
Woman Makes Reel in Temple: सोशल मीडिया पर आजकल पुराने गाने काफी ट्रेंड करते हैं. हर कुछ दिन के बाद एक गाना आता है, जिसपर लोग रील बनाना शुरु कर देते हैं. आजकल ब्लैक एंड व्हाइट दौर का एक गीत ट्रेंड कर रहा है. गीत है 'तड़पाओगे, तड़पालो, हम तड़प-तड़प कर भी तुम्हारे गीत गाएंगे'. इस गाने को लगभग 68 साल हो चुके हैं, लेकिन दिल्ली-NCR में इन दिनों जाम में फंसे हुए, बारिश के जलभराव से परेशान होते हुए और मेट्रो की भीड़-भाड़ में जूझते हुए, दफ्तर से घर और घर से दफ्तर पहुंचते हुए लोगों के कानों में सिर्फ यही लाइनें बज रही हैं, वो भी सिर्फ सोशल मीडिया पर चल रही रील्स की वजह से.
रील्स स्क्रॉल करते हुए हर दूसरी रील में लड़कियां बड़े ही मस्त अंदाज़ में इस पुराने गाने पर अदाएं दिखाती नज़र आ रही हैं, कि चाहे उन्हें जितना भी परेशान और दुखी कर दिया जाए, फिर भी वो उसके दर पर आना नहीं छोड़ेंगी, जो उनको बहुत प्यारा है. हालांकि, आए दिन जहां सोशल मीडिया पर दिल को झकझोर देने वाली घटनाएं सुनाईं दे रही हैं, वहां यह पुराना गीत लोगों को थोड़ा सुकून तो जरूर दे रहा है.
इस गाने पर जहां लड़कियां और महिलाएं मज़ेदार और मस्त अदाओं के साथ रोमांटिक रील्स बना रही हैं, वहीं एक ऐसी रील भी वायरल हो रही है, जिसे लेकर थोड़ा सा वाद-विवाद भी शुरु हो गया है. दरअसल, एक महिला शिव मंदिर में इस गाने पर रील बनाती नज़र आई है. वह मंदिर में स्थापित शिवलिंग के सामने खड़े होकर इस गाने को गुनगुनाते हुए और शिवलिंग की ओर इशारे करते हुए रील बना रही है. इस दौरान महिला बार-बार शिवलिंग को अपने हाथों से स्पर्श भी कर रही है. मदिंर में मौजूद सभी लोग महिला को ध्यान से देख रहे हैं और कुछ तो मुस्कुरा भी रहे हैं.
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अब ये तो किसी को भी नहीं पता कि इस रील को बनाते हुए महिला के मन में भगवान के प्रति कितना भक्ति भाव है, लेकिन सोशल मीडिया पर रील वायरल होते ही इस पर चर्चा छिड़ गई. यूजर्स इस रील को देख काफी भड़के हुए हैं. अब ज़ाहिर सी बात है कि चर्चा छिड़ते ही रील और तेजी से वायरल होनी शुरु हो गई होगी और रील पर कमेंट, लाइक और शेयर भी बढ़ रहे होंगे.
अब सवाल यह उठता है कि क्या इस रील को भक्ति भाव वाली पूजा में शामिल किया जाना चाहिए? क्या मंदिर में भगवान के साथ ऐसी हरकतें करना सही है? इस रील पर बहुत से लोग अब नौतिक-अनैतिक जैसी बात भी कह रहे हैं, फिर भी ध्यान दिया जाना चाहिए कि यह कोई पहला मामला नहीं है. मीरा ने श्रीकृष्ण को अपना पति माना था. शबरी ने श्रीराम को पुत्र मानकर बेर खिलाए थे. एक बालक तो शिवजी को अपना मामा मान बैठा था. पुराणों और कथाओं में ऐसे उदाहरण भरे पड़े हैं, लेकिन उनमें और इस दीवा में एक फर्क जरूर है. उनकी भक्ति सहज थी, उन्होंने इसका दिखावा नहीं किया, लेकिन यहां एक्टिंग और एडिटिंग दोनों ही दिख रही है. अब भक्ति और दिखावे का फर्क को हर किसी को समझ में आ ही जाता है.
बात करें इस वायरल गाने की तो तड़पाओगे, तड़पालो की धुन कानों में पड़ती है तो मन में एक हल्की सी हलचल सी मच जाती है. साल 1957 में आई फिल्म बरखा, जिसको करीब 68 साल हो चुके हैं, लेकिन इसका गाना तड़पाओगे तड़पा लो आज जेनजी पीढ़ी की प्ले लिस्ट में भी दिखाई दे रहा है. इस गाने को लता मंगेशकर ने गाया था और इसके बोल गीतकार राजेंद्र कृष्ण ने लिखे थे. गाने को एक्ट्रेस शुभा खोटे पर फिल्माया गया है.
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