फाइल फोटो
झांसी:
बामेर गांव के शेर सिंह यादव का परिवार खेती के भरोसे ही चलता है. लिहाजा गर्मी की दस्तक पड़ते ही पानी की वही पुरानी चिंता सताने लगी है. कुएं में पानी का स्तर गिरता जा रहा है और जो थोड़ा पानी बचा है वो अब इतना मटमैला हो चुका है कि पीने के काम नहीं आ सकता. इस संबंध में शेर सिंह यादव कहते हैं,''कुएं से निकला पानी पीने लायक नहीं रहता लेकिन मजबूरी में पीते हैं. यहां पानी का लेवल काफी नीचे जा चुका है.'' वह बताते हैं कि पूरे इलाके को हर साल पीने के पानी के घोर संकट से गुजरना पड़ता है.
इस बार के चुनावों में भी नेता प्यास बुझाने के वायदे कर रहे हैं पर अपनी पूरी उम्र गुजार चुकी शेर सिंह की मां भी इन वादों की हकीकत जानती हैं. मां राम मूर्ति कहती हैं,''नेता वायदा करते हैं कि पानी की परेशानी दूर करेंगे...लेकिन चुनाव के बाद कोई नहीं आता...'' कुएं के बाद हैंडपंपों की बारी आने पर ये लोग कहते हैं कि दिन में पंद्रह चक्कर लगाना बेहद भारी है. गांव की महिलाएं कहती हैं कि एक दिन में 10-12 बार हैंडपंप पर आना पड़ता है पानी जमा करने के लिए...
गांव में NDTV India की टीम को ऐसे कई हैंडपंप देखने को मिले जो महीनों से बंद पड़े हैं. बामेर गांव में इस हैंडपंप को पिछले साल लगाया गया था लेकिन ये पिछले छह महीने से बंद पड़ा है. दरअसल इस इलाके में पानी का लेवल इतना नीचे जा चुका है कि कुछ जगहों पर 100 फीट खुदाई के बाद भी पानी नहीं मिलता है. बामेर की ही प्रीति की मानें तो गांव के आधे हैंडपंप खराब पड़े हैं. प्रीति कहती हैं,''हमारे बामेर गांव में कुल 10 हैंडपंप हैं जिनमें से पांच खराब पड़े हैं...पूरे गांव को पीने का पानी इन्हीं पांच हैंडपंपों से इकट्ठा करना पड़ता है.''
अब बामेर गांव के लोगों ने तय किया है कि इस बार अपना वोट उसी को देंगे जो पानी के संकट से निजात दिलाएगा. उर्मिला यादव एनडीटीवी इंडिया से कहती हैं, "जो पानी लाकर देगा उसी को वोट देंगे". उनके पड़ोसी राजेंद्र पाल कहते हैं, "जो पानी की व्यवस्था सही करेगा उसको वोट देंगे."
(इनपुट विनोद गौतम)
इस बार के चुनावों में भी नेता प्यास बुझाने के वायदे कर रहे हैं पर अपनी पूरी उम्र गुजार चुकी शेर सिंह की मां भी इन वादों की हकीकत जानती हैं. मां राम मूर्ति कहती हैं,''नेता वायदा करते हैं कि पानी की परेशानी दूर करेंगे...लेकिन चुनाव के बाद कोई नहीं आता...'' कुएं के बाद हैंडपंपों की बारी आने पर ये लोग कहते हैं कि दिन में पंद्रह चक्कर लगाना बेहद भारी है. गांव की महिलाएं कहती हैं कि एक दिन में 10-12 बार हैंडपंप पर आना पड़ता है पानी जमा करने के लिए...
गांव में NDTV India की टीम को ऐसे कई हैंडपंप देखने को मिले जो महीनों से बंद पड़े हैं. बामेर गांव में इस हैंडपंप को पिछले साल लगाया गया था लेकिन ये पिछले छह महीने से बंद पड़ा है. दरअसल इस इलाके में पानी का लेवल इतना नीचे जा चुका है कि कुछ जगहों पर 100 फीट खुदाई के बाद भी पानी नहीं मिलता है. बामेर की ही प्रीति की मानें तो गांव के आधे हैंडपंप खराब पड़े हैं. प्रीति कहती हैं,''हमारे बामेर गांव में कुल 10 हैंडपंप हैं जिनमें से पांच खराब पड़े हैं...पूरे गांव को पीने का पानी इन्हीं पांच हैंडपंपों से इकट्ठा करना पड़ता है.''
अब बामेर गांव के लोगों ने तय किया है कि इस बार अपना वोट उसी को देंगे जो पानी के संकट से निजात दिलाएगा. उर्मिला यादव एनडीटीवी इंडिया से कहती हैं, "जो पानी लाकर देगा उसी को वोट देंगे". उनके पड़ोसी राजेंद्र पाल कहते हैं, "जो पानी की व्यवस्था सही करेगा उसको वोट देंगे."
(इनपुट विनोद गौतम)
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