इरोम शर्मिला
इंफाल:
इरोम शर्मिला चानू ने केन्द्रीय चुनाव आयोग के निर्देश पर राज्य के अधिकारियों द्वारा मुहैया करायी जा रही ‘सुरक्षा’ लेने से इनकार कर दिया.
इरोम ने बताया कि उनकी किसी के साथ दुश्मनी नहीं है और उन्हें ‘इस बारे में डरने की जरूरत नहीं है.’’ पूर्व में जानी मानी मानवाधिकार कार्यकर्ता रह चुकीं इरोम शर्मिला ने कहा कि सशस्त्र बलों से घिरे रहकर वह ‘वीआईपी कल्चर’ को बढ़ावा देने के बजाय लोगों के साथ रहना चाहती हैं.
दूसरी तरफ अतिरिक्त मुख्य सचिव जे सुरेश बाबू ने बताया, ‘‘राज्य प्रशासन अपना काम कर रहा है क्योंकि भारत के निर्वाचन आयोग (ईसीआई) ने उन्हें शर्मिला को सुरक्षा मुहैया कराने का आदेश दिया है. ऐसा इसलिए क्योंकि, वह हर समय लगभग अकेले ही यात्रा करती हैं.’’ उन्होंने बताया, ‘‘शर्मिला की खुद की रक्षा के लिए सुरक्षा मुहैया करायी गयी है.’’ इस बीच, शर्मिला की पार्टी पीपल्स रीसर्जेन्स एंड जस्टिस एलायंस (पीआरजेए) के संयोजक इरेन्ड्रो ने बताया कि उनकी सुरक्षा में राज्य सशस्त्र बल के छह जवानों को तैनात किया गया है. उन्होंने बताया, ‘‘वे लगातार उनके साथ हैं.’’
ईसीआई ने शुक्रवार को राज्य प्रशासन से शर्मिला को सुरक्षा मुहैया कराने को कहा था. शर्मिला 11वें मणिपुर राज्य विधानसभा चुनाव में थोउबल से चुनाव लड़ रही हैं जो उनके प्रतिद्वंद्वी मुख्यमंत्री ओ इबोबी सिंह का गृह नगर है. भाजपा ने थउबल से एल बशंता सिंह को चुनावी मैदान में उतारा है.
शर्मिला ने अपना राजनीतिक दल पीपल्स रीसर्जेन्स एंड जस्टिस एलायंस (पीआरजेए) बनाया जिसने राज्य में होने वाले विधानसभा चुनाव में तीन प्रत्याशी उतारे हैं.
सशस्त्र बल विशेषाधिकार अधिनियम (एएफएसपीए- अफस्पा) के खिलाफ 16 वर्ष तक भूख हड़ताल पर रहीं शर्मिला को राज्य के मुख्यमंत्री इबोबी सिंह का प्रमुख प्रतिद्वंद्वी समझा जा रहा है. शर्मिला ने अगस्त 2016 में अपनी भूख हड़ताल खत्म की थी.
पीआरजेए वैकल्पिक राजनीति के जरिये सूबे में प्रभाव कायम करने की कोशिश में जुटी है. वहीं वर्ष 2002, 2007 और 2012 में जीत हासिल करने वाले मणिपुर के तीन बार के मुख्यमंत्री इबोबी सिंह की निगाहें चौथी बार जीत हासिल करने पर होगी.
अक्टूबर, 2016 में इरोम चानू शर्मिला ने पीपल्स रीसर्जेंस एंड जस्टिस एलांयस (पीआरजेए) का गठन किया और मार्च में होने वाले विधानसभा चुनाव लड़ने का फैसला किया है जिसका एक मात्र एजेंडा मणिपुर से अफस्पा को हटाना है.
मणिपुर विधानसभा चुनाव से अपनी राजनीतिक पारी की शुरुआत कर रहीं इरोम शर्मिला का कहना है कि उन्होंने विवादित कानून एएफएसपीए के खिलाफ अपनी लड़ाई छोड़ी नहीं है बल्कि इसे ख़त्म करवाने की रणनीति में थोड़ा बदलाव किया है.
मणिपुर की 60 सदस्यीय विधानसभा के लिए चार और आठ मार्च को दो चरणों में चुनाव होना है. चुनाव के परिणाम 11 मार्च को घोषित किए जाएंगे. पिछले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने 42 सीटों पर जीत हासिल की थी और ओ इबोबी सिंह एक बार फिर से राज्य के मुख्यमंत्री बने थे.
