए बहुत बड़ा खतरा होता... मध्य प्रदेश पुलिस ने बहुत कम समय में उन्हें खोजकर मार गिराया..."
कैदियों को मार गिराए जाने के वक्त के कुछ वीडियो सामने आए, जिनमें किसी शूटआउट के कोई संकेत नहीं मिलते, और पुलिस वाले काफी नज़दीक से कैदियों को मारते दिखाई दे रहे हैं (NDTV इन वीडियो की सच्चाई और प्रामाणिकता की पुष्टि नहीं कर सकता है). इसके बाद राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) ने मध्य प्रदेश की शिवराज सिंह चौहान सरकार तथा राज्य पुलिस से स्पष्टीकरण मांगा है. सरकार ने कहा है कि फुटेज की जांच की जा रही है, और यह जेल ब्रेक मामले की जांच का ही हिस्सा होगी.
पुलिस के मुताबिक, रविवार को दीवाली के कारण जेल में कथित रूप से गश्त कुछ कम हो रही थी, जिसका फायदा उठाकर कैदियों ने चादरों को आपस में बांधकर रस्सी तैयार की, और जेल की 30 फुट ऊंची चारदीवारी फांदकर भाग गए. भागने से पहले उन्होंने जेल के एक गार्ड की हत्या भी की. उस वक्त सरकार और पुलिस के मुताबिक, कैदियों के पास सिर्फ वे चम्मच थे, जो भोजन के साथ उन्हें दिए जाते थे.
कुछ ही घंटे बाद कैदियों का सुराग भोपाल से लगभग 10 किलोमीटर दक्षिण में बसे एक गांव से मिला, जहां जंगल भी है. भोपाल के इंस्पेक्टर जनरल योगेश चौधरी ने NDTV को बताया कि जब पुलिस का आमना-सामना कैदियों से हुआ, उन्होंने चार देसी कट्टों से पुलिस वालों पर गोलियां चलानी शुरू कर दीं. उन्होंने यह स्वीकार किया कि जो तीन पुलिस वाले घायल हुए हैं, वे तीखे हथियारों से ज़ख्मी हुए हैं, गोलियों से नहीं.
केंद्रीय गृह राज्यमंत्री किरेन रिजिजू ने कहा है कि 'सिर्फ एक वीडियो के आधार पर' पुलिस की कार्रवाई पर सवालिया निशान नहीं लगाया जाना चाहिए.
मध्य प्रदेश के गृहमंत्री ने बताया कि सिमी के सदस्य पक्के अपराधी थे, जिन्हें आतंकवाद से लेकर देशद्रोह तथा हत्याओं के आरोप में जेल में रखा गया था. उन्होंने NDTV से बातचीत में कहा, "उन पर आतंकवादी गतिविधियों में लिप्त होने के आरोप हैं... उन्होंने इस जेलब्रेक को अंजाम दिया... यह मध्य प्रदेश की सबसे सुरक्षित जेल है... यह साफ है कि इस साज़िश के पीछे कोई बड़ा नेटवर्क काम कर रहा है..."
राज्य की जेलमंत्री कुसुम मेहदाले ने स्वीकार किया कि यह जेलब्रेक 'किसी अंदरूनी मदद' से किया गया हो सकता है, और सुरक्षा व्यवस्था में कुछ खामियां रहीं, जिनमें सीसीटीवी का काम नहीं करना शामिल है.
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