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This Article is From Feb 09, 2015

तीन गलतियां, जो केजरीवाल ने नहीं कीं दिल्ली विधानसभा चुनाव में

Sharad Sharma, Vivek Rastogi
  • Assembly Polls 2015,
  • Updated:
    फ़रवरी 09, 2015 19:30 pm IST
    • Published On फ़रवरी 09, 2015 19:25 pm IST
    • Last Updated On फ़रवरी 09, 2015 19:30 pm IST

नई दिल्ली : लोकसभा चुनाव 2014 के मुकाबले दिल्ली विधानसभा चुनाव 2015 में आम आदमी पार्टी का प्रदर्शन एकदम उलट इसलिए रहा है, क्योंकि पिछले चुनाव में पार्टी और उसके मुखिया अरविंद केजरीवाल ने जो गलतियां की थीं, उनसे उन्होंने सीख ली और विधानसभा चुनाव में उन्हें सुधार लिया... तो आइए, एक नज़र डालते हैं, उन गलतियों पर, जो सुधारी गईं...

1. नकारात्मक प्रचार नहीं किया...
लोकसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी का प्रचार नकारात्मक था। पार्टी और उसके नेता प्रचार करते हुए यह बताया करते थे कि आखिर नरेंद्र मोदी और बीजेपी को वोट क्यों नहीं देना, जबकि खुद आम आदमी पार्टी सत्ता में आने पर या जीतने पर क्या करेगी, इस पर पार्टी का ज़ोर कम था।

लेकिन इस बार के चुनाव में पार्टी ने सकारात्मक प्रचार किया और ज़ोर इस बात पर दिया कि अगर वह दोबारा सत्ता में आएगी, तो दिल्ली के लिए क्या करेगी।

2. मीडिया पर हमला नहीं किया...
लोकसभा चुनाव के दौरान अरविंद केजरीवाल से लेकर पार्टी के सभी नेताओं के निशाने पर मीडिया रहा करता था। पार्टी आरोप लगाया करती थी कि मीडिया जानबूझकर नरेंद्र मोदी की वाहवाही और उनकी बेमतलब आलोचना कर रहा है, जिससे उन्हें काफी नुकसान भी हुआ, क्योंकि इससे जनता में संदेश यह गया कि केजरीवाल सबको ही चोर और बिका हुआ बता रहे हैं। इससे यह धारणा बनी कि चूंकि पार्टी हार रही है, इसलिए बेमतलब सभी पर आरोप लगा रही है, जबकि मीडिया पर दूसरी ओर यह आरोप लगता रहा है कि आम आदमी पार्टी को उसने ही ज़रूरत से ज़्यादा कवरेज देकर यहां तक पहुंचाया है।

लेकिन इस बार आम आदमी पार्टी ने मीडिया पर बिल्कुल हमला नहीं किया, हां, कुछ व्यंग्य ज़रूर किया, जैसे केजरीवाल अपनी जनसभाओं में बोलते रहे  कि जब मैंने बिजली के बिल आधे किए तो मीडिया वालों ने मेरा बड़ा मज़ाक उड़ाया और यह सुनकर वहां मौजूद जनता खूब ताली बजाती रही, लेकिन मोटे तौर पर इस बार मीडिया से रिश्ते मधुर बने रहे।

3. नरेंद्र मोदी से नहीं भिड़े...
अरविंद केजरीवाल लोकसभा चुनाव में नरेंद्र मोदी से सीधा भिड़कर बहुत नुकसान उठा चुके थे, इसलिए इस बार फैसला कुछ और किया गया। चूंकि जनता आज भी नरेंद्र मोदी से निराश या नाराज़ नहीं है, बल्कि उम्मीदों से भरी है, सो, ऐसे में केजरीवाल या उनकी पार्टी ने फैसला किया कि किसी भी सूरत में वह बीजेपी से भिड़ेगी, लेकिन मोदी से नहीं। हालांकि प्रधानमंत्री मोदी के आरोपों का जवाब देने में पार्टी या केजरीवाल ने देर नहीं लगाई, लेकिन मोदी ने कितना भी तीखा हमला किया, केजरीवाल उनसे सीधा भिड़े ही नहीं और इसका खूब फायदा भी मिला।

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