(इनपुट एजेंसी से)
इरोम ने बताया कि उनकी किसी के साथ दुश्मनी नहीं है और उन्हें ‘इस बारे में डरने की जरूरत नहीं है.’’ पूर्व में जानी मानी मानवाधिकार कार्यकर्ता रह चुकीं इरोम शर्मिला ने कहा कि सशस्त्र बलों से घिरे रहकर वह ‘वीआईपी कल्चर’ को बढ़ावा देने के बजाय लोगों के साथ रहना चाहती हैं.
दूसरी तरफ अतिरिक्त मुख्य सचिव जे सुरेश बाबू ने बताया, ‘‘राज्य प्रशासन अपना काम कर रहा है क्योंकि भारत के निर्वाचन आयोग (ईसीआई) ने उन्हें शर्मिला को सुरक्षा मुहैया कराने का आदेश दिया है. ऐसा इसलिए क्योंकि, वह हर समय लगभग अकेले ही यात्रा करती हैं.’’ उन्होंने बताया, ‘‘शर्मिला की खुद की रक्षा के लिए सुरक्षा मुहैया करायी गयी है.’’ इस बीच, शर्मिला की पार्टी पीपल्स रीसर्जेन्स एंड जस्टिस एलायंस (पीआरजेए) के संयोजक इरेन्ड्रो ने बताया कि उनकी सुरक्षा में राज्य सशस्त्र बल के छह जवानों को तैनात किया गया है. उन्होंने बताया, ‘‘वे लगातार उनके साथ हैं.’’
ईसीआई ने शुक्रवार को राज्य प्रशासन से शर्मिला को सुरक्षा मुहैया कराने को कहा था. शर्मिला 11वें मणिपुर राज्य विधानसभा चुनाव में थोउबल से चुनाव लड़ रही हैं जो उनके प्रतिद्वंद्वी मुख्यमंत्री ओ इबोबी सिंह का गृह नगर है. भाजपा ने थउबल से एल बशंता सिंह को चुनावी मैदान में उतारा है.
शर्मिला ने अपना राजनीतिक दल पीपल्स रीसर्जेन्स एंड जस्टिस एलायंस (पीआरजेए) बनाया जिसने राज्य में होने वाले विधानसभा चुनाव में तीन प्रत्याशी उतारे हैं.
सशस्त्र बल विशेषाधिकार अधिनियम (एएफएसपीए- अफस्पा) के खिलाफ 16 वर्ष तक भूख हड़ताल पर रहीं शर्मिला को राज्य के मुख्यमंत्री इबोबी सिंह का प्रमुख प्रतिद्वंद्वी समझा जा रहा है. शर्मिला ने अगस्त 2016 में अपनी भूख हड़ताल खत्म की थी.
पीआरजेए वैकल्पिक राजनीति के जरिये सूबे में प्रभाव कायम करने की कोशिश में जुटी है. वहीं वर्ष 2002, 2007 और 2012 में जीत हासिल करने वाले मणिपुर के तीन बार के मुख्यमंत्री इबोबी सिंह की निगाहें चौथी बार जीत हासिल करने पर होगी.
अक्टूबर, 2016 में इरोम चानू शर्मिला ने पीपल्स रीसर्जेंस एंड जस्टिस एलांयस (पीआरजेए) का गठन किया और मार्च में होने वाले विधानसभा चुनाव लड़ने का फैसला किया है जिसका एक मात्र एजेंडा मणिपुर से अफस्पा को हटाना है.
मणिपुर विधानसभा चुनाव से अपनी राजनीतिक पारी की शुरुआत कर रहीं इरोम शर्मिला का कहना है कि उन्होंने विवादित कानून एएफएसपीए के खिलाफ अपनी लड़ाई छोड़ी नहीं है बल्कि इसे ख़त्म करवाने की रणनीति में थोड़ा बदलाव किया है.
मणिपुर की 60 सदस्यीय विधानसभा के लिए चार और आठ मार्च को दो चरणों में चुनाव होना है. चुनाव के परिणाम 11 मार्च को घोषित किए जाएंगे. पिछले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने 42 सीटों पर जीत हासिल की थी और ओ इबोबी सिंह एक बार फिर से राज्य के मुख्यमंत्री बने थे.
(इनपुट एजेंसी से)
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