वाराणसी में रोडशो के दौरान पीएम नरेंद्र मोदी.
प्राचीन शहर वाराणसी को यूं ही एक हजार साल से जीवित शहर नहीं कहा जाता. इसकी खास वजहों में सांस्कृतिक विरासत के साथ-साथ राजनीतिक चेतना है. संभवतया इसी की पृष्ठभूमि में पीएम नरेंद्र मोदी ने 2014 में इसको अपना संसदीय बनाने का फैसला किया. लोगों को अपने रंग में सराबोर करने वाला बनारस एक बार फिर सबको अपनी तरफ आकर्षित कर रहा है. इस विधानसभा चुनाव में पीएम नरेंद्र मोदी ने अपना एकमात्र रोडशो यहां आयोजित कर एक बार फिर से यहां से कई सियासी संदेश देने का काम किया है. अंतिम चरणों में पूर्वांचल में होने जा रहे मतदान के चलते बीजेपी यहां से अपनी दमदार उपस्थिति और अभियान का संचालन कर रही है.
इस बार बीजेपी किसी भी सूरत में कोई चांस लेने को तैयार नहीं दिखती और इसी क्रम में सियासी प्रतीक के रूप में बनारस में शक्ति प्रदर्शन के जरिये वोटरों को आकर्षित करने का सियासी संदेश दे रही है. संभवतया इसी वजह से मोदी सरकार के दर्जनों मंत्रियों ने भी यहां डेरा जमा रखा है. दरअसल पिछली बार पूर्वांचल में सबसे ज्यादा सीटें सपा को मिली थी. इसके मद्देनजर बीजेपी अबकी किसी भी कीमत पर सपा को पछाड़कर इस अंचल में नंबर वन पार्टी बनना चाहती है. संभवतया इन्हीं वजहों से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खुद चार-छह मार्च के बीच वाराणसी में ही रहेंगे. बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने पहले से ही यहां डेरा जमा रखा है. एक तरह से तीसरे चरण के चुनाव खत्म होने के बाद बीजेपी ने बीजेपी के राज्य मुख्यालय को लखनऊ से वाराणसी शिफ्ट कर दिया है.
वाराणसी में पीएम मोदी के रोडशो इसलिए भी मायने रखता है क्योंकि इस जिले में आठ विधानसभा सीटें हैं लेकिन पिछले विधानसभा चुनाव में इस जिले की केवल तीन सीटें जीतने में ही बीजेपी कामयाब रही. इस बार पीएम मोदी का संसदीय क्षेत्र होने के नाते बीजेपी के समक्ष इस आंकड़े को बढ़ाने की चुनौती है. हालांकि दो मौजूदा विधायकों के टिकट काटे जाने के बाद भितरघात की आशंका से भी इनकार नहीं किया जा रहा है. इन सबकी वजह से बीजेपी खेमे में अंदरखाने बेचैनी भी है क्योंकि बीजेपी किसी भी सूरत में पूर्वांचल की धुरी कहे जाने वाले और पीएम के संसदीय क्षेत्र में किसी भी तरह के लचर प्रदर्शन से विरोधियों को आलोचना का मौका नहीं देना चाहती.
इस बार बीजेपी किसी भी सूरत में कोई चांस लेने को तैयार नहीं दिखती और इसी क्रम में सियासी प्रतीक के रूप में बनारस में शक्ति प्रदर्शन के जरिये वोटरों को आकर्षित करने का सियासी संदेश दे रही है. संभवतया इसी वजह से मोदी सरकार के दर्जनों मंत्रियों ने भी यहां डेरा जमा रखा है. दरअसल पिछली बार पूर्वांचल में सबसे ज्यादा सीटें सपा को मिली थी. इसके मद्देनजर बीजेपी अबकी किसी भी कीमत पर सपा को पछाड़कर इस अंचल में नंबर वन पार्टी बनना चाहती है. संभवतया इन्हीं वजहों से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खुद चार-छह मार्च के बीच वाराणसी में ही रहेंगे. बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने पहले से ही यहां डेरा जमा रखा है. एक तरह से तीसरे चरण के चुनाव खत्म होने के बाद बीजेपी ने बीजेपी के राज्य मुख्यालय को लखनऊ से वाराणसी शिफ्ट कर दिया है.
वाराणसी में पीएम मोदी के रोडशो इसलिए भी मायने रखता है क्योंकि इस जिले में आठ विधानसभा सीटें हैं लेकिन पिछले विधानसभा चुनाव में इस जिले की केवल तीन सीटें जीतने में ही बीजेपी कामयाब रही. इस बार पीएम मोदी का संसदीय क्षेत्र होने के नाते बीजेपी के समक्ष इस आंकड़े को बढ़ाने की चुनौती है. हालांकि दो मौजूदा विधायकों के टिकट काटे जाने के बाद भितरघात की आशंका से भी इनकार नहीं किया जा रहा है. इन सबकी वजह से बीजेपी खेमे में अंदरखाने बेचैनी भी है क्योंकि बीजेपी किसी भी सूरत में पूर्वांचल की धुरी कहे जाने वाले और पीएम के संसदीय क्षेत्र में किसी भी तरह के लचर प्रदर्शन से विरोधियों को आलोचना का मौका नहीं देना चाहती.
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