छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव के प्रथम चरण के मतदान के बाद प्रदेश की सत्ताधारी पार्टी भाजपा एवं प्रमुख विपक्षी पार्टी कांग्रेस संशय की स्थिति में है। दोनों इन 18 सीटों पर अपनी-अपनी बढ़त का दावा कर रही हैं, लेकिन पार्टी सूत्रों की मानें तो दोनों ही पार्टी के प्रत्याशी से लेकर पदाधिकारी दहशत में हैं।
बड़े पैमाने पर हुए मतदान को लेकर अलग-अलग तरीके से तर्क दिए जा रहे हैं। अब दोनों ही पार्टी का पूरा ध्यान दूसरे चरण के मतदान पर है।
प्रथम चरण के मतदान में बस्तर के 12 सीट और राजनादगांव के 6 सीटों के लिए मतदान हुए। वर्तमान में बस्तर के 12 में से 11 सीट पर भाजपा का कब्जा है। वहीं राजनांदगांव के 6 में से 2 सीट पर कांग्रेस का कब्जा है। बस्तर और राजनांदगांव की कुछ सीटों पर भाजपा-कांग्रेस के बागी उम्मीदवारों ने समीकरण बिगाड़ दिया है।
दो तीन सीटों पर भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा) का जोर है। ऐसे में मतदान की फीसदी में बढ़ोतरी प्रत्याशी और पार्टी पदाधिकारियों की नींद उड़ा दी है। मुख्यमंत्री रमन सिंह समेत भाजपा के कई पदाधिकारी यही दावा कर रहे हैं कि इस बार 15 से अधिक सीट भाजपा के खाते में जाएगी।
कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष चरणदास महंत समेत कांग्रेस के पदाधिकारी भी 18 में से 14 सीट पर जीत का दावा कर रहे हैं। प्रथम चरण में करीब 75 फीसदी मतदान हुआ है, जो अब तक का रिकार्ड है।
अंदरूनी इलाके में नक्सलियों ने अपने मनपसंद उम्मीदवारों के पक्ष में मतदान करने के लिए लोगों पर दबाव बनाए हुए थे। प्रचार और पार्टी राजनीतिक जानकारों की माने तो दंतेवाड़ा और कोंटा में भाकपा को बढ़त मिलने की संभावना है।
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