तेलंगाना राष्ट्र समिति (टीआरएस) के प्रमुख के चंद्रशेखर राव.
नई दिल्ली:
Telangana Vidhan Sabha Results 2018: तेलंगाना राष्ट्र समिति (टीआरएस) के प्रमुख के चंद्रशेखर राव ने समय से पहले विधानसभा भंग करके एक दांव खेला था. यह दांव उनके लिए सही साबित हुआ. केसीआर ने समय से छह महीने पहले ही विधानसभा भंग करके जल्दी चुनाव की मांग की थी. इस फैसले के पीछे उनकी यह सोच हो सकती कि अगर वे समय से पहले विधानसभा भंग नहीं करते हैं तो लोकसभा चुनाव के साथ तेलंगाना में चुनाव करवाए जाएंगे. ऐसे में उस दौरान राष्ट्रीय मुद्दे हावी होने की ज्यादा संभावना थी. इनका असर विधानसभा चुनाव में उनकी पार्टी के प्रदर्शन पर देखने को मिल सकता था. शायद यही सोचकर उन्होंने जल्दी विधानसभा भंग कर दी और चुनाव आयोग ने राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और मिजोरम के साथ विधानसभा चुनाव करवा दिए. (पल-पल के लाइव अपडेट यहां पढ़ें)
हालांकि, जब केसीआर ने विधानसभा जल्दी भंग करने का फैसला किया था तो कई लोगों ने उनके इस फैसले पर सवाल उठाए थे. लेकिन विधानसभा चुनाव में उनकी पार्टी के प्रदर्शन ने आलोचकों का मुंह बंद कर दिया. लोगों ने कहा था कि हो सकता है कि केसीआर के इस फैसले की वजह से उन्हें सत्ता विरोधी लहर का सामना करना पड़े. चुनाव प्रचार के दौरान जिस तरह से के चंद्रशेखर राव पर दोतरफे हमले हो रहे थे, उससे कबीर का काफी प्रचलित एक दोहा याद आ रहा था. 'चलती चाकी देखकर, कबीरा दिया रोय, दुइ पाटन के बीच में, साबुत बचा ना कोय'
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तेलंगाना की चुनावी रैलियों में कांग्रेस की ओर से राहुल गांधी और भारतीय जनता पार्टी से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी केसीआर यानी के चंद्रशेखर राव पर ताबड़तोड़ हमले कर रहे थे. ऐसा लग रहा था कि तेलंगाना की सियासत में केसीआर दो पाटन के बीच में फंस गए हैं. टीडीपी प्रमुख चंद्रबाबू नायडू, कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तीनों चुनावी रैलियों में टीआरएस प्रमुख केसीआर पर हमला बोल रहे थे. लेकिन इनके सबके बावजूद भी चुनाव परिणामों के रुझानों के मुताबिक केसीआर को पहले से ज्यादा सीटों के साथ सरकार बनाते नजर आ रहे हैं.
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रुझानों के आंकड़ों के मुताबिक 119 सीटों में से 86 सीटों पर टीआरएस आगे बनी हुई है. पिछले बार की बजाय इस बार टीआरएस को 23 सीटों का फायदा होता दिख रहा है. वहीं कांग्रेस की बात करें उसने 22 सीटों पर बढ़त बना रखी है. यहां कांग्रेस को 15 सीटों का नुकसान दिख रहा है. भाजपा केवल दो सीटों पर अपनी बढ़त बनाए हुए है. भाजपा को भी तीन सीटों का नुकसान होता हुआ दिखा रहा है. वहीं अन्य के खाते में 9 सीटें जा सकती हैं.
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