वाराणसी:
बनारस की सड़कों पर मुस्लिम बहुल इलाकों से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का रोड शो गुजरा तो बड़ी संख्या में समुदाय के लोग उमड़े. लेकिन क्या ऐसी संभावना भी बन रही है कि यह भीड़ प्रधानमंत्री के संसदीय क्षेत्र में भाजपा उम्मीदवारों के पक्ष में वोटों में बदलेगी? मोदी के संसदीय क्षेत्र में 20 प्रतिशत आबादी मुस्लिमों की है. यहां इस समुदाय को सपा-कांग्रेस गठबंधन का समर्थक माना जाता है. हालांकि 2012 में सपा और कांग्रेस में टकराव की स्थिति को ही शहर की तीनों विधानसभा सीटों पर भाजपा की जीत की बड़ी वजह माना जाता है.
मदनपुरा में रहने वाले 70 साल के कारोबारी रफीक अहमद ने कहा, 'हमारे प्रधानमंत्री हैं. बनारस तरक्की करेगा तो हम भी करेंगे, लेकिन भाजपा वाले हमें पसंद नहीं करते.' जब कुछ मुस्लिम युवाओं से पूछा गया कि क्या वे मोदी के लिए वोट करेंगे, तो उन्होंने कहा, 'भाजपा ने उत्तर प्रदेश में कितने मुस्लिमों को खड़ा किया? एक भी नहीं. राज्य में हमारी आबादी 20 प्रतिशत है, लेकिन 403 सीटों में से एक पर भी मुस्लिम उम्मीदवार नहीं. हम उनके लिए वोट क्यों करें?'
अगर कुछ मुसलमान वाराणसी में विकास योजनाएं शुरू करने और स्वच्छता का श्रेय प्रधानमंत्री को देते हैं तो वहीं नोटबंदी को लेकर समुदाय में कुछ असंतोष भी है. सरकार के इस ऐलान से बुनकर समुदाय खासतौर पर प्रभावित हुआ था, जिनमें अधिकतर मुस्लिम हैं.
जानेमाने हैंडलूम विक्रेता अब्दुल रउफ बुनकरों की चिंताओं से निपटने के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के रुख से निराश हैं, लेकिन उन्हें अब भी प्रधानमंत्री से उम्मीदें हैं. नोटबंदी के फैसले के बाद बनारसी साड़ियां अपनी चमक खो चुकी हैं. अधिकतर मुस्लिम बुनकर भाजपा की नीतियों से बहुत खुश नहीं हैं. 26 साल के जुबैर अहमद हल्के-फुल्के अंदाज में कहते हैं कि हममें से कुछ लोग भाजपा को वोट दे भी देंगे तो कोई भरोसा नहीं करेगा. बनारस में भाजपा ने पूरी ताकत लगा दी है और कई केंद्रीय मंत्रियों समेत पार्टी के वरिष्ठ नेताओं ने यहां डेरा डाल रखा है.
(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
मदनपुरा में रहने वाले 70 साल के कारोबारी रफीक अहमद ने कहा, 'हमारे प्रधानमंत्री हैं. बनारस तरक्की करेगा तो हम भी करेंगे, लेकिन भाजपा वाले हमें पसंद नहीं करते.' जब कुछ मुस्लिम युवाओं से पूछा गया कि क्या वे मोदी के लिए वोट करेंगे, तो उन्होंने कहा, 'भाजपा ने उत्तर प्रदेश में कितने मुस्लिमों को खड़ा किया? एक भी नहीं. राज्य में हमारी आबादी 20 प्रतिशत है, लेकिन 403 सीटों में से एक पर भी मुस्लिम उम्मीदवार नहीं. हम उनके लिए वोट क्यों करें?'
अगर कुछ मुसलमान वाराणसी में विकास योजनाएं शुरू करने और स्वच्छता का श्रेय प्रधानमंत्री को देते हैं तो वहीं नोटबंदी को लेकर समुदाय में कुछ असंतोष भी है. सरकार के इस ऐलान से बुनकर समुदाय खासतौर पर प्रभावित हुआ था, जिनमें अधिकतर मुस्लिम हैं.
जानेमाने हैंडलूम विक्रेता अब्दुल रउफ बुनकरों की चिंताओं से निपटने के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के रुख से निराश हैं, लेकिन उन्हें अब भी प्रधानमंत्री से उम्मीदें हैं. नोटबंदी के फैसले के बाद बनारसी साड़ियां अपनी चमक खो चुकी हैं. अधिकतर मुस्लिम बुनकर भाजपा की नीतियों से बहुत खुश नहीं हैं. 26 साल के जुबैर अहमद हल्के-फुल्के अंदाज में कहते हैं कि हममें से कुछ लोग भाजपा को वोट दे भी देंगे तो कोई भरोसा नहीं करेगा. बनारस में भाजपा ने पूरी ताकत लगा दी है और कई केंद्रीय मंत्रियों समेत पार्टी के वरिष्ठ नेताओं ने यहां डेरा डाल रखा है.
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