क्रांति संभव
                                            
                                        
                                        
                                        - 
                                                 
                                                         एक सोशल मीडिया योद्धा की ट्रैवल डायरी
छुट्टियों पर जाकर तस्वीरें खींचना जीवन की अद्भुत व्यथा है, जिसे भरपूर एन्जॉय किया जाता है. जब नौकरी और प्रोडक्टिविटी के मकड़जाल में यह समय के सदुपयोग के हिसाब से परम धर्म लगता रहता था. अब इस व्याधि की गहराई और ज़्यादा अंडरग्राउंड चली गई है.
- जून 28, 2018 13:46 pm IST
 - क्रांति संभव
 
 - 
                                                 
                                                         राहुल गांधी पर बीजेपी का उपकाऱ और ब्लॉग को लेकर मेरी दुविधा...
विचार बदलना मुश्किल काम होता है. दिमाग़ की चक्की में नई बातों को डालना पड़ता है, पुर्ज़ों में तेल डालते रहना पड़ता है कि चक्की चलती रहे. बातों को बारीक़ पीसकर विचार में तब्दील करती रहे. इससे ज़्यादा मुश्किल काम होता है धारणा बदलना. धारणा विचारों की बोरियों को एक पर एक रखने पर बनती हैं. इसी लिए धारणा बदलने के लिए ज़्यादा मेहनत करनी पड़ती है.
- मई 18, 2018 23:03 pm IST
 - क्रांति संभव
 
 - 
                                                 
                                                         कुशीनगर में ग़लती किसकी थी? और सज़ा का गणित क्या होता है?
बारह इंतज़ार अब कभी ख़त्म नहीं होंगे, जिनके सफ़र घर और स्कूल के बीच ख़त्म हो गए. ये इंतज़ार ना तो उनके परिवारों के लिए ख़त्म होगा ना ही उनके स्कूल के दोस्तों के लिए. उनके मां-बाप कुछ दिनों तक, सुबह उनके टिफ़िन में क्या दिया जाएगा, सोने से पहले हर रात आदतन सोचेंगे. आदतन सुबह उठेंगे भी लेकिन नाश्ता नहीं बनाएंगे.
- अप्रैल 27, 2018 00:07 am IST
 - क्रांति संभव
 
 - 
                                                 
                                                         पूजा और लाठीचार्ज के बीच एक देवी, एक मनुष्य और एक शरीर
बीएचयू में धरना चल रहा था. छात्राओं की स्टोरी चल रही थी. न्यूज़ एजेंसी की माइक पर लड़कियां बता रहीं थीं छेड़ख़ानी की शिकायत के बारे में. एक लड़का भी साउंड बाइट देने आया.
- सितंबर 30, 2017 09:18 am IST
 - क्रांति संभव
 
 - 
                                                 
                                                         दिल्ली की ट्रैफिक में साइकिल चलाने से मुझे क्या सबक मिला...
सेहत की फिक्र करने वाले और थोड़ा बहुत पर्यावरण की चिंता करने वाले अपर मिडिल क्लास लोगों ने जब से हजारों और लाखों रुपये की साइकिलें खरीदनी शुरू की है, लोगों का नजरिया बदला है.
- सितंबर 23, 2017 13:03 pm IST
 - क्रांति संभव
 
 - 
                                                 
                                                         “बयान”: एक सस्ती एंथ्रोपोलॉजिकल स्टडी
बयान शाश्वत है. ना तो वो दिया जाता है, ना वो सुना जाता है. ब्रह्मांड का अकाट्य तत्व है बयान जो सिर्फ़ मुंह बदलता है. बयान अपनी पार्टी और अपना फ़ॉर्म बदलता है, नेता और वोट बैंक भी बदलता है क्योंकि बयान एक कॉस्मिक एनर्जी हैं. वो एनर्जी जिससे छिटक कर मनुष्य बना है.
- सितंबर 16, 2017 00:58 am IST
 - क्रांति संभव
 
 - 
                                                 
                                                         क्या बीएमडब्ल्यू के विज़न डायनैमिक्स से चुनौती मिलेगी टेस्ला कारों को?
फ्रैंकफर्ट मोटर शो में कार कंपनियों में नई कार और फ़्यूचरिस्टिक कारों को दिखाने के लिए होड़ लगी हुई है और इस बार भी ज़्यादातर का फ़ोकस भविष्य की कारों पर ही है, जो चाहे ईंधन के मामले में हो या ड्राइव के मामले में.
- सितंबर 15, 2017 08:06 am IST
 - क्रांति संभव
 
 - 
                                                 
                                                         नितिन गडकरी के बयान से क्यों भौंचक्की रह गईं कार कंपनियां?
ये मामला शुरू हुआ था ऑटोमोटिव कंपोनेंट मैन्युफ़ैक्चर्रस की कांफ्रेंस में. वे कंपनियां जो गाड़ी कंपनियों के लिए पार्ट पुर्ज़े बनाती हैं उनका असोसिएशन है ACMA और उसी के कांफ्रेंस में देश-विदेश की कंपनियों के नुमाइंदे आए हुए थे.
- सितंबर 11, 2017 09:34 am IST
 - क्रांति संभव
 
