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This Article is From Nov 27, 2018

झालरापाटन में वसुंधरा और मानवेंद्र की कड़ी टक्कर: राजपूतों को लुभाने की कांग्रेस की ये चाल होगी कामयाब?

राजपूत समुदाय का प्रदेश की 200 में से करीब 50 सीटों पर दबदबा है और यह उन्हें प्रभावित कर सकते हैं. राज्य में करीब 11 फीसदी राजपूत समुदाय के वोट हैं.

झालरापाटन में वसुंधरा और मानवेंद्र की कड़ी टक्कर: राजपूतों को लुभाने की कांग्रेस की ये चाल होगी कामयाब?
मानवेंद्र सिंह ने सितंबर महीने में भाजपा छोड़ी है.
जयपुर: राजस्थान विधानसभा चुनाव में सीएम वसुंधरा राजे के खिलाफ कांग्रेस ने मानवेंद्र सिंह को उतारकर इस मुकाबले को दिलचस्प बना दिया है. झालावाड़ की झालरापाटन सीट से वसुंधरा राजे साल 2003 से लगातार चुनाव जीत रही हैं, लेकिन इस बार उन्हें मानवेंद्र सिंह कड़ी टक्कर देते दिख रहे हैं. पूर्व भाजपा विधायक और पूर्व केंद्रीय मंत्री जसवंत सिंह के बेटे मानवेंद्र ने इसी साल सितंबर महीने में भारतीय जनता पार्टी का साथ छोड़ा है. भाजपा का साथ छोड़ते हुए उन्होंने नारा दिया था, ''कमल का फूल, हमारी भूल.' कांग्रेस ने यहां चाल चलते हुए वसुंधरा से नाराज चल रहे राजपूत समुदाय को लुभाने के लिए मानवेंद्र सिंह को दंगल में उतार दिया. मानवेंद्र भी अपना इलाका बाड़मेर छोड़कर सीएम वसुंधरा राजे को मुकाबला देने आ गए.

राजपूत समुदाय का प्रदेश की 200 में से करीब 50 सीटों पर दबदबा है और यह उन्हें प्रभावित कर सकते हैं. राज्य में करीब 11 फीसदी राजपूत समुदाय के वोट हैं. राजपूत मतदाता भाजपा का पारंपरिक वोट बैंक रहा है, लेकिन जसवंत सिंह को टिकट न देने, आनंदपाल का एनकाउंटर और पद्मावत फिल्म पर विवाद के बाद राजपूतों और भाजपा में मन मुटाव की स्थिति देखने को मिली है. इसके साथ ही मानवेंद्र के चुनाव प्रचार में करनी सेना भी उतर गई है. पद्मावत मूवी का सबसे ज्यादा विरोध करनी सेना ने ही किया था. अब देखना यह है कि क्या कांग्रेस इस स्थिति को भुना पाएगी?

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गौर करने वाली बात यह भी है कि राजपूत वोट बैंक सिर्फ भाजपा ही नहीं कांग्रेस के लिए भी चिंता का विषय है. झालरापाटन से सटे कोटा रियासत के पूर्व राज घराने के सदस्य भी कांग्रेस छोड़ भाजपा में शामिल हुए हैं. कांग्रेस से सांसद रहे इज्येराज सिंह की पत्नी कल्पना भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ रही है. ऐसे में राजपूत समुदाय के वोट भाजपा के हिस्से में जाने की संभावना है. 

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