
विश्व की सबसे शक्तिशाली महिलाओं में शुमार पेप्सीको की भारतीय मूल की मुख्य कार्यकारी इंदिरा नूयी ने स्वीकार किया कि ऑफिस के काम और घर के जीवन के बीच संतुलन बिठाना मुश्किल हो गया है और महिलाओं को सब कुछ नहीं मिल सकता।
उन्हें संदेह कि उनकी बेटी उन्हें अच्छी मां मानती है। कोलोरैडो में ऐस्पेन आइडियाज फेस्टिवल में 58-वर्षीय नूयी ने बड़े बेबाक तरीके से कहा, मुझे नहीं लगता कि महिलाएं सब कुछ पा सकती हैं। मुझे ऐसा बिल्कुल नहीं लगता। हम सिर्फ दावा करते हैं कि हम हर कुछ हासिल कर सकती हैं। उनसे पूछा गया था कि क्या वह महसूस करती हैं कि महिलाओं को सब कुछ मिल सकता है।
नियमित रूप से फोर्ब्स और अन्य प्रकाशनों की विश्व की सबसे शक्तिशाली महिलाओं की सूची में नाम दर्ज करने वाली नूयी ने कहा कि वह पति के साथ दो बेटियों को पालने की प्रक्रिया में कई बार अपराध-बोध के बोझ से दब गईं। नूयी ने कहा कि उन्हें बड़ा अपराध-बोध महसूस होता था कि वह अपनी बेटियों के स्कूल की कई गतिविधियों में हिस्सा नहीं ले सकती थीं, क्योंकि वह छुट्टी नहीं ले पाती थीं।
उन्होंने कहा, हर दिन आपको फैसला करना पड़ता है, क्या आप पत्नी या मां बनना चाहती हैं... दरअसल दिन भर में कई बार आपको ऐसे फैसले करने पड़ते हैं। और मदद के लिए आपको कई लोगों को अपनाना होता है। हमने अपनी मदद के लिए अपने परिवार को चुना। हम अपने जीवन की योजना बेहद सावधानी से बनाते हैं, ताकि हम अच्छे माता-पिता बन सकें।
नूयी ने कहा, ...लेकिन यदि आप हमारी बेटियों से पूछें, तो मुझे पक्का भरोसा नहीं लगता कि वे कहेंगी कि मैं अच्छी मां रही हूं। मुझे इसका पूरा भरोसा नहीं है। और मैं इससे निपटने के लिए सभी तरह के तरीके अपनाती हूं। नूयी ने कहा, जब मैंने अपनी बेटियों के साथ नहीं हो पाती हूं, तो मुझे बड़ा अपराध-बोध होता है... लेकिन धीरे-धीरे इस स्थिति से निपटना सीख गई।
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