प्रतीकात्मक तस्वीर
अहमदाबाद:
बुधवार को देशभर में गहने की दुकानें बंद रहीं। जौहरी नाराज़ हैं कि सरकार ने दो लाख से ज्यादा का सोना-चांदी ख़रीदने के लिए पैन नंबर ज़रूरी बना दिया है। उनकी दलील है कि बहुत सारे लोग ऐसे हैं जिनके पास पैन नहीं है- वे सोना-चांदी नहीं ख़रीद पा रहे। खासकर एनआरआई, घरेलू महिलाएं, ग्राम्य इलाके के लोग और छोटे-छोटे कारोबार में मज़दूरी कर पैसा कमानेवाले लोग।
पिछले साल तक पांच लाख से ऊपर की ख़रीद पर ही पैन ज़रूरी था। फिर इसे एक लाख कर दिया गया। लेकिन जब जौहरीयों ने इसे लेकर हंगामा मचाया तो ये सीमा दो लाख की कर दी गई। लेकिन कारोबारी अब भी नाखुश हैं। उनका कहना है, बीते दो महीनों में उनके कारोबार में 25 फीसदी तक की गिरावट आई है।
महत्वपूर्ण बात ये है कि पिछले करीब दो तीन सालों से सोने का बाज़ार मंदा था। सोने में निवेश फायदे का सौदा नहीं लग रहा था। इसलिये लोग ज़रूरी न हो तो सोना खरीदने से परहेज़ रख रहे थे। लेकिन पिछले पंद्रह दिन में बाज़ार में तेज़ी लौटी है, सोना 26,000 प्रति 10 ग्राम से उछल कर 28,500 रुपये तक पहुंच गया है। लेकिन इस नियम की वजह से लोग दूर हैं।
वैसे ये नियम लागू करने के पीछे सरकार की मनशा काले धन पर लगाम लगाने की थी। लेकिन कारोबारियों के मुताबिक इससे काले पैसे पर रोक लगने की जगह काले कारोबार को बढ़ावा मिल रहा है। पहले आम तौर पर छोटे-छोटे जौहरीयों से सोना ले लिया जाता था। हॉलमार्क जैसी किसी गारंटी की ज़रूरत नहीं रहती थी। ज्यादातर पक्का बिल भी नहीं बनता था और सरकार को टैक्स भी नहीं जाता था।
लेकिन बीते वर्षों में इस क्षेत्र में भी चीज़ें ठीक हो रही थी। हॉलमार्क की मांग होने लगी थी। जिसकी वजह से लोगों तक खरा सोना पहुंचने लगा था और इस सोने से होते मुनाफे पर जौहरी टैक्स भी जमा करवाने लगे थे। जौहरीयों का कहना है कि अगर इसी तरह चलता रहा तो फिर से काले कारोबार का दौर हावी हो जायेगा। लोग बिना बिल के और झूठा हॉलमार्क लगाकर के बेचने लगेंगे। जौहरियों के संघ ने ये भी कहा है कि सरकार ने अगर उनकी बात नहीं मानी तो वो आंदोलन तेज़ करेंगे।
पिछले साल तक पांच लाख से ऊपर की ख़रीद पर ही पैन ज़रूरी था। फिर इसे एक लाख कर दिया गया। लेकिन जब जौहरीयों ने इसे लेकर हंगामा मचाया तो ये सीमा दो लाख की कर दी गई। लेकिन कारोबारी अब भी नाखुश हैं। उनका कहना है, बीते दो महीनों में उनके कारोबार में 25 फीसदी तक की गिरावट आई है।
महत्वपूर्ण बात ये है कि पिछले करीब दो तीन सालों से सोने का बाज़ार मंदा था। सोने में निवेश फायदे का सौदा नहीं लग रहा था। इसलिये लोग ज़रूरी न हो तो सोना खरीदने से परहेज़ रख रहे थे। लेकिन पिछले पंद्रह दिन में बाज़ार में तेज़ी लौटी है, सोना 26,000 प्रति 10 ग्राम से उछल कर 28,500 रुपये तक पहुंच गया है। लेकिन इस नियम की वजह से लोग दूर हैं।
वैसे ये नियम लागू करने के पीछे सरकार की मनशा काले धन पर लगाम लगाने की थी। लेकिन कारोबारियों के मुताबिक इससे काले पैसे पर रोक लगने की जगह काले कारोबार को बढ़ावा मिल रहा है। पहले आम तौर पर छोटे-छोटे जौहरीयों से सोना ले लिया जाता था। हॉलमार्क जैसी किसी गारंटी की ज़रूरत नहीं रहती थी। ज्यादातर पक्का बिल भी नहीं बनता था और सरकार को टैक्स भी नहीं जाता था।
लेकिन बीते वर्षों में इस क्षेत्र में भी चीज़ें ठीक हो रही थी। हॉलमार्क की मांग होने लगी थी। जिसकी वजह से लोगों तक खरा सोना पहुंचने लगा था और इस सोने से होते मुनाफे पर जौहरी टैक्स भी जमा करवाने लगे थे। जौहरीयों का कहना है कि अगर इसी तरह चलता रहा तो फिर से काले कारोबार का दौर हावी हो जायेगा। लोग बिना बिल के और झूठा हॉलमार्क लगाकर के बेचने लगेंगे। जौहरियों के संघ ने ये भी कहा है कि सरकार ने अगर उनकी बात नहीं मानी तो वो आंदोलन तेज़ करेंगे।
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