नई दिल्ली:
गुरुवार को घोषित हुए पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव परिणामों में मिली करारी हार के बाद कांग्रेस को अपने ही एक वरिष्ठ नेता से बहुत सख्त भाषा में नसीहत भी मिली है, जिसमें पार्टी को 'मेजर सर्जरी' (बड़े बदलाव) की ज़रूरत बताई गई है।
कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने ट्विटर पर लिखा, "आज के नतीजे निराश करने वाले हैं, हैरान करने वाले नहीं... हम काफी आत्मनिरीक्षण कर चुके हैं, लेकिन क्या अब हमें मेजर सर्जरी नहीं करनी चाहिए..."
अपने 'मेजर सर्जरी' वाले ट्वीट के बाद एनडीटीवी से एक्सक्लूसिव बातचीत में दिग्विजय सिंह ने स्वीकार किया कि 'पार्टी को प्रचार की रणनीति और सोशल मीडिया को लेकर बड़े बदलाव करने की जरूरत है, साथ ही नए चेहरे और नए विचारों को शामिल करने की भी।'
उन्होंने प्रधानमंत्री मंत्री नरेंद्र मोदी और कांग्रेस के उपाध्यक्ष राहुल गांधी की तुलना भी की। उन्होंने कहा, नरेंद्र मोदी और राहुल गांधी में जो अंतर है वो यह कि मोदी को 'बड़ी-बड़ी बातें' करने का उपहार मिला हुआ है।'
सोनिया गांधी ने कही थी आत्मनिरीक्षण की बात...
गौरतलब है कि दिग्विजय सिंह का यह ट्वीट पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी के उस बयान के कुछ ही देर बाद आया था, जिसमें सोनिया ने हार के बाद आत्मनिरीक्षण की बात कही थी। उन्होंने बयान में कहा था, "हम हार के कारणों को लेकर आत्मनिरीक्षण करेंगे, और लोगों की सेवा में और भी जोरशोर से जुटने के लिए खुद को फिर प्रतिबद्ध करेंगे..."
लगभग चौतरफा करारी हार की ख़बरों के बीच इस बयान से कांग्रेस के भी कई नेता विचलित हुए हो सकते हैं। गौरतलब है कि कांग्रेस को असम में बीजेपी के हाथों हार का सामना करना पड़ा, और केरल में वे वामदलों से हार गए। उधर, तमिलनाडु और पश्चिम बंगाल में जल्दबाजी में किए गए गठबंधन भी कामयाब नहीं रहे। अब कांग्रेस के पास बड़े राज्यों में सिर्फ कर्नाटक बचा है, और वे इस वक्त देश के सिर्फ 6 प्रतिशत हिस्से पर सत्ता में हैं... कांग्रेस और उनके सहयोगियों की सत्ता भारत के 29 राज्यों में से सिर्फ 7 में रह गई है, जिनमें से छह में वर्ष 2018 से पहले ही चुनाव होने हैं।
शशि थरूर ने भी गंभीर कदम उठाने की दी थी सलाह...
कांग्रेस के सांसद और पूर्व केंद्रीय मंत्री शशि थरूर ने भी कहा है कि पार्टी को हमेशा की तरह 'आत्मनिरीक्षण की बातों से आगे बढ़कर कुछ गंभीर कदम उठाने होंगे...'
लेकिन पार्टी ने गुरुवार को भी हार के बाद हमेशा की ही तरह अपने दोनों बड़े नेताओं, विशेषकर राहुल गांधी का बचाव करने के साथ-साथ यह भी मांग कर डाली कि राहुल को पार्टी उपाध्यक्ष पद से पदोन्नत कर अब अध्यक्ष बना दिया जाना चाहिए।
राहुल गांधी के नेतृत्व में मिली थी सबसे बुरी हार...
वर्ष 2014 में राहुल के नेतृत्व में पार्टी को अपने इतिहास की सबसे बुरी हार का सामना करना पड़ा था, जब लोकसभा में उनके सांसदों की संख्या सिर्फ 44 रह गई थी। उसके बाद भी पार्टी ने अपने वरिष्ठ नेताओं से समस्याओं की पहचान करने और पार्टी को उबारने के लिए रिपोर्ट देने के लिए कहा था। उन नेताओं में दिग्विजय सिंह भी शामिल थे, लेकिन पिछले दो सालों में पार्टी में कोई बदलाव नहीं किया गया, और वह एक के बाद एक झटके खाती गई। इस दौरान उन्हें राहत सिर्फ बिहार में मिली, जहां नीतीश कुमार सरकार बनने में उनका थोड़ा-बहुत योगदान रहा।
गुरुवार को जब दिग्विजय सिंह से पूछा गया कि क्या बीजेपी की 'कांग्रेस-मुक्त भारत' की इच्छा पूरी होती जा रही है, उन्होंने जवाब दिया, "कांग्रेस ऐसे हालात से हमेशा उबरती रही है, हालांकि मौजूदा हालात ज़्यादा गंभीर हैं..."
कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने ट्विटर पर लिखा, "आज के नतीजे निराश करने वाले हैं, हैरान करने वाले नहीं... हम काफी आत्मनिरीक्षण कर चुके हैं, लेकिन क्या अब हमें मेजर सर्जरी नहीं करनी चाहिए..."
अपने 'मेजर सर्जरी' वाले ट्वीट के बाद एनडीटीवी से एक्सक्लूसिव बातचीत में दिग्विजय सिंह ने स्वीकार किया कि 'पार्टी को प्रचार की रणनीति और सोशल मीडिया को लेकर बड़े बदलाव करने की जरूरत है, साथ ही नए चेहरे और नए विचारों को शामिल करने की भी।'
उन्होंने प्रधानमंत्री मंत्री नरेंद्र मोदी और कांग्रेस के उपाध्यक्ष राहुल गांधी की तुलना भी की। उन्होंने कहा, नरेंद्र मोदी और राहुल गांधी में जो अंतर है वो यह कि मोदी को 'बड़ी-बड़ी बातें' करने का उपहार मिला हुआ है।'
सोनिया गांधी ने कही थी आत्मनिरीक्षण की बात...
गौरतलब है कि दिग्विजय सिंह का यह ट्वीट पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी के उस बयान के कुछ ही देर बाद आया था, जिसमें सोनिया ने हार के बाद आत्मनिरीक्षण की बात कही थी। उन्होंने बयान में कहा था, "हम हार के कारणों को लेकर आत्मनिरीक्षण करेंगे, और लोगों की सेवा में और भी जोरशोर से जुटने के लिए खुद को फिर प्रतिबद्ध करेंगे..."
लगभग चौतरफा करारी हार की ख़बरों के बीच इस बयान से कांग्रेस के भी कई नेता विचलित हुए हो सकते हैं। गौरतलब है कि कांग्रेस को असम में बीजेपी के हाथों हार का सामना करना पड़ा, और केरल में वे वामदलों से हार गए। उधर, तमिलनाडु और पश्चिम बंगाल में जल्दबाजी में किए गए गठबंधन भी कामयाब नहीं रहे। अब कांग्रेस के पास बड़े राज्यों में सिर्फ कर्नाटक बचा है, और वे इस वक्त देश के सिर्फ 6 प्रतिशत हिस्से पर सत्ता में हैं... कांग्रेस और उनके सहयोगियों की सत्ता भारत के 29 राज्यों में से सिर्फ 7 में रह गई है, जिनमें से छह में वर्ष 2018 से पहले ही चुनाव होने हैं।
शशि थरूर ने भी गंभीर कदम उठाने की दी थी सलाह...
कांग्रेस के सांसद और पूर्व केंद्रीय मंत्री शशि थरूर ने भी कहा है कि पार्टी को हमेशा की तरह 'आत्मनिरीक्षण की बातों से आगे बढ़कर कुछ गंभीर कदम उठाने होंगे...'
लेकिन पार्टी ने गुरुवार को भी हार के बाद हमेशा की ही तरह अपने दोनों बड़े नेताओं, विशेषकर राहुल गांधी का बचाव करने के साथ-साथ यह भी मांग कर डाली कि राहुल को पार्टी उपाध्यक्ष पद से पदोन्नत कर अब अध्यक्ष बना दिया जाना चाहिए।
राहुल गांधी के नेतृत्व में मिली थी सबसे बुरी हार...
वर्ष 2014 में राहुल के नेतृत्व में पार्टी को अपने इतिहास की सबसे बुरी हार का सामना करना पड़ा था, जब लोकसभा में उनके सांसदों की संख्या सिर्फ 44 रह गई थी। उसके बाद भी पार्टी ने अपने वरिष्ठ नेताओं से समस्याओं की पहचान करने और पार्टी को उबारने के लिए रिपोर्ट देने के लिए कहा था। उन नेताओं में दिग्विजय सिंह भी शामिल थे, लेकिन पिछले दो सालों में पार्टी में कोई बदलाव नहीं किया गया, और वह एक के बाद एक झटके खाती गई। इस दौरान उन्हें राहत सिर्फ बिहार में मिली, जहां नीतीश कुमार सरकार बनने में उनका थोड़ा-बहुत योगदान रहा।
गुरुवार को जब दिग्विजय सिंह से पूछा गया कि क्या बीजेपी की 'कांग्रेस-मुक्त भारत' की इच्छा पूरी होती जा रही है, उन्होंने जवाब दिया, "कांग्रेस ऐसे हालात से हमेशा उबरती रही है, हालांकि मौजूदा हालात ज़्यादा गंभीर हैं..."
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