केंद्रीय ऊर्जा मंत्री पीयूष गोयल...
वाराणसी:
उत्तर प्रदेश में चुनावी माहौल इतना गर्म है कि बीजेपी ने समाजवादी पार्टी की सरकार पर बिजली वितरण में भेदभाव का आरोप लगाया. वहीं अखिलेश यादव का दावा है कि यूपी में बिजली 24 घंटे दी जा रही है. वहीं, अब बीजेपी के हाथ में सूबे में बिजली की 24 घंटे सप्लाई के दावे पर प्रहार करने के लिए नया हथियार हाथ लग गया है. केंद्रीय ऊर्जा मंत्री पीयूष गोयल घौसाबाद स्थित पार्टी के मीडिया सेंटर में प्रेसवार्ता कर रहे थे. वे राज्य की अखिलेश यादव सरकार पर लोगों को पर्याप्त बिजली न देने और कनेक्शन में भेदभाव के तथ्यों के हाथ हमला कर रहे थे. पीयूष गोयल ने जैसे ही इलेक्ट्रानिक मीडिया को बाइट देनी शुरू की तो अचानक बिजली चली गई. फिर क्या था, केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल सहित बीजेपी के नेताओं ने तंज कसने शुरू कर दिए. कई लोगों ने मौके पर यह भी कह दिया कि ‘हाथ कंगन को आरसी क्या..’.
बिजली मंत्री पीयूष गोयल ने मीडिया से बातचीत में अपने आरोपों के संबंध में खूब आंकड़े पेश किए. एक जवाब में उन्होंने कहा कि मुरादाबाद के सांसद सर्वेश कुमार की शिकायत के बाद वहां के आठ गांवों में जांच कराने पर यह पुष्टि हुई है कि अखिलेश यादव सरकार ने जाति-धर्म के नाम पर बिजली के कनेक्शन बांटे हैं. गोयल ने कहा कि कई सांसदों की ओर से शिकायतें आई हैं. गरीबों से कनेक्शन के नाम पर रुपये भी लिए गए हैं. पीयूष गोयल ने कहा कि केंद्र में बीजेपी की सरकार न आई होती तो उत्तर प्रदेश के विद्युतीकरण में तेजी न दिखाई देती.
गोयल ने आरोप लगाया कि बसपा और सपा की सरकारें बिजली मुहैया कराने और गांवों तक बिजली पहुंचाने में विफल रहीं हैं. बसपा ने बाद के अपने तीन वर्ष के कार्यकाल में मात्र 79 नए गांवों तक बिजली पहुंचाई थी. सपा की सरकार आई तो पहले दो साल तक सोई रही. बाद के वर्षों में मात्र 62 नए गांवों तक बिजली पहुंचाई. केंद्र में बीजेपी की सरकार बनी तो ग्रामीण विद्युतीकरण पर केंद्र के कहने पर ध्यान दिया गया. वर्ष 2015-16 में हमने 1305 नए गांवों तक बिजली पहुंचाई. हमारी सरकार बनने के बाद हमने केंद्र से अधिकारियों को भेजकर यहीं के सिस्टम और विभाग के जरिए 21404 टोले-मजरों तक बिजली पहुंचाई. गोयल ने चुनाव पूर्व व बाद के बिजली आपूर्ति संबंधी एक संस्था के आंकड़े भी पेश करते हुए कहा कि यही हकीकत है.
पीयूष गोयल ने कहा कि प्रधानमंत्री की योजना है कि 15 अगस्त 2022 तक सभी को चौबीस घंटे सातों दिन निर्बाध बिजली मिले. इससे जुड़े मसौदे पर सभी राज्यों की ओर से हस्ताक्षर कर दिए गए. सिर्फ उत्तर प्रदेश सरकार ने अब तक हस्ताक्षर नहीं किए. अखिलेश यादव सरकार जनता और किसानों को बिजली का लाभ नहीं देना चाहती. उत्तर प्रदेश में निर्बाध बिजली सिर्फ सैफई को मिलती है. केंद्र में बीजेपी सरकार आने के बाद पहली बार ऐसा हुआ कि देश में बिजली और कोयला सरप्लस है. बावजूद इसके उत्तर प्रदेश सरकार नेशनल ग्रिड से बिजली नहीं खरीदती.
बिजली मंत्री पीयूष गोयल ने मीडिया से बातचीत में अपने आरोपों के संबंध में खूब आंकड़े पेश किए. एक जवाब में उन्होंने कहा कि मुरादाबाद के सांसद सर्वेश कुमार की शिकायत के बाद वहां के आठ गांवों में जांच कराने पर यह पुष्टि हुई है कि अखिलेश यादव सरकार ने जाति-धर्म के नाम पर बिजली के कनेक्शन बांटे हैं. गोयल ने कहा कि कई सांसदों की ओर से शिकायतें आई हैं. गरीबों से कनेक्शन के नाम पर रुपये भी लिए गए हैं. पीयूष गोयल ने कहा कि केंद्र में बीजेपी की सरकार न आई होती तो उत्तर प्रदेश के विद्युतीकरण में तेजी न दिखाई देती.
सौगंध गंगा मैया की, आज काशी में संवाददाता सम्मेलन के दौरान बिजली गुल देख कर सपा के खोखले दावों की पोल खुल गई |https://t.co/HRN1qtDBcT pic.twitter.com/AEgtyBiOcB
— Piyush Goyal (@PiyushGoyal) February 28, 2017
गोयल ने आरोप लगाया कि बसपा और सपा की सरकारें बिजली मुहैया कराने और गांवों तक बिजली पहुंचाने में विफल रहीं हैं. बसपा ने बाद के अपने तीन वर्ष के कार्यकाल में मात्र 79 नए गांवों तक बिजली पहुंचाई थी. सपा की सरकार आई तो पहले दो साल तक सोई रही. बाद के वर्षों में मात्र 62 नए गांवों तक बिजली पहुंचाई. केंद्र में बीजेपी की सरकार बनी तो ग्रामीण विद्युतीकरण पर केंद्र के कहने पर ध्यान दिया गया. वर्ष 2015-16 में हमने 1305 नए गांवों तक बिजली पहुंचाई. हमारी सरकार बनने के बाद हमने केंद्र से अधिकारियों को भेजकर यहीं के सिस्टम और विभाग के जरिए 21404 टोले-मजरों तक बिजली पहुंचाई. गोयल ने चुनाव पूर्व व बाद के बिजली आपूर्ति संबंधी एक संस्था के आंकड़े भी पेश करते हुए कहा कि यही हकीकत है.
पीयूष गोयल ने कहा कि प्रधानमंत्री की योजना है कि 15 अगस्त 2022 तक सभी को चौबीस घंटे सातों दिन निर्बाध बिजली मिले. इससे जुड़े मसौदे पर सभी राज्यों की ओर से हस्ताक्षर कर दिए गए. सिर्फ उत्तर प्रदेश सरकार ने अब तक हस्ताक्षर नहीं किए. अखिलेश यादव सरकार जनता और किसानों को बिजली का लाभ नहीं देना चाहती. उत्तर प्रदेश में निर्बाध बिजली सिर्फ सैफई को मिलती है. केंद्र में बीजेपी सरकार आने के बाद पहली बार ऐसा हुआ कि देश में बिजली और कोयला सरप्लस है. बावजूद इसके उत्तर प्रदेश सरकार नेशनल ग्रिड से बिजली नहीं खरीदती.
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