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This Article is From Oct 31, 2022

GEAC ने जेनेटिकली मॉडीफाइड सरसों को दी हरी झंडी, अब आयात पर निर्भरता होगी खत्म

आज भारत सिर्फ 8.5 से 9 मिलियन टन तक खाद्य तेल का उत्पादन करता है, जो खपत से काफी कम है. यही कारण है कि हर साल 1 लाख करोड़ की लागत से 65 फीसदी खाद्य तेल का आयात होता है. अब जीएम सरसों से आयात पर निर्भरता कम होगी ही, लेकिन जब उत्पादन बढेगा तो भारत इसके बड़े आयातक के रूप में उभर सकता है.

GEAC ने जेनेटिकली मॉडीफाइड सरसों को दी हरी झंडी, अब आयात पर निर्भरता होगी खत्म
अगर देश में किसान GM सरसों की फसल उगाते हैं, तो इससे सरसों का प्रोडक्शन 20% तक बढ़ जाएगा.

देश में बायोटेक नियामक जेनेटिक इंजीनियरिंग अप्रेजल कमेटी (GEAC) ने जेनेटिकली मॉडीफाइड (GM) सरसों की एनवायरमेंटल रिलीज को मंजूरी दे दी है. DMH-11 वेरायटी में 30% ज्यादा यील्ड का दावा है. इससे भारत में सरसों की पैदावार में काफी बढ़ोतरी होगी. अगर सरकार इसकी व्यावसायिक खेती को मंजूरी देती है, तो जीएम सरसों यानी आनुवांशिक रूप से संसोधित सरसों की खेती से तेल का उत्पादन बढ़ाने में खास मदद मिलेगी.

दरअसल, भारत अभी भी अपनी जरूरत का 65 फीसदी खाद्य तेल आयात करता है. जिसमें 1 लाख करोड़ खर्च होता है. फिलहाल, जीएम सरसों की हाइब्रिड किस्म धारा मस्टर्ड हाइब्रिड -11 (DMH-11) को जीईएसी से ही मंजूरी है. इसकी खेती के लिये भारत सरकार ने मंजूरी नहीं है, जिसके चलते इस रबी सीजन में ये किस्म खेती-किसानी से उपलब्ध नहीं होगी.

राष्ट्रीय कृषि विज्ञान अकादमी के अध्यक्ष और पूर्व सचिव, कृषि अनुसंधान विभाग के डॉ. त्रिलोचन महापात्र ने एनडीटीवी को जीएम सरसों की मंजूरी मिलने पर कहा, 'अगर देश में किसान GM सरसों की फसल उगाते हैं, तो इससे सरसों का प्रोडक्शन 20% तक बढ़ जाएगा. एक हेक्टेयर में सरसों का प्रोडक्शन मौजूदा 1.3 टन से बढ़कर 1.5 टन तक हो सकता है.'

उन्होंने बताया कि GM सरसों की टेक्नोलॉजी कनाडा में 20 साल से इस्तेमाल हो रही है. हम वहां से कोरोला ऑयल का आयात करते हैं. हम GM सोयाबीन ऑयल भी कई देशों से मंगाते हैं. उन्होंने कहा कि हम कई सालों से GM तेल खा रहे, क्योंकि हमारा उत्पादन कम है और हम आयात ज्यादा करते हैं.' 

जीएम सरसों की धारा मस्टर्ड हाइब्रिड -11 (डीएमएच-11) को करीब 20 साल बाद मंजूरी मिली है. ये कृषि क्षेत्र से जुड़ी खाद्य आवश्यकताओं के लिये पहली मंजूरी है. इसका पेटेंट दिल्ली यूनिवर्सिटी के पूर्व वाइस चांसलर डॉ. दीपक पेंटल द्वारा विकसित किया गया है, जिसे मंजूरी के लिये जेनेटिक इंजीनियरिंग एप्रेजल कमेटी (GEAC) की 147वीं बैठक में प्रस्तावित किया गया था. 

18 अक्टूबर को हुई इस बैठक में जीईएसी ने जीएम सरसों को मंजूरी दे दी है, लेकिन अभी केंद्र सरकार ने इसकी खेती के लिये अनुमति नहीं दी है, इसलिये इस रबी सीजन में इससे खेती करना मुश्किल होगा. उम्मीद है कि जल्द सरकार की तरफ से कोई निर्णय लेने के बाद इसकी व्यावसायिक खेती शुरू की जा सकेगी.

जीएम सरसों का पेटेंट राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड (एनडीडीबी) और दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रोफेसर दीपक पेंटल को संयुक्त रूप से मिला हुआ है. बता दें कि हाल ही में ऑस्ट्रेलिया के नियामक प्राधिकरण ने जेनेटिकली मोडिफाइड भारतीय सरसों की वाणिज्यिक खेती की अनुमति दी थी, जिसे ब्रेसिका जुनेका नाम दिया गया है.

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