सिद्धरमैया की कलाई पर बंधी स्विस ब्रांड Hublot की घड़ी
बेंगलुरु:
जेडीएस नेता और कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री कुमारास्वामी के खिलाफ राज्य कांग्रेस के नेताओं ने मोर्चा खोल दिया है वो भी इस आरोप के साथ कि कुमारास्वामी और उनके परिवार के पास भी करोड़ों की रुपये की घड़ी है।
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता वी.एस. उगरप्पा के मुताबिक 2007 में जब कुमारास्वामी राज्य के मुख्यमंत्री थे, तब उन्हें दुबई के एक करोरोबारी ने 1.3 करोड़ रुपये के मूल्य की बेशकीमती घड़ी तोहफे के तौर पर दी थी।
नियमों के मुताबिक़ इस घड़ी को उन्हें सरकारी ख़ज़ाने में जमा करवाना चाहिए था जो कि उन्होंने नहीं किया। पत्रकारों को कुमारास्वामी ने बताया कि उनके पास जो भी बहुमूल्य घड़ी या गाड़ी है, वो सब उन्होंने अपने पैसे से खरीदे हैं और ज़रूरत पड़ी तो आयकर विभाग को जानकारी दे सकते हैं। इस मामले को कुमारास्वामी ने ही ये कहते हुए तूल दिया था कि मुख्यमंत्री सिद्धरमैया जो घड़ी पहनते हैं उसकी क़ीमत 70 लाख रुपये है और इसमें हीरे जड़े हैं। इसका जवाब देते हुए सिद्धरमैया ने कहा कि उन्हें अपनी घड़ी की क़ीमत का अंदाजा नहीं है, अगर ये 70 लाख रुपये की है तो कुमारास्वामी को वो इसे 10 लाख में देने को तैयार हैं और इस रकम को वो सरकारी ख़ज़ाने में जमा कर देंगे।
इस पर कुमारास्वामी ने जवाब दिया कि वो कोई स्क्रैप डीलर नहीं हैं कि पुराना माल ख़रीदें। मामले को एक आरटीआई कार्यकर्ता ने और हवा दी। राज्यपाल को पत्र लिख मुख्यमंत्री के खिलाफ जांच करवाने का आग्रह किया ये कहते हुए कि नियमों के मुताबिक़ 5 हज़ार रुपये मुल्य से ज़यादा का तोहफा मुख्यमंत्री को ख़ज़ाने में जमा करवाना चाहिए।
अब प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष प्रल्हाद जोशी ने प्रवर्तन निदेशालय के डायरेक्टर को पत्र लिख कर इस मामले की जांच करवाने का आग्रह किया है ताकि ये पता चल सके कि हीरे जड़ी इस घड़ी का असली मालिक कौन है। क्या नियमों को ताक पर रख कर इसकी ख़रीद फरोख्त हुई है।
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता वी.एस. उगरप्पा के मुताबिक 2007 में जब कुमारास्वामी राज्य के मुख्यमंत्री थे, तब उन्हें दुबई के एक करोरोबारी ने 1.3 करोड़ रुपये के मूल्य की बेशकीमती घड़ी तोहफे के तौर पर दी थी।
नियमों के मुताबिक़ इस घड़ी को उन्हें सरकारी ख़ज़ाने में जमा करवाना चाहिए था जो कि उन्होंने नहीं किया। पत्रकारों को कुमारास्वामी ने बताया कि उनके पास जो भी बहुमूल्य घड़ी या गाड़ी है, वो सब उन्होंने अपने पैसे से खरीदे हैं और ज़रूरत पड़ी तो आयकर विभाग को जानकारी दे सकते हैं। इस मामले को कुमारास्वामी ने ही ये कहते हुए तूल दिया था कि मुख्यमंत्री सिद्धरमैया जो घड़ी पहनते हैं उसकी क़ीमत 70 लाख रुपये है और इसमें हीरे जड़े हैं। इसका जवाब देते हुए सिद्धरमैया ने कहा कि उन्हें अपनी घड़ी की क़ीमत का अंदाजा नहीं है, अगर ये 70 लाख रुपये की है तो कुमारास्वामी को वो इसे 10 लाख में देने को तैयार हैं और इस रकम को वो सरकारी ख़ज़ाने में जमा कर देंगे।
इस पर कुमारास्वामी ने जवाब दिया कि वो कोई स्क्रैप डीलर नहीं हैं कि पुराना माल ख़रीदें। मामले को एक आरटीआई कार्यकर्ता ने और हवा दी। राज्यपाल को पत्र लिख मुख्यमंत्री के खिलाफ जांच करवाने का आग्रह किया ये कहते हुए कि नियमों के मुताबिक़ 5 हज़ार रुपये मुल्य से ज़यादा का तोहफा मुख्यमंत्री को ख़ज़ाने में जमा करवाना चाहिए।
अब प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष प्रल्हाद जोशी ने प्रवर्तन निदेशालय के डायरेक्टर को पत्र लिख कर इस मामले की जांच करवाने का आग्रह किया है ताकि ये पता चल सके कि हीरे जड़ी इस घड़ी का असली मालिक कौन है। क्या नियमों को ताक पर रख कर इसकी ख़रीद फरोख्त हुई है।
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