पणजी:
समुद्री पुरातत्वविदों ने सोमवार को दावा किया कि उन्होंने गुजरात में दुनिया की पहली प्राचीनकालीन शहरी बस्ती ढूंढ निकाली है, जो संभवतः सुनामी की वजह से तबाह हुई थी.
पणजी में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए राष्ट्रीय समुद्रविज्ञान संस्थान (नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ ओशनोग्राफी) के निदेशक एसडब्ल्यूए नकवी ने कहा कि गुजरात में कच्छ के रण में स्थित ढोलवीरा नामक पुरातात्विक महत्व का इलाका मिला है, जो बहुत योजनागत तरीके से स्थापित शहरी बस्ती था, और लगभग 3,450 साल पहले सुनामी की वजह से तबाह हो गया था.
उन्होंने कहा, "यह दुनिया का सबसे पुराना ज्ञात इलाका है, जो हमारा मानना है कि सुनामी की चपेट में आया था..."
ढोलवीरा प्राचीन हड़प्पा सभ्यता के काल में बसी 'आधुनिक शहरी' बस्ती थी, जिसे हड़प्पा युग में सबसे बड़ा बंदरगाह शहर माना जाता था. यह लगभग 5,000 साल पहले बसा था, और लगभग 3,450 साल पहले सुनामी ने इसे तबाह कर दिया. ढोलवीरा भारत की मौजूदा सीमाओं के भीतर हड़प्पा युग का दूसरा सबसे बड़ा इलाका है, जिसमें तीन हिस्से हैं - एक किला, मध्यवर्ती शहर और निचला शहर.
राष्ट्रीय समुद्रविज्ञान संस्थान के अग्रणी विज्ञानी राजीव निगम ने बताया, "ढोलवीरा की अनूठी खासियत है 14-18 मीटर मोटी दीवार की मौजूदगी, जो संभवतः सुनामी से सुरक्षा के उद्देश्य से बनाई गई थी..."
पणजी में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए राष्ट्रीय समुद्रविज्ञान संस्थान (नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ ओशनोग्राफी) के निदेशक एसडब्ल्यूए नकवी ने कहा कि गुजरात में कच्छ के रण में स्थित ढोलवीरा नामक पुरातात्विक महत्व का इलाका मिला है, जो बहुत योजनागत तरीके से स्थापित शहरी बस्ती था, और लगभग 3,450 साल पहले सुनामी की वजह से तबाह हो गया था.
उन्होंने कहा, "यह दुनिया का सबसे पुराना ज्ञात इलाका है, जो हमारा मानना है कि सुनामी की चपेट में आया था..."
ढोलवीरा प्राचीन हड़प्पा सभ्यता के काल में बसी 'आधुनिक शहरी' बस्ती थी, जिसे हड़प्पा युग में सबसे बड़ा बंदरगाह शहर माना जाता था. यह लगभग 5,000 साल पहले बसा था, और लगभग 3,450 साल पहले सुनामी ने इसे तबाह कर दिया. ढोलवीरा भारत की मौजूदा सीमाओं के भीतर हड़प्पा युग का दूसरा सबसे बड़ा इलाका है, जिसमें तीन हिस्से हैं - एक किला, मध्यवर्ती शहर और निचला शहर.
राष्ट्रीय समुद्रविज्ञान संस्थान के अग्रणी विज्ञानी राजीव निगम ने बताया, "ढोलवीरा की अनूठी खासियत है 14-18 मीटर मोटी दीवार की मौजूदगी, जो संभवतः सुनामी से सुरक्षा के उद्देश्य से बनाई गई थी..."
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