 - 
                                                 
                                                         सोशल मीडिया कॉम्पैटिबल मुद्दों को उठाने की जरूरत नहीं, उठे-उठाए आते हैं...
बहुत समय से एक विड्रॉल सिम्प्टम महसूस हो रहा है. लग रहा है कि मन में कुछ बेचैनी है, अंगूठे कसमसा रहे हैं, ट्विटर टाइमलाइन तड़पड़ा रहा है, फेसबुक फड़फड़ा रहा है, बाकी सोशल मीडिया के तमाम प्लैटफ़ॉर्म पर भी इत्यादि टाइप की समस्याएं देखने को मिल रही थीं. लग रहा है एक खालीपन ने पूरे यूनिवर्स को घेर लिया है. इस मनोस्थिति को पकड़ने के लिए हेलो जिंदगी वाले शाहरुख खान काफी हैं, फ़्रॉयड की जरूरत नहीं पड़ेगी. समस्या सीधी और सिंपल है, हुआ दरअसल ये है कि मार्केट में मुद्दों की भारी कमी हो गई है, अब कोई ऐसा मुद्दा बच ही नहीं पा रहा है जिसे मैं उठा पाऊं.
- अगस्त 30, 2017 16:01 pm IST
 - क्रांति संभव
 
 - 
                                                 
                                                         राइट टू प्राइवेसी आयोग से लिस्ट में ऑफ़िस के वॉशरूम और शादी का बुफ़े को जोड़ने का आवेदन
मैं एक 'जनरलिस्ट' हूं. और आदर्श 'जनरलिस्ट' की तरह ना तो मुझे पता है कि किस फ़ॉर्मैट के तहत ये आवेदन भेजना चाहिए और ना ही मैं जानने की कोशिश में मेहनत करना चाहता हूं.
- अगस्त 25, 2017 08:15 am IST
 - क्रांति संभव
 
 - 
                                                 
                                                         सराहा में लॉगिन करने के बाद मैंने फेसबुक और मित्रों के बारे में क्या जाना?
ख़ैर सराहा से मेरा तो एजेंडा को पूरा हो गया. ब्लाग हो गया. अब सोच रहा हूं कि तुरंत लॉग आउट करूं या अपने कुछ और ईगो-बूस्टिंग संदेशों का इंतज़ार करूं?
- अगस्त 24, 2017 08:38 am IST
 - क्रांति संभव
 
 - 
                                                 
                                                         क्या केवल सुपरबाइक पर चर्चा से देश के बाकी हिमांशु बंसल बच पाएंगे...?
एक और दुखद हादसा. एक और दर्दनाक मौत. एक बार फिर चर्चा सुपरबाइक्स की. सुपरबाइक्स की ख़ामियों की, ख़तरों की और नौजवानों पर रफ़्तार के जुनून की.
- अगस्त 16, 2017 15:47 pm IST
 - Written by: क्रांति संभव
 
 - 
                                                 
                                                         कब हार मानी होगी गोरखपुर के अस्पताल में बैठे उस पिता ने...
बच्चा दिमाग़ कई विडंबनाओं को देखकर उलझ जाता है. ऐसे ही किसी एक याद ना आने वाली बारीक़ी को जब समझने में दिक्कत हो रही थी तो मुझसे ठीक बड़ी बहन ने मुझसे कहा कि मां बनोगे तो समझोगे.
- अगस्त 12, 2017 21:18 pm IST
 - क्रांति संभव
 
 - 
                                                 
                                                         क्या 'कंपस' की आकर्षक क़ीमत भारतीय एसयूवी बाज़ार में 'जीप' की सफलता के लिए काफ़ी है?
जीप एक ऐसा ब्रांड है जो ऑफ़रोडिंग के लिए दुनिया में जाना जाता है, कंपनी ने भारत में पहले से अपनी रैंगलर और ग्रैंड चेरोकी उतारी हुई हैं.
- अगस्त 02, 2017 22:46 pm IST
 - क्रांति संभव
 
 - 
                                                 
                                                         टाटा मोटर्स के सबसे बड़े दांव की टेस्ट ड्राइव : नई छोटी एसयूवी 'नेक्सॉन'
टाटा मोटर्स भारतीय बाजार में अपने पांव को मजबूत बनाने में लगातार लगी हुई है. कंपनी अपने पुराने प्रोडक्ट और इंजीनियरिंग के फ़िलॉस्फी से निकल कर नई गाड़ियों को बनाने और लांच करने में लगी हुई है.
- जुलाई 29, 2017 15:11 pm IST
 - Written by: क्रांति संभव